उज्जैन, मध्यप्रदेश राज्य का वाणिज्यिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, शैक्षिक और ऐतिहासिक महत्त्व वाला शहर है। उज्जैन शहर क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है। इस शहर का पुराना नाम उज्जयिनी था। प्राचीन काल मे इसे कालीदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता था।
उज्जैन मे घूमने के कई धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल है।
उज्जैन के धार्मिक स्थल (Ujjain ke Dharmik Sthal)
महाकालेश्वर मंदिर
उज्जैन का महाकालेश्वर महादेव भगवान शिव के प्रमुख बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। महाकालेश्वर मंदिर का महत्व विभिन्न धार्मिक ग्रंथो एवं पुराणों में विस्तृत रूप से वर्णित है। प्राचीन समय से महाकाल को उज्जैन का अधिपति आदि देव माना जाता रहा है। महांकाल मंदिर के आसपास कि परिसर को वर्तमान समय में महांकाल लोक के नाम से जाना जा रहा है, यहाँ पर भगवान् शिव के विभिन्न रूपों कि कलाकृतियों के दर्शन करने को मिलते है। महांकाल लोक के निर्माण के बाद भगवान् महांकालेश्वर मंदिर में भक्तों कि संख्या में काफी वृद्धि देखने को मिल रही है।
मंगल नाथ मंदिर (Mangal Nath Mandir)
मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित मंगल देवता का मंदिर है। कहा जाता है कि मंगल देवता का जन्म उज्जैन नगरी में ही हुआ था, इसी कारण मंगलनाथ मंदिर का महत्त्व दूसरे मंगल देवता के मंदिरों से अधिक है। अक्सर इस मंदिर परिसर में मंगल दोष निवारण के लिए पूजा-अनुष्ठान हेतु भक्तों का आना जाना लगा रहता है। यहाँ हर मंगलवार को लाखों लोग शिवरुपी मंगल प्रतिमा के दर्शन करने के लिए देश विदेश से आते है।
गोपाल मंदिर (Gopal Mandir Ujjain)
गोपाल मंदिर उज्जैन शहर का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। यह मंदिर शहर के बीचों-बीच स्थित है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा दौलतराव सिंधिया की महारानी बायजा बाई ने वर्ष 1833 के आसपास कराया था। मंदिर के अंदर में कृष्ण (गोपाल) की प्रतिमा है। मंदिर मे चांदी के द्वार बने है जो मुख्य आकर्षण है।
काल भैरव मंदिर
काल भैरव मंदिर उज्जैन का प्रमुख मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि महाकालेश्वर के दर्शन के बाद काल भैरव के दर्शन अनिवार्य होता है तभी महाकालेश्वर के दर्शन का फल मिलता है। काल भैरव को भगवान् शिव का ही अवतार मन जाता है। भैरव भगवान् को इस मंदिर में रोज मदिरा का प्रसाद चढ़ाया जाता है। यहाँ कि आश्चर्य चकित करने वाली बात यह है कि जो मदिरा का प्रसाद भवान काल भैरव को चढ़ाया जाता है, वो कहाँ जाता है इसका पता आजतक कोई नहीं लगा पाया है।
गढकालिका देवी
इस मंदिर के बारे मे कहा जाता है, कि कालयजी कवि कालिदास गढकालिका देवी के बहुत बड़े उपासक थे। यह मंदिर तांत्रिक मंदिर मानी जाती है।
हरसिद्धि मंदिर
उज्जैन नगर का प्राचीन और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से हरसिद्धि देवी का मंदिर प्रमुख है। माना जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य द्वारा हरिसिद्धि देवी की पूजा रोज की जाती थी। हरसिध्दि देवी वैष्णव संप्रदाय की देवी मानी जाती है। शिवपुराण के अनुसार राजा दक्ष के यज्ञ के बाद सती की कोहनी यहां गिरी थी।
श्री बडे गणेश मंदिर
यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के निकट है। इस मंदिर मे भगवान गणेश की बहुत बड़ी भव्य और कलापूर्ण प्रतिमा प्रतिष्ठित है। इस मूर्ति का निर्माण पद्मविभूषण पं॰ सूर्यनारायण व्यास के पिता विख्यात विद्वान स्व. पं॰ नारायण जी व्यास ने करवाया था।
श्री राम-जनार्दन मंदिर
इस मंदिर का निर्माण राजा जयसिंह द्वारा किया गया था। इस मंदिर के अंदर में 11वीं शताब्दी में बनी शेषशायी विष्णु की प्रतिमा और 10 वीं शताब्दी में निर्मित गोवर्धनधारी कृष्ण की प्रतिमाएं लगी हुई हैं। इस के अतिरिक्त माता सीता ,भगवान राम और लक्ष्मण की मूर्तियाँ भी है।
सूर्यदेव मंदिर
सूर्यदेव मंदिर को प्राचीन काल में कालियादेह महल के नाम से जाना जाता था। यह मंदिर शिप्रा नदी के तट पर स्थित है। आज के समय में सूर्यदेव मंदिर को बावनकुण्ड के नाम से जाता है, क्यूंकि यहाँ 52 छोटे छोटे कुंड है। इस स्थान पर प्रेत बाधा से मुक्ति हेतु पूजा पाठ कराया जाता है एवं इन कुंड में स्नान करने के बाद सभी बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है।
नगरकोट की रानी
ऐसा माना जाता है कि यह देवी उज्जैन शहर के दक्षिण-पश्चिम कोने की सुरक्षा देवी है। यह स्थान पुरातत्व की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। यह स्देवी मंदिर नाथ संप्रदाय की परंपरा से जुड़ा हुआ है। यह मंदिर शहर के प्राची कच्चे परकोटे पर स्थित है इसलिए इसे नगरकोट की रानी कहा कहा जाता है।
वेधशाला
इस वेधशाला का निर्माण सन् 1730 में राजा जयसिंह ने करवाया था। सन् 1923 में महाराजा माधवराव सिंधिया ने इसका जीर्णोद्धार करवाया। रिगंश यंत्र, सम्राट यंत्र, भित्ती यंत्र और वलय यंत्र आदि यहां के प्रमुख यंत्र है। खगोल अध्ययन के लिए यह स्थान अत्यंत उपयोगी है। शास्त्रो मे भी इस स्थान को महत्वपूर्ण बताया गया है।
भर्तृहरि गुफा
कहा जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य के बड़े भाई राजा भर्तृहरि ने राज-पाट त्याग कर नाथ पंथ से दीक्षा लेकर कई वर्षों तक यहां पर घनघोर योग-साधना की थी। यह गुफा सम्राट विक्रमादित्य के बड़े भाई राजा भर्तृहरि की साधना-स्थली होने के कारण प्रसिद्ध है।
सांदीपनि आश्रम उज्जैन
सांदीपनि आश्रम गुरु सांदीपनि को समर्पित एक मंदिर है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस जगह पर सांदीपनि गुरु ने भगवान् श्री कृष्ण, उनके परम मित्र सुदामा और बड़े भाई बलराम (धरणीधर भगवान्) को शिक्षा प्रदान की थी।
आश्रम परिसर में श्री सर्वेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है।
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