रामनवमी का महत्व

रामनवमी का महत्व (Ram Navami ka Mahatva)

रामनवमी हिन्दुओ के प्रमुख त्यौहार मे से एक माना जाता है। हिन्दु धर्म ग्रंथो के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को भगवान राम का जन्म हुआ था। इसीलिए इस दिन को भगवान राम का जन्मोत्सव राम नवमी मनाया जाता है।

चैत्रे नवम्यां प्राक् पक्षे दिवा पुण्ये पुनर्वसौ ।
उदये
गुरुगौरांश्चोः स्वोच्चस्थे ग्रहपञ्चके ॥
मेषं पूषणि सम्प्राप्ते लग्ने कर्कटकाह्वये ।
आविरसीत्सकलया कौसल्यायां परः पुमान् ॥

राम शब्द रवि शब्द का समानार्थक है जिसका मतलब है स्वयं का प्रकाश अथार्थ स्वयं के भीतर की ज्योति जलाना। मतलब हमारे हृदय के अंदर जो प्रकाश की ज्योति व लौ जलती है वही राम है। और शायद यही कारण है कि मनुष्य के जन्म से लेकर अंत तक मे केवल राम नाम ही व्यक्ति का साथ निभाता है। यदि यह कहा जाए कि आत्मा का प्रकाश ही राम नाम है। तो कोई अतिशयोक्ति न होगी।

रामनवमी क्या है कब मनाते है

विष्णु भगवान के सातवें अवतार भगवान राम के जन्म वाले दिन को राम नवमी कहते है। चूँकि भगवान राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को हुआ इसीलिए इसे राम नवमी कहते है।

भगवान राम भगवान  विष्णु के प्रमुख अवतारो मे से एक माने जाते है। पौराणिक कथाओ के अनुसार धरती पर फैले अत्याचार और असुरों के विनाश के लिए भगवान विष्णु ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रूप में  अवतार लिया।

रामनवमी की कथा (Ram Navami ki Katha)

महाकाव्य रामायण के अनुसार जब अयोध्या के राजा दशरथ जिनकी तीन पत्नियां थी को संतान सुख प्राप्त नही हुआ तो राजा दशरथ ने दशशावमेध यज्ञ करवाया। यज्ञ समाप्ति के बाद ऋषियो ने राजा दशरथ को कटोरी मे खीर दिया और अपनी सब पत्नी को खिलाने के लिए बोले। तब राजा दशरथ की प्रथम पत्नी रानी कौशल्या, द्वितीय पत्नी रानी सुमित्रा, और तृतीय पत्नी रानी कैकयी ने खीर खायी और नवे महीने मे रानी कौशल्या ने भगवान राम को रानी सुमित्रा ने लक्ष्मण को और रानी कैकयी ने भरत और शत्रुघ्न को जन्म दिया। आगे चलकर भगवान राम ने कई दुष्टो का संहार किया।और इन्होने ही दुष्ट राक्षस रावण का भी वध किया।

राम नवमी की पूजा से चैत्र मास के नवरात्र का भी पूजन समाप्त होता है। राम नवमी के दिन मंदिरो को सजाया जाता है। और भगवान राम के साथ माता सीता और भाई लक्ष्मण की भी साथ मे पूजा की जाती है। रामनवमी की पूजा में पहले भगवान राम पर जल, रोली और लेपन चढ़ाया जाता है, उसके बाद मूर्तियों पर मुट्ठी भरके चावल चढ़ाये जाते है। पूजा के बाद आ‍रती की जाती है। कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते है। इस दिन भजन कीर्तन का भी आयोजन होता है।और भगवान राम की महिमा के वर्णन के साथ साथ इनके बाल स्वरूप की पूजा की जाती है।

राम नवमी का महत्व | Ram Navami ka Mahatav

धार्मिक ग्रंथो के अनुसार कलियुग मे भगवान राम के स्मरण मात्र से मनुष्य सारे बाधाओ को पार कर सकेगा। मनुष्य के अंतिम समय मे भगवान राम का नाम ही मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति देगा। भगवान राम को मर्यादापुरुषोत्तम भी कहा जाता है उन्होने कठिन समय मे भी धर्म का साथ नही छोड़ा और न ही अनीति को अपनाया। इसीलिए उन्हे मर्यादापुरुषोत्तम भगवान राम भी कहते है जो बताते है कि कठिन परिस्थिती मे भी हार मान कर अनुपयुक्त कार्य नही करना चाहिए।

अंत मे महाकवि तुलसीदास के अनुसार भगवान श्रीराम का नाम अमोघ है। इन के नाम मात्र से मनुष्य के सारे क्लेश कष्ट दूर हो जाते है।

