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भारतीय सेना दिवस

भारतीय सेना दिवस- इतिहास, कब और क्यों मनाया जाता है | Sena Diwas

Posted on December 2, 2022
Table of contents
  1. सेना दिवस कब मनाया जाता है ?
  2. भारतीय सेना दिवस का इतिहास
  3. भारतीय सेना दिवस क्यों मनाया जाता है?
  4. भारतीय सेना से जुड़ी कुछ जानकारी
  5. युद्ध के दौरान वीरता के लिए
  6. शांति काल के दौरान कार्य के लिए
  7. विभिन्न अवसरों पर भारतीय सेना की भूमिका
  8. निष्कर्ष

सेना दिवस कब मनाया जाता है ?

भारतीय सेना भारत देश की शान और गौरव है। 15 जनवरी भारतीय सेना और सम्पूर्ण भारत देश के लिए एक अहम दिन है, क्योंकि इस दिन को भारतीय सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय सेना दिवस के मौके पर पूरे देश में भारतीय थल सेना के अदम्य साहस, वीरता, शौर्य और  कुर्बानियों की दास्तान को बयान किया जाता है। जगह-जगह पर विभिन्न कार्यक्रमों  का आयोजन किया जाता है। देश की राजधानी दिल्ली में सेना के मुख्यालय के अलावा अन्य सेना मुख्यालयों सहित देश के अलग-अलग कोनों में शक्ति प्रदर्शन के साथ भारत की सेना द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों पर विशेष कार्यक्रम किए जाते हैं।

सेना दिवस वाले दिन उन सभी वीर सपूतों को याद किया जाता है, जिन्होनें अपने देश की रक्षा और देशवासियों के जीवन की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। इस दिन वीरगति को प्राप्त करने वाले हर भारतीय सैनिक को नम आंखों से श्रद्धांजलि दी जाती है। भारतीय सेना दिवस के अवसर पर हर वर्ष दिल्ली छावनी के “करिअप्पा परेड ग्राउंड” में सैनिकों द्वारा परेड निकाली जाती है, और थल सेना अध्यक्ष को सलामी दी जाती है ।

भारतीय सेना दिवस का इतिहास

भारतीय सेना दिवस के इतिहास से पहले हमें भारतीय सेना का इतिहास जान लेना चाहिए। सन् 1776 में अंग्रेजों द्वारा भारतीय सेना का गठन किया गया था, लेकिन उस समय ये ईस्ट इंडिया कंपनी की सैन्य टुकड़ी के रूप में थी। बाद में इसे ब्रिटिश भारतीय सेना कहा गया। भारत देश 1947 के अगस्त माह में आजाद हुआ था, उस समय देश भर में  शरणार्थियों के आने-जाने और व्याप्त दंगों के कारण उथल-पुथल का माहौल बना हुआ था।  इस वजह से कई प्रशासनिक समस्याएं उत्पन्न होने लगीं। बिगड़ती स्थिति को संभालने के लिए सेना की सहायता ली गई। इसके लिए एक विशिष्ट सेना कमांड को गठित किया गया, ताकि भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय शांति-व्यवस्था बनाई जा सके। उस समय भारतीय सेना के अध्यक्ष ब्रिटिश मूल के ही थे। फ़ील्ड मार्शल के. एम. केरियप्पा को अंततः सन् 1949 , 15 जनवरी को आजाद भारत का सेना अध्यक्ष बनाया गया। उस वक्त भारतीय सेना में अंदाजन  2 लाख के करीब सैनिक थे। उनसे पूर्व कमांडर जनरल रॉय फ्रांसिस बुचर इस पद पर आसीन थे।  तभी से प्रति वर्ष 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस मनाने की परम्परा शुरू की गई थी।

भारतीय सेना दिवस क्यों मनाया जाता है?

भारतीय सेना दिवस उस विशेष दिन की याद में मनाया जाता है जिस दिन के.एम. केरियप्पा ने भारतीय सेना के अध्यक्ष पद को ग्रहण किया था। भारतीय सेना दिवस सेना के शौर्य व साहस और उनके द्वारा किए गए बलिदानों को याद करने के लिए मनाया जाता है। इस दिवस पर सेना द्वारा शक्ति प्रदर्शन किया जाता है। सैनिकों को उनकी सेवा के लिए पुरस्कृत भी किया जाता है। भारतीय सेना दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य देश के नागरिकों में सेना के प्रति आदर का भाव व सम्मान की भावना का विकास करना है। ये दिन लोगों को विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से सेना की उपलब्धियों व उसकी महत्ता से परिचित कराने का एक अच्छा अवसर है। इस दिन का उद्देश्य है, युवाओं को प्रेरित करना, वीर सपूतों से परिचित कराना व देश की जनता को विश्वास दिलाना कि जब तक सेना के जवान सीमा पर तैनात हैं , वे बाहरी दुश्मनों से सुरक्षित हैं।

