विश्व विकलांग दिवस कब मनाया जाता है
वैश्विक स्तर पर प्रति वर्ष विभिन्न दिवसों को मनाया जाता है। इन्हीं दिवसों में से एक विश्व विकलांग दिवस भी है। ये संयुक्त राष्ट्र संघ का ही एक कार्यक्रम है। विकलांग व्यक्तियों की समस्याओं को समझने व उन समस्याओं को कम करने जैसे उद्देश्यों को लेकर प्रति वर्ष 3 दिसंबर को विश्व विकलांग दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को विभिन्न नामों जैसे “विकलांग व्यक्तियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस” , “अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस” आदि से भी जाना जाता है।
विकलांगता से अभिप्राय किसी भी प्रकार की शारीरिक और मानसिक कमी या अक्षमता के होने से है। ये अक्षमता प्राकृतिक रूप से भी हो सकती है तथा गैर-प्राकृतिक रूप से भी हो सकती है। कई बार दुर्घटनाएं भी विकलांगता का कारण बन जाती हैं। वर्तमान समय में ‘विकलांग’ शब्द के स्थान पर ‘दिव्यांग’ शब्द को बेहतर माना गया।
विश्व विकलांग दिवस विकलांग व्यक्तियों के लिए एक अहम दिन होता है। इस दिन विश्व के कई स्थानों पर संयुक्त राष्ट्र संघ और दुनिया में विकलांग व्यक्तियों के लिए विविध कार्य करने वाली संस्थाओं द्वारा विकलांग व्यक्तियों द्वारा बनाई गई विभिन्न कलाकृतियों का प्रदर्शन करने के लिए प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है ताकि आम लोग भी विकलांगों की रचनात्मक व सृजनात्मक क्षमताओं से परिचित हो सकें। इसका अन्य लाभ ये होता है कि इससे विकलांग व्यक्तियों को प्रोत्साहन भी प्राप्त होता है और यदि उनकी कलाकृतियों को खरीद भी लिया जाता है तो इससे उन कलाकृतियों को बनाने वाले विकलांग व्यक्तियों को आर्थिक सहायता भी प्राप्त हो जाती है। इस दिन दिव्यांगों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इन कार्यक्रमों में विकलांग व्यक्ति भी अपनी बेहतर से बेहतर प्रस्तुति देते हैं।
विश्व विकलांग दिवस का इतिहास
बात करें विश्व विकलांग दिवस के इतिहास की तो वर्ष 1981 को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा ने “ दिव्यांग व्यक्तियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय वर्ष” घोषित किया था। बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा और संयुक्त राष्ट्र संघ ने आम सहमति के साथ 1983-1992 को “विकलांगों का अंतर्राष्ट्रीय दशक” घोषित किया था।
3 दिसंबर 1991 से विश्व विकलांग दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई थी। तभी से हर साल विश्व विकलांग दिवस को 3 दिसंबर को मनाया जाता है। हर वर्ष इस दिवस की कोई न कोई थीम (विषय) होती है। वर्ष 2022 की थीम (विषय) “वैश्विक स्तर पर सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता बनाना” है। कुछ अन्य वर्षों की थीमें (विषय) निम्नलिखित हैं:-
- कला, संस्कृति तथा स्वतंत्र रहन-सहन – 1988 की थीम
- नई शताब्दी हेतु सभी की पहुँच – 1999 की थीम
- सभी हेतु सूचना क्रांति कार्य निर्माण – 2000 की थीम
- पूर्ण सहभागिता व समानता: प्रगति आँकना और प्रतिफल निकलने हेतु नवीन पहुँच मार्ग के लिए आह्वान -2001 की थीम
- स्वतंत्र रहन-सहन और दीर्घकालिक आजीविका – 2002 की थीम
- हमारी खुद की एक आवाज- 2003 की थीम
- ई-एक्सेसिबिलिटी – 2006 की थीम
विश्व विकलांग दिवस क्यों मनाया जाता है?
