त्रिनेत्र गणेश मंदिर – सम्पूर्ण जानकारी | Trinetra Ganesh Temple

त्रिनेत्र गणेश मंदिर, राजस्थान राज्य के सवाईमधोपुर जिले से 12 किलोमीटर दूर रणथंभौर किले में स्थित है। त्रिनेत्र गणेश मंदिर का निर्माण कार्य 10वीं सदी में रणथंभौर के राजा हमीर देव चौहान ने करवाया था। इस मंदिर के बारे मे कहा जाता है कि युद्ध के दौरान राजा हमीर देव चौहान के सपने में भगवान गणेश जी आए और उन्हें विजयी होने का आशीर्वाद दिया। राजा की युद्ध में विजय हुई और उन्होंने विजय स्वरूप रणथम्भौर के किले में गणेश मंदिर का निर्माण करवाया। पूरे विश्व में यह एकमात्र ऐसा भगवान गणेश का मंदिर है जहां श्रीगणेश अपने पूर्ण परिवार, दो पत्नी -रिद्धि और सिद्धि और दो पुत्र -शुभ व लाभ, के साथ विराजमान है। इस मंदिर के अंदर भगवान गणेश की प्रतिमा स्वयंभू है। इस मंदिर में भगवान गणेश को त्रिनेत्र रूप में विराज किया गया है जिसमें तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना गया है। 

त्रिनेत्र गणेश मंदिर की कथा | Trinetra Ganesh Temple ki Katha

गणेश मंदिर के बारे में कई कथाऐ प्रचलित है।

  • एक कथनानुसार राजा हमीरदेव और अलाउद्दीन खिलजी के बीच सन् 1299-1302 ई. के बीच रणथम्भौर में युद्ध हुआ था। उस समय दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी के सैनिकों ने रणथम्भौर के किले को चारों ओर से घेर लिया था। राजा हमीर देव चौहान बहुत परेशान थे। इसी बीच महाराजा को भगवान गणेश ने स्वप्न में कहा कि मेरी पूजा करो सभी समस्याएं खत्म हो जाएंगी। इसके दूसरे दिन किले की दीवार पर ही त्रिनेत्र गणेश की छवि अंकित की गई। और युद्ध में सफलता के बाद हमीरदेव ने भगवान गणेश के बताए हुए जगह पर ही मंदिर बनवाया।
  • एक अन्य कथनानुसार इस मंदिर का उल्लेख रामायण में भी मिलता है। कहा जाता है कि रामायण काल और द्वापर युग में भी यह मंदिर उपस्थित था। माना जाता है कि भगवान श्रीराम ने लंका की और कूच करते समय भगवान त्रिनेत्र गणेश जी का अभिषेक इसी रुप में किया था।

त्रिनेत्र गणेश मंदिर रणथम्भौर की विशेषताऐ

  1. यह गणेश मंदिर पूरे विश्व भर में एकमात्र ऐसा भगवान गणेश का मंदिर है जिसमे भगवान गणेश अपने पूरे परिवार (अपनी दोनो पत्नी रिद्धि और सिद्धि और अपने दोनो पुत्र शुभ-लाभ) के साथ विराजमान हैं।
  2. भगवान त्रिनेत्र  गणेश मंदिर में रोज आते 10 किलो पत्र आते है।माना जाता है कि यदि भगवान गणेश को निमंत्रण भेजने से सभी कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होते है।
  3. गणेश चतुर्थी के शुभ पावन पर रणथम्भौर किले के मंदिर में भव्य समारोह किया जाता है और विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
  4. मंदिर में पहुंचे हुए पत्र को कायदे से पुजारी जी स्वंय भगवान गणेश को पढ़कर सुनाते है।और यदि किसी और भाषा में पत्र लिखा गया हो तो उसे खोल कर गणेश जी के सामने रख दिया जाता है।
  5. इन सभी पत्रों को सालभर मंदिर में रखा जाता है उसके बाद उन पत्रों की लुग्दी बना कर विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजार कर फिर कागज बना लिया जाता है।

रणथंभौर स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर कैसे जाए

  • सड़क मार्ग- राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या  NH 11 रणथम्भौर को देश के सभी सड़को से जोड़ती है। रणथंभौर के लिए राजस्थान के लगभग सभी बड़े शहरो से बसे चलती है।
  • हवाई मार्ग- रणथंभौर से सबसे निकटस्थ एयरपोर्ट  जयपुर एयरपोर्ट है जो लगभग 150 कि.मी. की दूरी पर है।जयपुर एयरपोर्ट आकर बस या रेल से रणथंभौर त्रिनेत्र गणेश मंदिर पहुंच सकते है।
  • रेल मार्ग- रणथंभौर से सबसे निकटस्थ रेलवे-स्टेशन सवाई माधोपुर स्टेशन है। जो रणथम्भौर से लगभग 10 कि.मी. की दूरी पर है। यहाँ से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से रणथंभौर पहुंचा जा सकता है।

Other Articles: कालिका माता मंदिर: चितौरगढ़ | Kalika Mandir – Story and Importance of temple

Disclaimer : इस पोस्ट में दी गई समस्त जानकारी हमारी स्वयं की रिसर्च द्वारा एकत्रित की गए है, इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि हो, किसी की भावना को ठेस पहुंचे ऐसा कंटेंट मिला हो, कोई सुझाव हो, Copyright सम्बन्धी कोई कंटेंट या कोई अनैतिक शब्द प्राप्त होते है, तो आप हमें हमारी Email Id: (contact@kalpanaye.in) पर संपर्क कर सकते है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *