सूर्य मंदिर, झालावाड़ राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्थित है। झालावाड़ जगह को झालरपाटन के नाम से भी जाना जाता है। यह सूर्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित मंदिर है। इस मन्दिर को पद्मनाभ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर 10 वीं शताब्दी में बनाया गया था। कर्नल जेम्सटॉड ने सूर्य नारायण मंदिर को चतुर्भुज मंदिर का नाम दिया था।
सूर्य नारायण मंदिर का स्थापत्य एवं शिल्पकला
झालावाड़ का विशाल सूर्य मंदिर, पद्मनाथजी मंदिर, बड़ा मंदिर, सात सहेलियों का मंदिर आदि अनेक नामों से प्रसिद्ध है। झालावाड़ का सूर्य मन्दिर की शैली उड़ीसा के कोणार्क मंदिर और खजुराहो मंदिर के आधार पर बना हुआ लगता है। झालावाड़ का यह सूर्य मंदिर अपनी तरह का एकमात्र ऐसा मंदिर है। इस सूर्य मंदिर का निर्माण कार्य 10 वीं शताब्दी में नागभट्ट द्वितीय ने करवाया था। इस सूर्य मंदिर की ऊंचाई लगभग 96 फीट है। इस मंदिर का निर्माण सूर्य के रथ की तरह किया गया है जिसमें सात घोड़े दौड़ रहे है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। सूर्य मंदिर का ऊर्घ्वमुखी कलात्मक अष्टदल कमल बहुत ही सुन्दर और जीवंत प्रतीत होता है। मंदिर का उर्ध्वमुखी अष्टदल कमल आठ पत्थरों को इस प्रकार संयोजित कर कलात्मक ढंग से उत्कीर्ण किया गया है कि मानो जैसे यह मंदिर कमल का पुष्प है।
इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए तीन तरफ से तोरण द्वार बनाये गये है। मंदिर के बीच में एक मंडप है जो विशाल स्तंभों पर टिका है। इस मंदिर के गर्भ गृह के बाहर मंदिर के तीनो किनारों पर मूर्तियाँ उकेरी गई है जो वास्तुकला और शिल्पकला का एक अनूठा संगम है। इस मंदिर की विशेष बात यह है कि मंदिर के चारों तरफ साधु की मूर्ति विराजित की गई है।
जो इतनी सुंदर है कि यह बिल्कुल सजीव लगती है।ऐसा लगता है कि मानो साधु वास्तव में घूम रहे है। साधुओ की प्रतिमाओ का अंग विन्यास इतना सुन्दर है की ये प्रतिमा एकदम जीवंत लगती है ऐसा लगता है जैसे वास्तव में कोई साधू माला फेर रहा हो। इन साधु की मूर्तियों के पाँव के अंगूठे और हाथो की उंगलियाँ देखने लायक है। इन साधु की मूर्तियों के केश विन्यास, पगड़ी, जटा और मुखाकृति भी बिल्कुल सजीव मालुम पड़ती है। मंदिर के शिखरों पर बने कलश और गुम्बज अत्यन्त मनमोहक और दर्शनीय है। गुम्बदों की आकृति को देखकर मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला का स्मरण हो जाता है। पूरा सूर्य नारायण मंदिर तोरण द्वार, निज मंदिर, मंडप, गर्भ गृह आदि बाहरी भीतरी भागों में विभक्त है।
सूर्य मंदिर झालावाड़ कैसे जाए
रेल मार्ग
झालावाड़ का निकटस्थ रेलवे स्टेशन रामगंज मंडी है जो झालावाड़ से करीब 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रेलवे स्टेशन से सूर्य मंदिर झालावाड़ पहुंचने के लिए टैक्सी, कैब, यहाँ के स्थानीय वाहनों की मदद से जाया जा सकता है।
सड़क मार्ग
झालावाड़ NH 12 से जुड़ा हुआ है जो देश के प्रमुख शहरों से राष्ट्रीय राजमार्ग के माध्यम से जुड़ा हुआ है। इस मार्ग पर राजस्थान राज्य के की सार्वजनिक और निजी बसें हैं जो झालावाड़ को आसपास के सभी प्रमुख शहरों से जोड़ती है।
वायु मार्ग
झालावाड़ का निकटस्थ हवाई अड्डा कोटा मे है जो झालावाड़ से लगभग 82 किमी दूर है। कोटा एयरपोर्ट से झालावाड़ के लिए स्थानीय वाहन, कैब अथवा टैक्सी किराए पर ले सकते है या राजस्थान रोडवेज की बस से यात्रा करके झालावाड़ पहुंच सकते है।
Other Articles: Trinetra Ganesh Temple | गणेश मंदिर: A Famous Ganesh Temple
Disclaimer : इस पोस्ट में दी गई समस्त जानकारी हमारी स्वयं की रिसर्च द्वारा एकत्रित की गए है, इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि हो, किसी की भावना को ठेस पहुंचे ऐसा कंटेंट मिला हो, कोई सुझाव हो, Copyright सम्बन्धी कोई कंटेंट या कोई अनैतिक शब्द प्राप्त होते है, तो आप हमें हमारी Email Id: (contact@kalpanaye.in) पर संपर्क कर सकते है।