जिस प्रकार प्रत्येक ख़ास दिवस मनाने के पीछे कुछ कारण होते हैं ठीक उसी प्रकार विश्व विकलांग दिवस मनाने के पीछे भी कुछ कारण हैं। विश्व विकलांग दिवस के मुख्य उद्देश्य के अंतर्गत विकलांग लोगों के प्रति आम लोगों के व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाना व विकलांग जनों को उनके अधिकारों से परिचित कराना है।
आमतौर पर हमारे आस-पास कई प्रकार की विकलांगता से पीड़ित लोग होते हैं और हमें उनके बारे में पता भी नहीं होता है। अक्सर समाज में विकलांग लोगों को अलग दृष्टि से देखा जाता है। लोगों का व्यवहार उनके प्रति अलग–सा होता है। कहीं उन्हें कमजोर माना जाता है तथा जो आदर उन्हें मिलना चाहिए उनसे उन्हें वंचित रखा जाता है।
लोगों की इसी सोच में बदलाव लाने के लिए विश्व विकलांग दिवस अपने आप में एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। आम जन मानस का ध्यान अपने आस-पास के दिव्यांग जनों की ओर आकर्षित करना भी इस दिवस की एक अहम भूमिका है।
संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations organisation) द्वारा इस दिवस को मनाने के पीछे का मुख्य मकसद ये ही है कि धार्मिक, राजनैतिक, समाजिक या आर्थिक क्षेत्र में विकलांगों के अधिकारों का किसी भी प्रकार से कोई शोषण न कर सके। समाज में जैसा व्यवहार आम लोगों के साथ किया जाता है वैसे ही उनके साथ किया जाए ताकि उनके मन में कोई हीन भावना पैदा न हो।
भारत में विकलांग दिवस
विकलांग दिवस के दिन भारत में भी कई स्थानों पर कार्यशालाओं व विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जन्म से मिली विकलांगता या किसी दुर्घटना से मिली विकलांगता से ग्रसित लोगों की प्रगति और हित के लिए कार्य बिना किसी बाधा के निरंतर रूप से चलता रहे इसी उद्देश्य के लिए भारत सरकार द्वारा एक मंत्रालय गठित किया गया है जिसका नाम “सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय” है। कई विद्वानों ने भी विकलांगता पर अपने मत रखे हैं, उनमें से एक श्रीराम आचार्य कहते हैं कि यदि किसी को कुछ देना हो तो उसके अंदर आत्मविश्वास जगाने वाला प्रोत्साहन दो। इन लोगों ( विकलांगों) को इस प्रोत्साहन की ही ज्यादा जरूरत है। विकलांगता मानसिक या शारीरिक नहीं बल्कि हमारी सोच में है जो हम इन्हें कमतर आँकते हैं और हीन समझते हैं। ऐसी सोच को बदलने की आवश्यकता है।
भारत में विकलांगों के लिए उठाए गए शैक्षिक कदम
भारत में दिव्यांगों को बेहतर शिक्षा मिल सके इसके लिए भी कई अहम कदम उठाए गए हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:-
शिक्षा का अधिकार 2009
ये अधिकार 2009 में लागू हुआ था और 2010 से प्रभावी हुआ था। इसके अनुसार 6-14 वर्ष के सभी छात्रों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया। इसके अनुसार कोई भी विद्यालय किसी बच्चे को किसी कमी के चलते प्रवेश देने से मना नहीं कर सकता।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में विशेष छात्रों के लिए अलग से विद्यालय बनाने की बात की गई। इसमें विकलांग छात्रों को उपयुक्त सामग्री उपलब्ध कराने की भी बात की गई। विकलांग छात्रों के अनुरूप पाठ्यक्रम की विषयवस्तु निर्माण का भी प्रावधान किया गया।
विकलांगता अधिनियम 2016
ये अधिनियम 1995 वाले विकलांग अधिनियम का संशोधित रूप है। इसमें कुल 21 विकलांगताओं को सूचीबद्ध किया गया है। इस अधिनियम के तहत विकलांगों को विभिन्न प्रकार की सुविधाओं का प्रावधान किया गया है तथा विविध क्षेत्रों में आरक्षण का भी प्रावधान किया गया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी विकलांग छात्रों को विशेष उपकरण व संसाधन उपलब्ध कराने की बात करती है। इसमें विकलांग छात्रों के लिए “बाल भवन” बनाने की भी बात की गई है।
समावेशी शिक्षा
वर्तमान समय में समावेशी शिक्षा पर काफ़ी ज्यादा बल दिया जा रहा है। समावेशी शिक्षा के अंतर्गत सभी तरह के छात्रों को साथ में शिक्षा प्रदान की जाती है तथा छात्रों की विशेष आवश्कताओं के अनुसार उन्हें सहायता प्रदान की जाती है।
निष्कर्ष
विश्व विकलांग दिवस संयुक्त राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। आम जनता का दिव्यांग लोगों के प्रति व्यवहार बदलने व दिव्यांग लोगों को उनके अधिकारों तथा उनके लिए उपयोगी योजनाओं से अवगत कराने के लिए इस दिवस की महत्वपूर्ण भूमिका है।
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