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राष्ट्रीय बालिका दिवस

राष्ट्रीय बालिका दिवस – सम्पूर्ण जानकारी

Posted on January 8, 2023
Table of contents
  1. राष्ट्रीय बालिका दिवस कब मनाते है
  2. राष्ट्रीय बालिका दिवस कैसे मनाया जाता है
  3. राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत कब हुई
  4. राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीमें
  5. राष्ट्रीय बालिका दिवस क्यों मनाया जाता है
  6. वर्तमान भारतीय समाज में बालिकाओं की स्थिति
    1. साक्षरता दर
    2. लैंगिक भूमिका
    3. समाजीकरण
    4. राजनैतिक स्थिति
    5. सुरक्षा
  7. भारतीय सरकार द्वारा बालिकाओं की बेहतर स्थिति के लिए की गयी पहलें

राष्ट्रीय बालिका दिवस कब मनाते है

प्रत्येक वर्ष हम कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्व के दिवसों को मनाते है। हर दिवस का अपना महत्व व मनाए जाने का कारण होता है। इन्हीं विशेष दिनों में से एक राष्ट्रीय बालिका दिवस भी है। राष्ट्रीय बालिका दिवस एक राष्ट्रीय स्तर का दिवस है।

भारत में हर वर्ष जनवरी माह की 24 तारीख को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय समाज में लड़कियों की स्थिति व उनके कल्याण के लिए इस दिन का बहुत महत्व है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सौजन्य से इस दिवस के विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित किया जाता है।

राष्ट्रीय बालिका दिवस कैसे मनाया जाता है

राष्ट्रीय बालिका दिवस पर समाज में बालिकाओं की स्थिति को बढ़ावा देने व समाज में उन्हें बराबरी का दर्जा देने के लिए पूरे देश में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन भारतीय समाज में बालिकाओं की ओर लोगों की चेतना बढ़ाने  हेतु भारतीय सरकार द्वारा एक विस्तृत अभियान आयोजित किया जाता है। इस अभियान के जरिए भारतीय समाज में बालिकाओं  के साथ की जाने वाली असमानता को चिन्हित किया जाता है। विभिन्न संचार माध्यमों की सहायता से नारी-सशक्तीकरण से जुड़े संदेशों को लोगों तक पहुँचाया जाता है।

विद्यालयों – महाविद्यालयों में  इस विषय पर विभिन्न प्रतियोगिताओं को अयोजित किया जाता है। सामजिक संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए रैलियाँ निकाली जाती है।

राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत कब हुई

राष्ट्रीय बालिका दिवस के इतिहास की बात करें, तो इस दिन की नींव 2008 में रखी गई थी। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा इस दिन की शुरुआत वर्ष 2008 से की गई थी, तब से हर साल इस दिवस को पूरे भारत में मनाया जाता है।

24 जनवरी के दिन ही इस दिवस को मनाए जाने के पीछे का मुख्य कारण यह है, कि 24 जनवरी के दिन ही श्रीमती इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठी थी।

राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीमें

इस दिवस को मनाने के लिए एक विषय भी रखा जाता है, जो इस दिवस के केंद्र के रूप में रहता है। इस दिवस से जुड़ी कुछ थीमें निम्नलिखित है:-

  • वर्ष 2021 की थीम ‘डिजिटल पीढ़ी, हमारी पीढ़ी’ रखी गई थी।
  • वर्ष 2020 में ‘मेरी आवाज, हमारा समान भविष्य’ थीम रखी गई थी।
  • वर्ष 2019 में ‘उज्ज्वल भविष्य के लिए बालिकाओं को सशक्त बनाना’ विषय रखा गया था।
  • साल 2018 में इसकी थीम ‘ लड़की एक पुष्प है, कांटा नहीं ‘ थी।
  • वर्ष 2017 में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ विषय रखा गया था।

राष्ट्रीय बालिका दिवस क्यों मनाया जाता है

राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने के पीछे कई कारण है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित है:-

