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रविवार व्रत कथा

रविवार व्रत कथा, महत्त्व, उद्यापन – सम्पूर्ण जानकारी

Posted on December 19, 2022
Table of contents
  1. रविवार व्रत | Ravivar Vrat
  2. रविवार व्रत का महत्व | Ravivar Vrat ka Mahatav
  3. रविवार व्रत विधि | Ravivar Vrat Vidhi
  4. रविवार व्रत उद्यापन विधि | Ravivar Vrat Udhyapan Vidhi
  5. सूर्य देव की आरती | Surya Bhagwan Aarti
  6. सूर्य को जल देने के फायदे | Surya ko jal dene ke fayde
  7. सूर्य देव मंत्र | Surya Dev Mantra

रविवार व्रत | Ravivar Vrat

शास्त्रों के अनुसार रविवार का व्रत करना उन जातकों के लिए विशेष लाभकारी होता है, जिनकी कुंडली में सूर्य कमज़ोर हो। इसके अलावा रविवार का व्रत आत्मबल बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। इस व्रत के स्वामी सूर्य देव है। नवग्रहों में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए रविवार का व्रत रखा जाता है। यह व्रत उत्तम स्वास्थ्य और तेजस्विता प्रदान करता है।

शास्त्रों में ग्रहों की शांति के लिए व्रत के अलावा पूजा, दान, स्नान और मंत्र जाप आदि किए जाते है। इनमें से व्रत के उपायों को सबसे अधिक महत्व दिया गया है। सभी नौ ग्रहों के लिए अलग-अलग वार तय किए गए है। रविवार का व्रत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति, नेत्र रोगों में कमी, कुष्ठ और चर्म रोग में कमी, आयु वृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

रविवार व्रत का महत्व | Ravivar Vrat ka Mahatav

नौ ग्रहों में सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक की कुण्डली में सूर्य शुभ और बलवान हो तो उसे सुख, समृद्धि, सौभाग्य, स्वास्थ्य और यश की प्राप्ति होती है, जबकि कमजोर या अशुभ होने पर जातक को इसके विपरीत फल मिलते है। इन्हें जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सूर्य के अशुभ होने पर इनके मान-सम्मान को ठेस पहुंचने का खतरा हमेशा बना रहता है और इनके कार्य में अक्सर कोई न कोई बाधा आती रहती है। कुंडली में सूर्य को बलवान बनाने के लिए रविवार का व्रत पूजा, जप आदि का उत्तम उपाय माना गया है।

रविवार का व्रत करने और कथा सुनने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को मान-सम्मान, धन, यश के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। रविवार का व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते है और महिलाओं द्वारा इस व्रत को करने से उनका बांझपन भी दूर हो जाता है। इसके अलावा इस व्रत से व्रत करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

रविवार व्रत विधि | Ravivar Vrat Vidhi

रविवार का व्रत शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से प्रारम्भ करके तीस या कम से कम 12 रविवार करें। भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त करने के लिए रविवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करके लाल रंग के आसन पर बैठकर भगवान सूर्य देव के बीज मंत्र की माला का जाप करें। इसके बाद रविवार व्रत कथा और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। इसके बाद भगवान सूर्य को सुगंध, चावल, दूध, लाल फूल और जल अर्पित करें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते समय सिर पर लाल चंदन धारण करना चाहिए। रविवार के व्रत में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए और इस दिन केवल गेहूं की रोटी या गेहूं का दलिया गुड़ डालकर प्रसाद के रूप में सेवन करना चाहिए। जब आपका रविवार व्रत का संकल्प पूरा हो जाए तो आपको अंतिम रविवार व्रत के दिन कम से कम चार ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और उन्हें लाल वस्त्र, फल, मिठाई, फूल, नारियल, दक्षिणा आदि देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।

रविवार व्रत उद्यापन विधि | Ravivar Vrat Udhyapan Vidhi

एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर कमल का फूल रखे। कमल के मध्य में जल से भरा कलश रखें। कलश के ऊपर एक पात्र में सूर्य की प्रतिमा या यंत्र को स्थापित करे। इसके बाद भगवान पर पुष्पों से गंगाजल मिला हुआ जल छिड़के। इसके बाद भगवान सूर्यदेव से प्रार्थना करें कि आपने रविवार के सभी व्रत पूरी पूजा विधि से संपन्न किए हैं, आज आप व्रत का उद्यापन करने जा रहे हैं। इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेश का तिलक करें, पूजा करें और प्रसाद चढ़ाएं। अब सूर्य देव को तिलक लगाएं, उनकी पूजा करें, फूल चढ़ाएं, धूप, दीप दिखाकर वस्त्र चढ़ाएं। उन्हें प्रसाद अर्पित करें, इसके बाद हवन करे। अब अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए सूर्य नारायण से प्रार्थना करे।

