रुणीजा धाम | रामदेवरा मंदिर, राजस्थान (Runija Mandir)

रुणीजा धाम अथवा रामदेवरा मंदिर राजस्थान की पश्चिमी धरा का पावन धाम है। बाबा रामदेव जनमानस के लोक देवता माने जाते है। माना जाता है कि बाबा रामदेवरा का जन्म भाद्रपद शुक्ल की द्वितीया तिथि को हुआ होगा। यह धाम अथवा मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले मे स्थित पोखरण नामक गांव से करीब 13 किलोमीटर उत्तर दिशा की ओर स्थित है। रामदेवरा मंदिर व रुणीजा धाम बाबा रामदेवजी का समाधि स्थल है। रामदेवरा ने ऊंच-नींच, जात-पात, कुलीन-अकुलीन इत्यादि लोक दोषो से मुक्त होने का मार्ग दिखाया। रुणीजा धाम मे रामदेवरा जी का भव्य मंदिर बना हुआ है। और यहाँ प्रत्येक वर्ष मे दो बार रामदेवरा में मेला भी लगता है। जिसमें बड़ी संख्या में बाबा रामदेवजी को मानने वाले लोग आते है और भाग लेते है।साथ ही साथ बाबा रामदेवरा दर्शन भी करते है।

रामदेव बाबा की कथा | Story of Ramdev Baba

प्रचलित कथनानुसार बाबा रामदेव का जन्म अजमल जी तंवर के घर हुआ था। रामदेव बाबा ने पंच पिरो को अपना चमत्कारी रूप दिखाया तब पंच बाबा ने रामदेव जी को पिरो के पर की उपाधी दी फिर वे रामसापीर कहलाये।

रामदेव बाबा के चमत्कार | Miracle of Ramdev Baba

राक्षस भैरव दमन लीला में कहा जाता है कि एक बार बाबा रामदेवजी अपने मित्रों साथ गेंद खेल रहे थे, तो उनकी गेंद राक्षस भैरव की सीमा में जा गिरी। संध्या का समय हो चुका था। और राक्षस भैरव का भय भी सबको भयभीत कर रहा था। इसीलिए कोई भी साथी गेंद लाने की हिम्मत नही कर सका। ऐसी अवस्था मे बाबा रामदेवजी स्वंय गेंद लाने के लिए गये। बालक रामदेवजी गेंद खोजते हुए जोगी बालीनाथ जी की धूनी पर पहुंच गए। उन्होंने योगीराज को चरण स्पर्श किया।और योगीराज ने बालक की पीठ थप थपाकर आशीर्वाद देते हुए आने का कारण पूछा। बालक रामदेव जी ने निश्छल भाव से गेंद वाली घटना का वर्णन किया। योगी बालीनाथ बालक रामदेव से बोले- बेटा गेंद तो जरूर मिल जायेगी किंतु दुष्ट राक्षस भैरव से पिंड कैसे छूटेगा। आधी रात के समय दुष्ट भैरव उद्घोष करता हुआ वहां आया और योगी बालीनाथ से बोला– यहाँ किसी मनुष्य की गंध आ रही है। वह कहाँ छुपा हुआ है। दुष्ट भैरव राक्षस बालक रामदेव के पास पहुँचा बालक रामदेव जी गुदड़ी ओढ़े सो रहे थे।वह वहाँ पहुंच कर गुदड़ी का एक छोर खिंचने लगा। लेकिन गुदड़ी टस से मस नहीं हुई। गुदड़ी नही उतरने पर राक्षस भैरव थक कर अपनी गुफा की ओर चला गया।

राक्षस भैरव के वापस चले जाने के बाद बालक रामदेव ने गुरू योगी बालीनाथ से आशीर्वाद लिया और राक्षस भैरव की ओर निकल पड़ा। राक्षस भैरव बहुत ही तेज गति से अपनी गुफा की ओर बढ़ रहा था। लेकिन बाबा रामदेवजी ने उसे गुफा के पास पहुंचते पहुंचते धर दबोचा। कुछ देर तक बाबा रामदेव और राक्षस भैरव मे भयंकर युद्ध होता रहा।किन्तु अंत मे दुष्ट भैरव हार कर गिर पड़ा। बाबा रामदेवजी चढ़कर उस की छाती पर बैठ गये और मुठ्ठी से प्रहार करने लगे। तब राक्षस भैरव रोने लगा और अपने प्राणों की भीख मांगने लगा। तब दयालु बाबा रामदेव जी ने भविष्य में पाप न करने का वचन लेकर उसे गुफा के आसपास की भूमि उसके विचरण हेतू दे दी। राक्षस भैरव का भय मिट जाने के कारण वर्षों से वीरान पड़ी भूमि कृषि से लहलहाने लगी।

पाली का इतिहास

बाबा रामदेव का विवाह | Marriage of Ramdev Baba

बाबा रामदेव जी की लोक प्रतिष्ठा एवं ख्याति देखकर अमरकोट (वर्तमान में पाकिस्तान में) के सोढ़ा दलैसिंह जी ने अपनी सुपुत्री नेतलदे का विवाह बाबा रामदेवजी के साथ कर दिया।

रुणीजा कामड़िया पंथ

बाबा रामदेवजी ने अछूतों के उद्धार का कार्य अपने हाथ में लिया। मानवो के बीच खड़ी इस भ्रांति की दीवार को ढहाने के लिए उन्होंने एक संत पंथ की स्थापना की। जो आगे चलकर कामड़िया पंथ कहलाया। बाबा रामदेव ने छुआछूत के साथ साथ मूर्तिपूजा जैसे पाखंडों का भी खंडन किया।बाबा रामदेव नाथ पंथी योगी थे। बाबा रामदेव ने अपने आध्यात्मिक सत्संगों में महिलाओं को भी प्रवेश और भागीदारी करने की इज़ाज़त दी थी।

रुणीजा धाम, रामदेवरा मंदिर कैसे पहुंचे | Runija Kese Phuche

सड़क मार्ग- यह मंदिर जोधपुर – जैसलमेर रोड पर पोखरण से लगभग 12 किलोमीटर दूर है। NH11के द्वारा भी यहाँ आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर जैसलमेर सिटी सेंटर से लगभग 120 किलोमीटर दूर स्थित है।

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