  • राष्ट्रीय बालिका दिवस बालिकाओं के कल्याण के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन करने के लिए तथा आम लोगों तक इन योजनाओं के बारे में जानकारियों को पहुंचाने के लिए मनाया जाता है।
  • समाज में व्याप्त कुरीतियों , जिनका शिकार लड़कियों व महिलाओं को बनाया जाता है, ऐसी कुरीतियों को समाज से खत्म करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।
  • समाज में लड़कियों के साथ लिंग के आधार पर भेदभाव को कम करने के लिए इस दिन को मनाया जाता है, क्योंकि किसी भी प्रकार का भेदभाव एक समाज के लिए अच्छा नहीं है।
  • लोगों को महिलाओं-बालिकाओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों के प्रति आकर्षित व जागरुक करने के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस का अपना विशिष्ट महत्व है।
  • बेटे की चाह में भ्रूण हत्या करने जैसे अपराधों को कम करने तथा बेटियों को बोझ समझने जैसी तुच्छ मानसिकताओं में सुधार लाने के लिए ये दिन मनाया जाता है।
  • कई बार अधिकारों के ज्ञान अभाव  बालिकाओं के साथ शोषण किया जाता है। बालिकाओं को उनके अधिकारों से परिचित कराना व शोषण को रोकना इस दिन को मनाने का उद्देश्य है।

वर्तमान भारतीय समाज में बालिकाओं की स्थिति

साक्षरता दर

वर्तमान समय में सरकार द्वारा सभी को समान शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराने के विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं। शिक्षा के मामले में लड़कियों की स्थिति पहले की तुलना में काफ़ी सुधरी है। लड़कियों ने भी प्राप्त अवसरों पर बेहतर प्रदर्शन करके दिखाया है, जिसका सबूत लड़के-लड़कियों का उत्तीर्ण होने का अनुपात है।

हालाँकि अभी भी भारत की औसत साक्षरता दर में महिलाओं की स्थिति पुरुषों की तुलना में कम है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में ये अंतर ज्यादा है। इसके पीछे की वजहें लोगों में व्याप्त रूढ़िवादी सोच, असुरक्षा का माहौल आदि हैं।

लैंगिक भूमिका

वर्तमान समय में विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की भगीदारी बढ़ी है, चाहे वो खेल हो या राजनीति। आधुनिक परिवारों ने अपनी बेटियों पर विश्वास जताया है और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। लेकिन अभी भी समाज का एक तबका रुढ़िग्रस्तता का शिकार है, जो मानता है कि बाहरी कार्य और वित्तीय नियंत्रण पुरुषों की जिम्मेदारी है। ये तबका लड़कियों और महिलाओं को घर के कार्यों व बच्चों के लालन-पालन तक ही सीमित रखने का प्रयास करता है।

समाजीकरण

भारतीय समाज में व्यवहारगत अपेक्षाओं में भी अंतर देखने को मिलता है। जहाँ एक तरफ लड़कियों से कम बोलने, शर्माने , निश्चित तौर-तरीकों से उठने-बैठने व बात करने की अपेक्षा की जाती है, वहीं दूसरी ओर लड़कों को इस मामले में स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है।

राजनैतिक स्थिति

भारतीय राजनीति में महिलाओं की भगीदारी में सुधार तो हुआ है, लेकिन ये अपेक्षाकृत कम है।  संयुक्त राष्ट्र महिला की एक रिपोर्ट के अनुसार संसद में निर्वाचित महिला सदस्य की संख्या के मामले में भारत 193 देशों में 148 वें स्थान पर रहा।

सुरक्षा

भारतीय समाज में लड़कियों को असुरक्षा की समस्या का सामना करना पड़ता है। घरेलू हिंसा, ऑनर किलिंग, बलात्कार व यौन उत्पीड़न जैसे मामले आम बात हो चुकी है। इस असुरक्षा का प्रभाव लड़कियों की शिक्षा व भविष्य की संभावनाओं पर भी पड़ता है।

भारतीय सरकार द्वारा बालिकाओं की बेहतर स्थिति के लिए की गयी पहलें

पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा लड़कियों की बेहतर स्थिति के लिए कई सराहनीय पहलें की गयी है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित है:-

  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009)
  • सुकन्या समृद्धि योजना
  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना
  • प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना
  • धनलक्ष्मी योजना
  • भ्रूण हत्या व पूर्व लिंग जाँच को अपराध की श्रेणी में रखना।

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