राष्ट्रीय युवा दिवस कब मनाया जाता है | Rastriya Yuva Diwas Kab manaya Jata hai
भारत देश में कई ऐसे व्यक्तित्वों का उद्भव (उत्पन्न) हुआ है, जिन्होनें पूरे विश्व में अपनी छाप छोड़ी है। उन्हीं में से एक स्वामी विवेकानंद जी भी है। हर साल 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती मनायी जाती है जिसे पूरे देश में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रीय युवा दिवस (Rastriya Yuva Diwas) युवाओं को समर्पित है। भारत देश की बात करें, तो भारत देश की अधिकांश जनसंख्या युवाओं की है। युवाओं को आमतौर पर किसी भी राष्ट्र के निर्माता के तौर पर देखा जाता है, जो कि सही भी है। किसी भी राष्ट्र की प्रगति और विकास में वहाँ के युवाओं कि अहम भूमिका होती है। युवाओं में ऊर्जा की अधिकता होती है, जिसे यदि अच्छे कार्यों में खर्च किया जाये, तो एक बेहतर समाज का निर्माण किया जा सकता है।
राष्ट्रीय युवा दिवस पर अक्सर युवा समूह स्वामी विवेकानंद जी की जयंती के उपलक्ष्य में रैलियाँ निकालते है। देशभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। ये कार्यक्रम युवाओं व स्वामी विवेकानंद जी से सम्बंधित होते है। इस दिन सरकार की तरफ से भी युवाओं के लिए विभिन्न योजनाओं का कार्यान्वयन किया जाता है।
एक समाज में युवाओं की स्थिति समाज के भविष्य के निर्माण को निर्धारित करती है।
राष्ट्रीय युवा दिवस का इतिहास | Rastriya Yuva Diwas ka Itihas
राष्ट्रीय युवा दिवस का इतिहास 35 वर्ष से अधिक पुराना है। सन् 1984 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक निर्णय लिया, जिसके अनुसार सन् 1984 को “अंतर्राष्ट्रीय युवा वर्ष” के रूप में घोषित किया गया। हालाँकि संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की शुरुआत 1999 से की गई थी। 1984 के फैसले से प्रभावित होकर भारत सरकार ने सन् 1984 में ही 12 जनवरी, यानि स्वामी विवेकानंद जी की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। तभी से हर साल राष्ट्रीय युवा दिवस को 12 जनवरी के दिन मनाया जाता है।
प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस पर एक विषय (थीम) रखा जाता है। थीम का चयन देश की समकालीन स्थिति और प्रासंगिकता के अनुसार किया जाता है। वर्ष 2022 की थीम “ इट्स ऑल इन माईन्ड” रखी गई थी। कुछ अन्य वर्षों में रखी गई थीमें निम्नलिखित हैं:-
- वर्ष 2011:- इस वर्ष के लिए “ सबसे पहले भारत” थीम रखी गई।
- वर्ष 2012:- इस वर्ष के लिए “विविधता में एकता का जश्न” विषय रखा गया था।
- वर्ष 2013:-इस वर्ष के लिए “ युवा शक्ति की जागरुकता” थीम थी।
- वर्ष 2014:-इस वर्ष के लिए “ड्रग्स मुक्त संसार हेतु युवा” थीम थी।
- वर्ष 2015:- इस वर्ष के लिए “ ‘यंगमंच’ और हरे, स्वच्छ एवं प्रगतिशील भारत के लिए युवा” थीम थी।
- वर्ष 2016:- “विकास,सद्भाव और कौशल के लिए भारतीय युवा” इस वर्ष की थीम थी।
- वर्ष 2017:- इस वर्ष के लिए “यूथ फ़ॉर डिजिटल इंडिया” विषय को रखा गया।
- वर्ष 2018:- इस वर्ष के लिए “संकल्प से सिद्धि” थीम रही।
- वर्ष 2019:- इस वर्ष के लिए “राष्ट्र निर्माण में युवा शक्ति का प्रयोग” थीम रही।
- वर्ष 2020:- इस वर्ष के लिए “चैनलाइजिंग यूथ पावर फ़ॉर डेवलपमेंट ऑफ़ नेशन” विषय रखा गया।
वर्ष 2021 का विषय “युवा:- उत्सव नवीन भारत का” रखा गया था।
राष्ट्रीय युवा दिवस क्यों मनाया जाता है? | Rastriya Yuva Diwas kyo Manaya Jata hai