सूर्य देव की आरती | Surya Bhagwan Aarti

कहुँ लगि आरती दास करेंगे,

सकल जगत जाकी जोत विराजे। ।।टेक।।

सात समुद्र जाके चरणनि बसे,

कहा भये जल कुम्भ भरे हो राम।

कोटि भानु जाके नख की शोभा,

कहा भयो मंदिर दीप धरे हो राम।

भार अठारह रामा बलि जाके,

कहा भयो शिर पुष्प धरे हो राम।

छप्पन भोग जाके नितप्रति लागे,

कहा गयो नैवेद्य धरे हो राम।

अमित कोटि जाके बाजा बाजे,

कहा भयो झनकार करे हो राम।

चार वेद जाको मुख की शोभा,

कहा भयो ब्रह्म वेद पढ़े हो राम।

शिव सनकादि आदि ब्रह्मादिक,

नारद मुनि जाको ध्यान धरे हो राम।

हिम मंदार जाके पवन झकोरें,

कहा भयो शिर चँवर ढुरे हो राम।

लख चौरासी बंध छुड़ाए,

केवल हरियश नामदेव गाए हो राम।

सूर्य देव की आरती

सूर्य को जल देने के फायदे | Surya ko jal dene ke fayde

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। प्रतिदिन सूर्य को जल देने से आत्म शुद्धि और बल की प्राप्ति होती है। सूर्य को जल देने से स्वास्थ्य लाभ होता है। उगते हुए सूर्य को नियमित रूप से जल देने से व्यक्ति की आंखें स्वस्थ रहती है।

इसके लिए व्यक्ति को जल देते समय जल के पात्र को सिर के सामने रखना चाहिए और गिरते हुए जल के बीच में आंखों को एकाग्र करते हुए सूर्य को देखना चाहिए। इससे नजर दोष दूर होता है।

जिनकी जन्म कुण्डली में सूर्य लग्न से 12वें या दूसरे घर में होता है, वे नेत्र रोगों से ग्रसित होते हैं, उनके लिए यह उपाय बहुत लाभकारी होता है।

सूर्य देव मंत्र | Surya Dev Mantra

सूर्य देव को नियमित रूप से अर्घ्य देने से कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है। साथ ही इस उपाय से मान-सम्मान में वृद्धि, नौकरी में तरक्की और कई सफलताओं के द्वार खुलते है। अर्घ्य अर्पित करते समय सूर्य देव के 12 मंत्रों का जाप करना लाभकारी होता है।

  1. ॐ हृां मित्राय नम: – यदि आप अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करना चाहते हैं और चाहते हैं कि आपकी कार्य करने की क्षमता बढ़े तो आपको सूर्य देव को अर्घ देते समय उनके पहले मंत्र का नियमित जाप करना चाहिए।
  2. ॐ हृीं रवये नम: – यदि आप तपेदिक से पीड़ित हैं और अपने शरीर के रक्त परिसंचरण में सुधार करना चाहते हैं तो सूर्य देव के सामने खड़े होकर इस मंत्र का जाप करें। कफ आदि रोग भी इससे दूर होते हैं।
  3. ॐ हूं सूर्याय नम: – मानसिक शांति के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे बुद्धि भी बढ़ती है।
  4. ॐ ह्रां भानवे नम: – मूत्राशय से संबंधित समस्याओं के लिए आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  5. ॐ हृों खगाय नम: – मलाशय से संबंधित समस्याओं के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके जाप से बुद्धि का विकास होता है और शरीर का बल भी बढ़ता है।
  6. ॐ हृ: पूषणे नम: – यदि आप अपने बल और धैर्य को बढ़ाना चाहते हैं तो इस मंत्र का जाप करें। इससे मनुष्य का मन भी धार्मिक कार्यों में लगा रहता है।
  7. ॐ ह्रां हिरण्यगर्भाय नमः – यह मंत्र विद्यार्थियों को विशेष रूप से लाभ पहुंचाता है। इसके जप से शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक शक्तियों का विकास होता है।
  8. ॐ मरीचये नमः – इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति निरोगी काया प्राप्त करता है। इससे मनुष्य को कोई रोग नहीं होता है।
  9. ॐ आदित्याय नमः – इस मंत्र के जाप से बुद्धि तेज होती है और आर्थिक परेशानी दूर होती है।
  10. ॐ सवित्रे नमः – इस मंत्र के जाप से मनुष्य का मान-सम्मान बढ़ता है। साथ ही सूर्य देव की विशेष कृपा बनी रहती है। इसके अलावा मनुष्य की कल्पना शक्ति भी बढ़ती है।
  11. ॐ अर्काय नमः – अगर आप वेदों के रहस्यों को जानना चाहते हैं तो इस मंत्र का जाप करना लाभकारी हो सकता है। इसके अलावा इस मंत्र के जाप से दिमाग मजबूत होता है। जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
  12. ॐ भास्कराय नमः – इस मंत्र के जाप से आंतरिक और बाहरी शरीर स्वच्छ रहता है। साथ ही मन भी प्रसन्न रहता है।

सूर्य देव की कृपा पाने के लिए उन्हें प्रतिदिन नियमित रूप से अर्घ्य दें। यदि प्रतिदिन संभव न हो तो प्रत्येक रविवार को अर्घ्य दें और इनमें से किसी एक मंत्र का जाप करें। यह आपको सुख, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देगा।

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