तिलिंगा मन्दिर | Tilinga Mandir
तिलिंगा मंदिर एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। तिलिंगा मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ पर एक बरगद का पेड़ है, जिससे कई सारी घन्टियाँ बंधी हुईं है। वर्तमान समय में इस पेड़ के आधा टूट जाने के कारण मन्दिर परिसर के चारों ओर बनी दीवारों पर घंटियाँ बांधी जाती है।
इन घंटियों के कारण ही इस मंदिर का नामकरण हुआ है। इस मंदिर को तिलिंगा मंदिर इसलिए कहा जाता है, क्योंकि तिलिंगा एक असमिया शब्द है, जिसका अर्थ है घंटी। यहाँ के स्थानीय लोग इस मंदिर को बहुत विशेष मानते है। कई लोगों द्वारा दावा किया जाता है, कि इस मंदिर में रहस्यमयी व आध्यात्मिक शक्तियाँ मौजूद है।
तिलिंगा मन्दिर कहाँ है? | Tilinga Mandir kha hai
Tilinga Mandir भारत के असम राज्य में स्थित है। असम राज्य में तिनसुकिया नाम का एक जिला है, जिसमें बोर्दूबी नामक एक कस्बा है। इसी कस्बे में तिलिंगा मंदिर स्थित है। ये कस्बा तिनसुकिया शहर से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ का पिनकोड 786171 है। असम राज्य भारत का एक पूर्वोत्तर राज्य है।
तिलिंगा मन्दिर का निर्माण किसने करवाया था?
Tilinga Mandir आस्था का प्रमुख केंद्र है। इस मंदिर का निर्माण किसी राजा या सम्राट ने नहीं, बल्कि चाय बागानों के व्यवस्थापकों द्वारा करवाया गया था। यह मन्दिर कुछ लोगों के सहयोग द्वारा निर्मित किया गया था।
तिलिंगा मन्दिर का इतिहास | Tilinga Mandir ka Itihas
तिलिंगा मंदिर के इतिहास की बात करें, तो यह मंदिर तकरीबन 60 साल से भी ज्यादा प्राचीन है। इस मन्दिर का निर्माण आजाद भारत में हुआ था। मन्दिर के निर्माण से पहले यहाँ एक बरगद का वृक्ष था, जो कि आज भी मौजूद है। वर्ष 1965 का समय था, जब इस बरगद के पेड़ के पास ही जमीन से एक शिव लिंग बाहर निकल आया था। आस-पास के क्षेत्रों के चाय के बागान में कार्य करने वाले मजदूरों ने जब शिव लिंग को देखा, तो आस्था की लहर पूरे क्षेत्र में फैल गयी। हिंदू परंपरा में बरगद के पेड़ का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे कल्पवृक्ष माना जाता है। कल्पवृक्ष एक दिव्य वृक्ष होता है, जिसके विषय में ये मान्यता है कि इस वृक्ष के नीचे की गयी प्रार्थना पूरी हो जाती है।
यहाँ के चाय बागान के व्यवस्थापकों द्वारा इस स्थान पर एक मंदिर बनाने का फैसला लिया गया।
शुरुआत में यह मंदिर आस-पास के क्षेत्रों में प्रसिद्ध था। लोग यहाँ अपनी मन्नतें मांगने के लिए आते तथा साथ ही यह प्रार्थना भी करते, कि यदि उनकी मन्नत पूरी हो जायेगी, तो वे दोबारा यहाँ दर्शन करने के लिए आयेंगे और अपनी आस्था के प्रतीक के रूप में एक घंटी चढायेंगे। यह लोगों का विश्वास था। कई लोगों की मनोकामनाएँ पूरी हुईं तथा उन्होंने पेड़ की शाखाओं पर घन्टियाँ बांधीं। धीरे-धीरे इस मन्दिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक होने लगी, जिसके परिणाम स्वरूप यह स्थान प्रमुख आस्था का केंद्र बन गया।
तिलिंगा मंदिर के अन्य नाम | Tilinga Mandir ke Naam
Tilinga Mandir को इसके अन्य नाम बेल टेंपल से भी जाना जाता है। इस नाम के पीछे का कारण यहाँ बंधी हुई घंटियां है। इन घंटियों की सँख्या हजारों से भी कहीं ज्यादा है। ये घंटियाँ अलग-अलग आकार तथा अलग-अलग धातुओं से बनी हुई है। पीतल , काँसा, एलुमिनीयम तथा कॉपर जैसी धातुओं से बनी घंटियों की यहाँ भरमार है, जो की श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है।
तिलिंगा मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
Tilinga Mandir के प्रसिद्ध होने का कारण यहाँ की मान्यताएँ है। यहाँ की मान्यताओं के अनुसार यहाँ पर आकर की गयी मनोकामना खाली नहीं जाती है। यहाँ सच्चे दिल से माँगी गयी मुराद पूरी हो जाती है। मुराद पूरी होने के बाद लोग श्रद्धापूर्वक यहाँ घंटी लगाकर जाते है।
तिलिंगा मन्दिर कब जाएँ?