राष्ट्रीय युवा दिवस का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र के युवाओं को प्रोत्साहित करना व एकजुट करना है, ताकि वे राष्ट्र निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभा सकें। इस दिवस को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती के दिन ही मनाया जाता है, क्योंकि स्वामी विवेकानंद जी को युवाओं का प्रसिद्ध नेता माना जाता है। स्वामी जी के व्यक्तित्व की कई ऐसी बातें हैं जिनसे आज के युवा प्रेरणा ले सकते हैं। स्वामी जी ने अपने जीवन के दौरान युवाओं के लिए कई प्रेरक संदेश दिए। स्वामी विवेकानंद के अनुसार युवा शक्ति अगर समाज में परिवर्तन लाना चाहे तो उन्हें कोई उन्हें रोक नहीं सकता। स्वामी जी ने समाज में युवा शक्ति को काफ़ी ज्यादा महत्व दिया है।
इस दिवस पर युवाओं के लिए कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम किए जाते है। विद्यालयों में भी विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इन सभी का एक ही उद्देश्य है कि युवा अपनी भूमिका को जानें, अपने महत्व को समझें,और कुछ बेहतर करने का निरंतर प्रयास करते रहें।
कौन है स्वामी विवेकानंद? | Swami Vivekananda Kon hai
स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) जी भारत के एक युवा दार्शनिक और सन्यासी थे। उनका जन्म 12 जनवरी सन् 1863 में कोलकाता शहर में हुआ था। उनके एक गुरू थे जिनका नाम रामकृष्ण परमहंस था। अपने इन्हीं गुरू से स्वामी जी ने अध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति की थी। काफ़ी युवा अवस्था में ही उन्होनें ये ज्ञान प्राप्त कर लिया था। उन्होनें अपने ज्ञान और अपने गुरुजी के विचारों को लोगों के बीच फैलाया। अपने जीवन काल के दौरान उन्होनें कई देशों की यात्रा की, और वहाँ योग व वेदांत की शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया। उन्होनें भारत और पश्चिमी देशों के बीच वैचारिक दूरी को कम करने का भी प्रयास किया।
उनके द्वारा शिकागो में दिया गया भाषण आज भी भुलाया नहीं गया है। इस भाषण की शुरुआत में ही उन्होनें सभी श्रोताओं को संबोधित करते हुए “मेरे प्रिय भाईयों और बहनों!” कहा था, और इसके माध्यम से उन्होनें वसुधैव कुटुंबकम् के भाव को बल दिया था। उनके इस प्रकार संबोधित करने पर वहाँ उपस्थित तमाम लोगों ने तालियाँ बजा कर उनका अभिनंदन किया था ।
स्वामी जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा के कार्यों के लिए समर्पित कर दिया था। वर्ष 1902 में उनका देहांत हो गया था। कई लोगों का मानना है कि उन्होनें समाधि ली थी।
स्वामी विवेकानंद जी के कुछ अनमोल विचार
- स्वामी विवेकानंद के अनुसार “ यदि हम किसी भी कार्य को पूरी लगन के साथ करते हैं, तो वो कार्य आसान लगता है, लेकिन यदि हम आलस करते हैं, तो हर कार्य कठिन ही लगता है।
- स्वामी जी के अनुसार “मनुष्य को तब तक परिश्रम करते रहना चाहिए जब तक वह अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लेता । यदि कोई भी व्यक्ति लक्ष्य प्राप्ति के लिए कड़ी लगन के साथ परिश्रम करेगा, तो वह जरूर कामयाब होगा।
- विवेकांनद जी के अनुसार “व्यक्ति का संघर्ष जितना कठोर होगा, उसकी विजय भी उतनी बड़ी होगी। अर्थात् जब हम किसी भी उद्देश्य पूर्ति के लिए कड़ा संघर्ष करते हैं तो हमें उतनी ही विशाल सफलता की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय युवा दिवस पर हर युवा को स्वामी विवेकानंद जी (Swami Vivekananda Ji) के व्यक्तित्व से कुछ प्रेरणा लेनी चाहिये,और राष्ट्र के निर्माण में अपनी भूमिका सुनिश्चित करनी चाहिए। युवाओं में नई ऊर्जा का संचार होता है, यदि वे इसे समाज के हित में लगाएँ ,तो एक अच्छे और बेहतर समाज का निर्माण किया जा सकता है।
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