स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारत के गुजरात राज्य मे स्मारक सरदार सरोवर बांध से 3.2 किमी की दूरी पर साधू बेट नामक स्थान पर है जो कि नर्मदा नदी पर एक टापू है। यह विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति व स्टैच्यू है। इस स्टैच्यू की लंबाई 182 मीटर है।
इस मूर्ति का कार्य प्रारंभ 2013 के अक्टूबर मे हुआ और अक्टूबर 2018 को समाप्त हो गया। इस स्टैच्यू का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिवस पर किया गया।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी मे प्रतिभाग
इस स्टैच्यू को बनाने के लिए बेकार लोहा प्रयोग मे लाया गया। सरदार वल्लभ भाई पटेल एकता ट्रस्ट ने इस कार्य के लिए पूरे देश मे 36 कार्यालय खोले। लोहा जुटाने के लिए एक अभियान भी चलाया गया जिस का नाम “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अभियान” रखा गया। इस अभियान के तहत लगभग 5 लाख किसानों से लोहा जुटाने का लक्ष्य रखा गया। 3 माह चले इस अभियान मे किसानो ने लोहा जुटाने मे भरपूर योगदान दिया।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की विशेषताएं
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विश्व की सबसे ऊँची बड़ी मूर्ति है। यह प्रतिमा 597 फीट ऊँची है।
- सरदार वल्लभ भाई पटेल की पूरी प्रतिमा पर कांस्य का लेप किया गया है।
- मूर्ति का त्रि-स्तरीय आधार है।जिसमे प्रदर्शनी फ्लोर, छज्जा और छत शामिल है। छत पर स्मारक उपवन, विशाल संग्रहालय है। प्रदर्शनी हॉल मे सरदार पटेल की जीवन तथा योगदानों को दर्शाया गया है।
- नर्मदा नदी के उपर 500 फिट ऊँचा आब्जर्वर डेक का भी निर्माण किया गया है जिसमे एक ही समय में दो सौ लोग मूर्ति को देख सकते हैं।और उसका रखरखाव कर सकते है।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक पहुंचने के लिए लिफ्ट की व्यवस्था की गई है।
- प्रत्येक सोमवार को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी स्मारक रख-रखाव की दृष्टि से पर्यटको के लिए बंद रहता है।
- सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा नाव से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की प्रतिमा इतनी बड़ी है कि इसे आसानी से 7 KM दूर से भी देखा जा सकता है।
- यह प्रतिमा 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा मे भी स्थिर खड़ा रहेगा और साथ ही यह 6.5 तीव्रता के भूकंप को भी सह सकता है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण
Statue of Unity को बनाने मे 5 वर्ष का समय लगा। इस मूर्ति के निर्माण के लिए टर्नर कंस्ट्रक्शन (बुर्ज खलीफा का परियोजना प्रबंधक) की मदद ली गयी। L&T (लार्सन एंड टरबो) ने मूर्ति पर कांस्य लेपन हेतु टीक्यू आर्ट फाउंडरी के साथ करार किया, जो कि चीन स्थित जियांगशी टॉनिक कंपनी की सहायक है।
इस प्रतिमा को बनाने की कुल लागत ₹2,063 करोड़ (US$301.2 मिलियन) है। कुछ स्थानीय लोग और राजनैतिक नेताओ ने इस कार्य का विरोध भी किया। उन के अनुसार इतनी बड़ी धनराशि कोई अन्य कार्य जैसे शिक्षा, महिला सुरक्षा, कृषि योजना पर करनी चाहिए।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी नाम क्यो रखा गया
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आजादी के वक्त कई रियासतो को भारत मे मिलाने के लिए अहम योगदान दिया था। इसीलिए इस विशाल मूर्ति का नाम सरदार वल्लभ भाई पटेल के काम पर रखा गया स्टैच्यू ऑफ यूनिटी।
सरदार वल्लभ भाई पटेल कौन थे
सरदार पटेल स्वतन्त्र भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री रहे थे। भारत के आजादी के बाद सरदार पटेल का राष्ट्र के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा, इसी वजह से सरदार पटेल के जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में प्रति वर्ष 31 अक्टूबर को मनाया जाता है।
स्टैचू ऑफ यूनिटी टाइमिंग | Statue of Unity Timing
स्टैचू ऑफ यूनिटी देखने के लिए आप मंगलवार से रविवार कभी भी प्रातः 7:30 से शाम 5 बजे तक खुल रहता है। सोमवार को देख रेख के लिए यह स्थल बंद रखा जाता है।
यहां पर सोमवार छोड़ कर बाकि दिन समय 7:30 P.M. से साउंड और लेज़र लाइट शो का आनंद ले सकते है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक कैसे पहुंचे | Statue of Unity kese Phuche
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक जाने के लिए सबसे निकटतम स्टेशन वडोदरा स्टेशन है। साथ ही वडोदरा मे हवाई अड्डा भी है जिस से पर्यटक यहाँ आसानी से आ सकते है। यह प्रतिमा वडोदरा से 89 किमी दूर है। प्रतिमा के पास मे ही केवडिया है यहाँ पर स्टेशन बनाए जाने की बात चल रही है।
अंत मे, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी वर्तमान भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट था।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न(FAQ)
स्टेचू ऑफ़ यूनिटी जाने का सही समय अक्टूबर से फरवरी का ठंडा समय बहुत अच्छा है। पर यहां स्थल पुरे साल खुला रहता है।
नर्मदा नदी
L&T
राम वनजी सुतार
लगभग 200 K.M. है।
182 Meter
143 वी सरदार पटेल की जयंती पर
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