भारत देश हमेशा से ही वीरों की भूमि रहा है। इस देश में कई वीर सपूतों ने जन्म लिया है, और अपनी शहादत से इस देश की मिट्टी को पवित्र किया है। भारत में प्रत्येक वर्ष उन वीर शहीदों की याद में शहीद दिवस मनाया जाता है। भारत में भिन्न-भिन्न तिथियों पर शहीद दिवस मनाया जाता है। इनमें से प्रमुख तिथियाँ हैं 23 मार्च, जो कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव से संबंधित है, और 30 जनवरी, जो कि महात्मा गांधी जी से संबंधित है। 24 नवंबर को भी शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो कि गुरू तेग बहादुर जी से संबंधित है।
तिथि चाहे कोई भी रहे, लेकिन शहीद दिवस की भावना एक ही रहती है, और वो है हमारे वीर शहीदों की शहादत को नमन करना। शहीद दिवस वाले दिन जगह-जगह पर देशभक्ति कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, और शहीदों से जुड़े भाषण व प्रस्तुतियाँ दी जाती हैं। इस दिन विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में भी शहीद दिवस से संबंधित कार्यक्रमों को आयोजित किया जाता है, जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे:- कविता वाचन, निबंध लेखन, चित्रकला प्रतियोगिता और भाषण प्रतियोगिता आदि आयोजित की जाती है।
कई संगठन व युवा दल इस दिन पैदल रैली तथा बाइक रैली निकालते हैं, जिसके जरिए वे शहीदों को सम्मान देने का प्रयास करते है। इस दिन कुछ सरकारी कार्यक्रम भी किए जाते हैं, जिनमें राजनेता भाषण देते हैं व इतिहास की कुछ यादों को पुनः दोहराते है।
शहीद दिवस का इतिहास
जितने भी विशिष्ट दिवस मनाए जाते हैं, उनके पीछे कोई कहानी जरूर होती है। शहीद दिवस मनाने के पीछे भी अपना एक इतिहास है।
23 मार्च: शहीद दिवस
वर्ष 1931 में 23 मार्च के दिन भारत के तीन स्वतंत्रता सेनानियों, शिवराम राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव थापर को अंग्रेजों द्वारा फांसी पर चढ़ा दिया गया था। बेहद कम आयु में इन वीरों ने जन कल्याण के लिए लड़ाई लड़ी तथा इसी उद्देश्य के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था।
भगत सिंह का जन्म 1907, 28 सितम्बर को पंजाब, लायलपुर जिले के गांव बंगा में हुआ था। उनका जन्म किसान परिवार में हुआ था। छोटी-सी उम्र में ही भगत सिंह 1919 में हुई घटना “ जलियांवाला बाग हत्याकांड” से बहुत ज्यादा प्रभावित हुए। इस हत्याकांड ने उनकी सोच पर काफ़ी ज्यादा प्रभाव डाला। आगे उन्होनें पढ़ाई छोड़कर देश के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना शुरू कर दिया।
सुखदेव का जन्म 1907, 15 मई को पंजाब के लायलपुर जिले में हुआ था। सुखदेव और भगतसिंह के परिवार लायलपुर जिले में पास-पास ही रहते थे, जिस कारण इन दोनों वीरों में अच्छी दोस्ती थी। दोनों ने साथ में लाहौर नेशनल कॉलेज में पढ़ाई की थी।
राजगुरु का जन्म 24 अगस्त, 1908 को पुणे जिले के खेड़ा में हुआ था। राजगुरु शिवाजी महाराज की छापामार शैली के प्रशंसक थे, तथा लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी के विचारों से वे भी प्रभावित थे।