भारतीय सेना से जुड़ी कुछ जानकारी

  • भारतीय थल सेना, भारतीय सशस्त्र सेना का सबसे बड़ा भाग है। राष्ट्रपति इसका प्रमुख सेनापति होता है, जबकि इसकी कमान सेना अध्यक्ष के हाथ में होती है।
  • विशालता :- इसमें लगभग 12 लाख कर्मी सक्रिय रूप से हैं, तो वहीं लगभग 9 लाख 90 हजार कर्मी रिज़र्व रूप में हैं।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
  • सेना अध्यक्ष :- वर्तमान समय में इसके सेनाध्यक्ष श्री मनोज पांडे हैं। इनसे पूर्व मनोज मुकुंद नरवणे इस पद पर आसीन थे।
  • भारतीय थल सेना की संरचना :- भारतीय सेना को 13 कोर और उसके अंतर्गत कुल 35 उपभागों में बाँटा गया है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है, जो सेना प्रमुख की निगरानी में रहता है।
  • कमान संरचना:- सेना की एक प्रशिक्षण कमान और छ: क्रियाशील कमान हैं। हर कमान नई दिल्ली के मुख्यालय से संबंधित है। ये कमानें निम्नलिखित हैं:-
  • केंद्रीय कमान:- इसका मुख्यालय लखनऊ में है। लेफ्टिनेंट जनरल बी.एस. नेगी इसके कमांडर हैं।
  • पूर्वी कमान:- इसका मुख्यालय कोलकाता में है। लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बक्षी इसके कमांडर हैं।
  • उत्तरी कमान:- इसका मुख्यालय उधमपुर में है। लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अनबू इसके कमांडर हैं।
  • दक्षिणी कमान:- इसका मुख्यालय पुणे में है। लेफ्टिनेंट जनरल पी.एम. हरिज़ इसके कमांडर हैं।
  • पश्चिमी कमान:- इसका मुख्यालय चंडीमंदिर में है। लेफ्टिनेंट जनरल सुरिन्दर सिंह इसके कमांडर हैं।
  • दक्षिण–पश्चिम कमान:- इसका मुख्यालय जयपुर में है। लेफ्टिनेंट जनरल अभय कृष्ण इसके कमांडर हैं।
  • सेना प्रशिक्षण कमान:- इसका मुख्यालय शिमला में है। लेफ्टिनेंट जनरल डी. आर. सोनी इसके कमांडर हैं।
  • मेडल:- सेना के जवानों द्वारा उनके अदम्य साहस के प्रदर्शन के लिए उन्हें मेडल से सम्मानित किया जाता है। ये मेडल दो स्तर पर दिए जाते हैं, युद्ध के दौरान वीरता दिखाने के लिए और शांति काल में कार्य के लिए।

युद्ध के दौरान वीरता के लिए

  • परमवीर चक्र
    • महावीर चक्र
    • वीर चक्र

शांति काल के दौरान कार्य के लिए

  • अशोक चक्र
    •  कीर्ति चक्र
    • शौर्य चक्र

विभिन्न अवसरों पर भारतीय सेना की भूमिका

  • कश्मीर युद्ध (1947– 48)
  • भारत और चीन का युद्ध (1962)
  • भारत–पकिस्तान युद्ध (1965)
  • भारत–पाकिस्तान युद्ध (1971)
  • कारगिल युद्ध (1999)
  • सर्जिकल स्ट्राइक (28 सितम्बर 2016)
  • ऑपरेशन विजय 1 (1961)
  • ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984)
  • ऑपरेशन त्रिशूल (1988)
  • ऑपरेशन वज्र शक्ति (2002)

निष्कर्ष

देश के नागरिक रात को चैन की नींद सो सकें , इसके लिए लाखों सैनिक सीमा पर रखवाली कर रहे हैं। पूर्व में भी भारतीय सेना कई अवसरों पर अपने पराक्रम का प्रदर्शन किया है। कई वीर वीरगति को प्राप्त हो गए। सेना के इस योगदान को सम्मान देने के लिए ही भारतीय सेना दिवस को पूरा देश एक साथ मनाता है। देश के जवानों को सम्मान का सबसे बेहतर तरीका है, कि सभी देश के नागरिक अपने कर्तव्यों का पालन करें और देश को आंतरिक रूप से सुरक्षित रखें। भारतीय सेना देश की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, और हमें भी अपनी ओर से  देश के हित में कार्य करने चाहिए।

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