वैसे तो तिलिंगा मंदिर बारह महीने भक्तों के लिए खुला रहता है, लेकिन फरवरी से मई महीने का समय तथा अक्टूबर से नवंबर के महीने तक का समय यहाँ आने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इस समय यहाँ का मौसम बहुत ही अच्छा तथा बहुत सुहावना रहता है।
तिलिंगा मन्दिर हफ्ते के सातों दिन खुला रहता है। यहाँ दर्शन करने की समय सीमा सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक की है।
तिलिंगा मंदिर कैसे पहुँचे?
Tilinga Mandir जाने के लिए तीनों माध्यमों (अर्थात वायु मार्ग, रेलमार्ग, सड़क मार्ग) द्वारा पहुँचा जा सकता है। तीनों मध्यमों द्वारा निम्नलिखित तरीकों से तिलिंगा मंदिर पहुँचा जा सकता है:-
- वायु मार्ग:- तिलिंगा मंदिर का सबसे निकटतम हवाई अड्डा , डिब्रूगढ़ का मोहनबाड़ी एयरपोर्ट है। यहाँ से तिलिंगा मंदिर जाने के लिए टैक्सी या बस की सेवा उपलब्ध है। दूसरा विकल्प यह है कि एयरपोर्ट से बस के माध्यम से तिनसुकिया शहर पहुंचा जाए। तिनसुकिया शहर से बस के माध्यम से मंदिर पहुँचा जा सकता है।
- रेलमार्ग:- तिलिंगा मंदिर का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन तिनसुकिया रेलवे स्टेशन है। आस-पास के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों से यहाँ के लिए नियमित रेल मिल जाती है। इस रेलवे स्टेशन से तिलिंगा मंदिर जाने के लिए बस सेवा उपलब्ध है, जिसकी सहायता से तिलिंगा मंदिर पहुंचा जा सकता है।
- सड़क मार्ग:- बोर्दूबी कस्बा तिनसुकिया शहर से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। राज्य के विभिन्न हिस्सों से बस द्वारा तिनसुकिया शहर पहुँचा जा सकता है। तिनसुकिया शहर से तिलिंगा मन्दिर जाने के लिए बस का प्रयोग किया जा सकता है। आप चाहें तो निजी वाहन के द्वारा भी जा सकते हैं।
तिलिंगा मंदिर के आस-पास घूमने की जगहें
सादिया
यह तिनसुकिया में स्थित एक सुंदर गांव है, जो कि हिमालय की तलहटी में बसा हुआ है। यहाँ प्राकृतिक सौंदर्य की अद्भुत छटा है। माना जाता है, कि चुटिया साम्राज्य की यह तीसरी राजधानी थी।
डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान
यह भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है, जो ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है। यह एक बायोस्फीयर रिजर्व भी है। यहाँ वन्यजीवों की कई लुप्तप्राय प्रजातियाँ मौजूद है। यह उद्यान प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण है।
रंगगोरा
यह एक छोटा-सा गांव है, जो तिनसुकिया से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर है। यह गांव प्राकृतिक रूप से बहुत सुंदर है। यहाँ चाय के बागान है, जिसके लिए ये जाना जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
असम।
भगवान शिव को।
फरवरी से मई तथा अक्टूबर से नवंबर
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