1928 में जब साईमन कमीशन आया था , तो उस समय लाला लाजपत राय जी सहित कई क्रांतिकारियों ने इसका विरोध किया था। विरोध के दौरान किए गए लाठीचार्ज में लाला लाजपत राय जी की मृत्यु हो गई। इसके बाद संग्राम का मोर्चा चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह व राजगुरु आदि क्रांतिकारियों ने सम्भाला। लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह व अन्य क्रांतिकारियों ने पुलिस अधिकारी स्कॉट को मारने की योजना बनाई, लेकिन हमला अंग्रेज अधिकारी जेपी सांडर्स पर हुआ और इस हमले में सांडर्स की मृत्यु हो गई थी। 1929 में बटुकेश्वर दत्त के साथ भगत सिंह ने असेंबली हॉल में बम फेंका जिसके बाद उन्होनें “इंकलाब जिन्दाबाद” के नारे लगाए। वो वहाँ से भागे नहीं और अपनी गिरफ्तारी दी।
1931, 24 मार्च को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फाँसी दी जानी थी, लेकिन बिगड़ते माहौल को देखते हुए अंग्रेजों ने 23 मार्च को ही तीनो क्रांतिकारियों को फाँसी पर लटका दिया। उस समय तीनों की उम्र महज 23 साल ही थी।
तीनों की इस शहादत की याद में ही शहीद दिवस मनाया जाता है।
30 जनवरी: शहीद दिवस
1948, 30 जनवरी को एक ऐसी घटना हुई, जिसने समूचे विश्व को हिलाकर रख दिया। ये घटना थी महात्मा गाँधी जी की हत्या की। इस दिन नाथूराम गोडसे ने बिड़ला हाउस में गांधी जी के सीने में तीन गोलियाँ मारी, जिससे गांधी जी की मृत्यु हो गई थी। बाद में जब नाथूराम गोडसे को गिरफ्तार कर लिया गया, तो सुनवाई के दौरान उसने गांधी जी पर दोष लगाया कि देश के विभाजन में उन्हीं का हाथ था। इस घटना ने पूरी दुनिया को लगभग झकझोर कर रख दिया था। इस घटना की याद में 30 जनवरी को भी शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है, और गांधी जी को श्रद्धांजलि दी जाती है।
गांधी जी अहिंसा के पुजारी व सरल, सादगी पूर्ण व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। भारत की आजादी में उनका विशेष योगदान रहा।
शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है?
Shahid दिवस देश के वीर शहीदों का दिन है। ये दिवस मुख्यतः उन्हीं वीरों की शहादत की याद में मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए लोगों को उन वीर शहीदों के जीवन से परिचित करवाया जाता है, जिन्होंने इस देश की खातिर खुद को कुर्बान कर दिया। बच्चों व युवाओं में इस दिन के माध्यम से देशभक्ति की भावना का विकास करने का प्रयास किया जाता है। ये एक अवसर है, जिस पर युवा व अन्य लोग शहीद हो चुके महान व्यक्तियों के अमर व्यक्तित्व से कुछ सीख ले सकें व प्रेरणा ले सकें। शहीद दिवस शहीद हो चुके वीरों को नमन करने तथा उन्हें सौहार्दपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मनाया जाता है।
शहीद दिवस लोगों को 23 मार्च 1931 में घटित तीन वीर सपूतों को फाँसी दिए जाने की घटना तथा 30 जनवरी 1948 में घटित बापू ( महात्मा गाँधी ) की हत्या की घटना को दिलाने के लिए भी मनाया जाता है।
निष्कर्ष
आज भारत देश में लोग जो स्वतंत्र रूप से रह रहे हैं, उस स्वतंत्रता के लिए कई क्रांतिकारियों ने अपने जीवन की शहादत दी है। शहीद दिवस उन वीरों को ही याद करने का एक अवसर है, उन वीरों के बारे में जानने का एक मौका है तथा दिन है उन वीरों के व्यक्तित्व व वीरता को प्रणाम करने का।
हम सभी भारतीय लोगों का कर्तव्य है, कि जिस उद्देश्य के लिए उन वीरों ने कुर्बानी दी, उस उद्देश्य को पूरा करें। यही उनकी शहादत को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।
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