हम जानते है कि हमारा देश भारत सन् 1947, 15 अगस्त को आजाद हुआ था। हमें उस समय आजादी तो मिल गई थी लेकिन हमारे पास कोई स्थायी व्यवस्था नहीं थी। किसी भी देश की शासन व्यवस्था को उचित रूप से चलाने के लिए कुछ नियमों, अधिकारों और कर्तव्यों को तय करना आवश्यक होता है। इस लिए प्रत्येक देश का अपना एक संविधान होता है।
आप में से लगभग सभी “संविधान” शब्द से परिचित होंगे। विद्यालय स्तर से ही संविधान के बारे में बच्चों को बताया जाता है। बात करें संविधान की तो ये एक दस्तावेज़ होता है जिसमें किसी देश की व्यवस्था को उचित रूप से चलाने के लिए नियम, अधिकार व कर्तव्य शामिल होते हैं। संविधान शासन व्यवस्था को चलाने के लिए पथ–प्रदर्शक का कार्य करता है।
भारतीय संविधान को “फूलों का गुलदस्ता” भी कहा जाता है और इसके पीछे ये कारण है कि भारतीय संविधान में अन्य राष्ट्रों के संविधान से भी कुछ अच्छी चीज़ों को लिया गया है।
संविधान दिवस
आप में से अधिकतर लोग ये जानते ही होंगे कि हमारा भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को पूरे देश में लागू हुआ था और हमारा देश भारत एक गणराज्य बना था। इस दिन को हम प्रति वर्ष गणतंत्र दिवस के रूप में हर्ष–उल्लास के साथ मनाते है। कई लोग ऐसे भी है जो गणतंत्र दिवस और संविधान दिवस को भ्रमवश एक ही मान लेते है। हम आपको बता देते है कि ये दोनों अलग है।
संविधान को 1950 में लागू करने से पहले ही 26 नवंबर 1949 में संविधान सभा में इसे अंगीकृत कर लिया गया था या यूँ कहें कि 26 नवंबर 1949 को ही संविधान बनकर तैयार हो गया था। इसी दिन को हम “संविधान दिवस” के रूप में हर साल 26 नवंबर को मनाते है। लेकिन आपको ये भी जान लेना चाहिए कि हमेशा से ही इस दिन को संविधान दिवस के रूप में नहीं मनाया जाता था बल्कि इस दिन को राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था। सन् 2015 से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने की परंपरा शुरू की गई थी।
संविधान दिवस क्यों मनाया जाता है?
जैसा कि हम प्रति वर्ष कई दिवस मनाते है और उनको मनाने के पीछे कोई न कोई कारण होता है ठीक वैसे ही संविधान दिवस मनाने के पीछे भी कुछ कारण है। इसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों में संवैधानिक मूल्यों का प्रचार–प्रसार करना है। इसका एक मकसद संविधान निर्माताओं को सौहार्दपूर्ण श्रद्धांजली देना भी है। इसके कुछ अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं कि लोग इस दिवस पर अपने संविधान के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने का प्रयास करें, लोग अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक हों। संविधान दिवस एक अवसर उपलब्ध कराता है कि लोग अपने संविधान की यात्रा और उससे जुड़े लोगों से परिचित हो सके।
संविधान निर्माण का इतिहास
संविधान निर्माण की प्रक्रिया कोई आकस्मिक घटना नहीं थी। ये एक लंबी प्रक्रिया थी जिसके परिणामस्वरूप हमारा संविधान बनकर तैयार हुआ। बात करें संविधान सभा की तो इसका विचार सन् 1934 में आ चुका था और राष्ट्रीय कांग्रेस ने सन् 1935 से संविधान सभा की आधिकारिक रूप से माँग उठानी शुरू कर दी थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने घोषणा की थी कि स्वतंत्र भारत का संविधान, संविधान सभा द्वारा ही बनाया जायेगा और उन्होनें ये घोषणा सन् 1938 में की थी। उसके बाद क्रिप्स मिशन का आना, कैबिनेट योजना का आना आदि घटनाएँ हुईं।
सन् 1946 में 9 दिसंबर को संविधान सभा की पहली मीटिंग आयोजित की गई थी। फ्रांस की तर्ज़ पर संविधान सभा का अस्थायी अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा को बनाया गया। इस तर्ज़ के अनुसार सबसे वरिष्ठ व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया जाना था और उस समय सच्चिदानंद सिन्हा सबसे वरिष्ठ साथी थे। दो दिन बाद ही यानि 11 दिसंबर को सच्चिदानंद सिन्हा की जगह डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी सदस्य बनाया गया।
1947 में माउंटबेटन योजना और भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम आया जिसके परिणाम स्वरूप संविधान सभा को संप्रभु बनाया गया। भारत की आजादी के बाद संविधान की प्रारूप समिति का गठन किया गया और इसके अध्यक्ष बने डॉ. बी. आर. अम्बेडकर।
26 नवंबर 1949 को संविधान को संविधान सभा द्वारा पारित कर दिया गया और उस समय मौजूद 284 सदस्यों ने अपने हस्ताक्षर किए। 26 जनवरी 1950 को संविधान को पूर्ण रूप से लागू किया गया जिसे हम गणतंत्र दिवस के रूप में जानते हैं।
भारतीय संविधान की विशेषताएं
संविधान की कुछ विशेषताओं के बारे में निम्नलिखित रूप से बताया गया है:-
- भारतीय संविधान की एक विशेषता यह है कि इसमें कठोरता और लचीलेपन दोनों के ही गुण मौजूद है। अर्थात संविधान में परिवर्तन करना सरल कार्य नहीं है, इसमें आसानी से परिवर्तन नहीं किया जा सकता है लेकिन ये भी सच है कि समय की माँग के अनुसार और विशिष्ट प्रक्रिया के तहत इसमें संशोधन किए जा सकते है।
- भारतीय संविधान भारत को धर्मनिरपेक्ष बनाता है। ये किसी विशेष धर्म का पक्षधर नहीं है। संविधान की नज़र में सभी धर्म समान हैं।
- भारतीय संविधान भारत को लोकतांत्रिक देश बनाता है। ये लोगों के द्वारा ,लोगों के लिए, लोगों की शासन व्यवस्था की व्यवस्था करता है।
- मौलिक अधिकार भारतीय संविधान की एक मुख्य विशेषताओं में से एक है। भारतीय संविधान ने देश के प्रत्येक नागरिक को छ: मौलिक अधिकार दिए है।
भारतीय संविधान से संबंधित कुछ तथ्य
- भारतीय संविधान को बनने में कुल समय जो लगा था वो है:- 2 साल, 11 महीने और 18 दिन।
- विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान, भारतीय संविधान ही है।
- भारतीय संविधान ने अन्य देशों के संविधान से भी कुछ चीजों को शामिल किया है।
- भारतीय संविधान की जो मूल प्रति है वो हाथों से लिखी गई है।
निष्कर्ष
उपरोक्त लेख में हमनें जाना कि संविधान दिवस क्या है, क्यों मानाया जाता है तथा ये गणतंत्र दिवस से किस प्रकार अलग है। संविधान निर्माण एक कठिन कार्य होता है और भारतीय संविधान की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है। इन उपलब्धियों पर प्रत्येक भारतीय को खुद पर गर्व करना चाहिए। साथ ही, संविधान के नियमों को पालन करते हुए संविधान की गरिमा को बनाये रखना चाहिए।
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