“रामनाम कि औषधि खरी नियत से खाय,
अंगरोग व्यापे नहीं महारोग मिट जाये।”

भगवान राम भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारो मे से एक माने जाते है। पौराणिक कथाओ के अनुसार धरती पर फैले अत्याचार और असुरों के विनाश के लिए भगवान विष्णु ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रूप में अवतार लिया।

अयोध्या मे रामजन्मोत्सव या रामनवमी पूजन

रामनवमी का दिन हिन्दुओ के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन होता है इस दिन वैष्णव पंथ के लोग विशेष रूप से भगवान श्री राम की पूजा अर्चना करते है और इस पूजा के उपलक्ष्य मे कई प्रकार के आयोजन भी करते है। यह पूजा पूरे भारत देश मे बहुत ही हर्षोल्ललास से मनाया जाता है। लेकिन अयोध्या मे जो भगवान श्री राम की जन्म भूमि है यहां यह रामनवमी की पूजा बहुत ही धूमधाम से मनायी जाती है। रामनवमी के दिन पूरे अयोध्या में बहुत हलचल रहती है इस दिन यहां भव्य रूप से मेले का आयोजन किया जाता है।

इस मेले में दूर-दराज से भक्त गण के साथ साथ साधु-संन्यासी भी आते है और एक साथ मिलकर रामजन्मोत्सव मनाते है। इस पूजा के दिन विशेष रूप से अयोध्या मे स्त्रियाँ विशेष तौर पर घरो को सजाती है। इस दिन स्त्रियाँ घरो को साफ सुथरा करके पवित्र कलश को घर के मंदिर मे स्थापित करती है। पूरे नौ दिन तक भगवान श्री राम के नाम लिया जाता है। साथ ही साथ कीर्तन और भजन का भी आयोजन किया जाता घरों में विशेष साज-सज्जा कर, घर को पवित्र कर कलश स्थापना की जाती है और श्रीराम जी का पूजन कर, भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।इस दिन विशेष तौर पर श्रीराम के साथ माता जानकी और लक्ष्मण जी की भी पूजा होती है।

Ramghat Chitrakoot in Hindi

रामनवमी का गूढ़ रहस्य व ज्ञान

रामनवमी पूजा भगवान श्री राम के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस पूजा का मूल उद्देश्य अपने भीतर छिपे ज्ञान के प्रकाश को औलोकिक करना उसे जागृत करना। आइऐ जानते है राम नवमी पूजा मे छिपे गूढ़ रहस्य व ज्ञान को। रामनवमी के पूजा मे भगवान राम के अलावा प्रत्येक चरित्र किसी न किसी का प्रतिनिधित्व करता है ।

माता कौशल्या के नाम का अर्थ है प्रवीणता व कुशलता मतलब भक्त गण जो भी कार्य करे बहुत ही मन लगाकर कुशल पूर्वक करे।

तो वही राजा दशरथ के नाम का अर्थ है जिस व्यक्ति के पास दस रथ हो यहां दश रथ से आशय हमारे शरीर के अंग से है। किसी भी व्यक्ति के शरीर में 10 अंग होते है। पाचँ ज्ञानेन्द्रियाँ और पांच कर्मेन्द्रियाँ (मुँह, दो हाथ, उत्सर्जन अंग, दो पैर, जननेन्द्रिय)इन सभी को नियंत्रण मे रखना भी इस पूजा का मूल उद्देश्य है।

इसी प्रकार से माता सुमित्रा के नाम का अर्थ है, जो सभी लोगो के साथ मैत्रीपूर्ण  स्वभाव रखे तो वही कैकयी नाम का अर्थ है, जो वयकति बिना किसी स्वार्थ के सबकी मदद करे। इस प्रकार रामनवमी पूजा मे निहित रहस्य व गूढ़ है कि हमारा शरीर अयोध्या राज्य के भांति है और इसके अंदर निहित पांच कर्मेन्द्रियाँ और पांच ज्ञानन्द्रियां इस अयोध्या रूपी राज्य के राजा है। और कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी माता इस शरीर को दृढ़ता, कुशलता, विकासशील और दानवीर बनाती है।

मथुरा में घूमने की जगह

Disclaimer : इस पोस्ट में दी गई समस्त जानकारी हमारी स्वयं की रिसर्च द्वारा एकत्रित की गए है, इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि हो, किसी की भावना को ठेस पहुंचे ऐसा कंटेंट मिला हो, कोई सुझाव हो, Copyright सम्बन्धी कोई कंटेंट या कोई अनैतिक शब्द प्राप्त होते है, तो आप हमें हमारी Email Id: (contact@kalpanaye.in) पर संपर्क कर सकते है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *