जयपुर अर्थात् “जीत का शहर” राजस्थान की राजधानी है। इसे आमेर के राजा सवाई जय सिंह (द्वितीय) ने 1727 में बसाया था। जयपुर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है।
यहाँ अधिकतर भवन गुलाबी रंग के है। ज्यादातर महलों और भवनों को गुलाबी धौलपुरी पत्थर से बनाया गया है। दरअसल राजा ने 1876 में वेल्स के राजकुमार (एलिजाबेथ के पुत्र) के स्वागत में या यूं कह लो दिखावे में पूरे शहर को गुलाबी रंग करने का आदेश दिया था। इसी कारण जयपुर को “पिंक सिटी” (गुलाबी नगर) भी कहा जाता है।
अधिकतर समय के लिए जयपुर पर राजपूतों ने राज किया था। ब्रिटिश शासन के वक्त भी यह राजपूतों की ही जिम्मेदारी था। शायद यही कारण है कि यहाँ दिव्य और भव्य हवेलियों, किले, महलों और भवनों की भरमार है।
यह शहर आज भी किसी राजपूत राजा की रियासत जैसा प्रतीत होता है।
यह शहर भारत के सबसे व्यवस्थित एवं विकसित शहरों में से एक है। यह आधुनिक शहरी योजना से बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि इस काम में एक इंच का भी फर्क नहीं है। बहुत बारीकी से पूरे शहर का निर्माण हुआ है।
यूनेस्को द्वारा जयपुर को 2019 में “वर्ल्ड हेरिटेज सिटी” कहा गया है।
Jaipur भारत के स्वर्णिम त्रिभुज (भारत के टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल ) का भी भाग है। इसमें दिल्ली और आगरा भी सम्मिलित है। यह तीनों शहर मिलकर एक त्रिकोण बनाते हैं जिस कारण इन तीनों को साथ में भारत का स्वर्णिम त्रिभुज कहा जाता है।
जयपुर में घूमने की जगह | Jaipur me Ghumne Ki jagah
जयपुर में घूमने की जगह इस प्रकार है।
- हवा महल
- सिटी पैलेस
- जल महल
- जयगढ़ क़िला
- रामबाग पैलेस
हवा महल (Hawa Mahal Jaipur)
हवामहल को जयपुर की पहचान माना जाता है। राजा सवाई मान सिंह द्वारा बनवाया गया इस महल का निर्माण 1799 में हुआ था। वास्तुकार लाल चंद उस्ता ने इसका निर्माण किया था। 200 से भी ज्यादा कारीगरों ने मिलकर इस पाँच मंजिला भव्य इमारत का निर्माण पूर्ण किया था।
यह महल सिटी पैलेस का ही एक भाग है।
राजा तो सिटी पैलेस में ही रहा करते थे। दरअसल यह महल राजा ने अपनी रानियों और राजघराने की महिलाओं के लिए बनवाया था। इसका कारण था कि उस समय में राजपूतों की “पर्दा प्रथा” का पालन होता था। जिस कारणवश महिलाएँ किसी भी समारोह का आनंद नहीं ले सकती थी।
राजा ने हवामहल का निर्माण कुछ ऐसा करवाया की रानियाँ नीचे गलियारों में होते समारोह को देख तो सकें परंतु कोई ऊपर ना देख सके। इसे हवामहल कहने का कारण यह है कि इस महल में 943 खिड़कियाँ है जिन्हें “झरोखा” कहा जाता है। इतनी खिड़कियाँ होने के कारण राजस्थान की तपती गर्मी में भी यह महल हमेशा हवादार और ठंडा रहता है।
सवाई मान सिंह राजा भगवान श्री कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे। इसीलिए उन्होंने हवामहल को श्री कृष्ण के मुकुट जैसा निर्मित करवाया। जयपुर के बाकी महलों की तरह इसके निर्माण में भी लाल और गुलाबी पत्थरों का प्रयोग किया गया है।
सिटी पैलेस | City Palace Jaipur
सिटी पैलेस को राज महल कहना ज्यादा उचित होगा क्योंकि पूरा शाही राजपूत खानदान इधर ही निवास करता था। इसका निर्माण दो वास्तुकारों –विद्याधर और सर सैमुअल स्विंटन जैकोब ने किया था।
पैलेस के एक संग्रहालय में आज भी राजपूतों और मुगलों के हथियारों को सहेज कर रखा गया है।
राजपूतों के पहनावे को भी रखा गया है जैसे कि राजपूती पोशाके, राजा जय सिंह द्वारा पहने गए वस्त्र, आदि। सिटी पैलेस में एक आर्ट गैलरी भी है जहाँ पर उस ज़माने के कालीन, शाही साजो-सामान, चित्र, किताबें आदि भी संभाल कर रखी गई है।
राजा जय सिंह खगोल विज्ञान में बहुत रुचि रखते थे। जिस कारण से खगोल विज्ञान की अनेक पुस्तकों का संग्रह यहाँ मिलता है।
भले ही सिटी पैलेस को एक पर्यटक स्थल बना दिया गया है परंतु सिटी पैलेस के एक भाग में अभी भी राजघराने के वंशज निवास करते हैं । इस भाग में किसी और को आने की अनुमति नहीं होती है।
जल महल | Jal Mahal Jaipur
सवाई जय सिंह ने इसका निर्माण 1699 में करवाया था और इसका नवीकरण 18 वीं शताब्दी में हुआ था।
मानसागर झील के बिल्कुल मध्य में स्थित इस महल को “आईबॉल” अथवा “रोमांटिक महल” भी कहा जाता है। राजा ने राजस्थान की तपती गर्मी को ध्यान में रखते हुए ही इस महल का निर्माण करवाया था। दरअसल इस महल के बहुत से भाग पानी के अंदर बनाए गए हैं जिस कारण इस महल में गर्मी नहीं लगती है।
यह महल भी सवाई जय सिंह ने अपनी रानियों के लिए बनवाया था। राजा खान-पान, तीज-त्यौहार और राजसी-उत्सवों पर इस महल में आया करते थे।
अब इस महल को पक्षी अभ्यारण के रूप में भी विकसित किया गया है। यहाँ 1 लाख से भी ज्यादा वृक्ष लगे हुए हैं। राजस्थान के पेड़-पौधों की बहुत सी प्रजातियाँ यहाँ देखने को मिलती है। 50 से भी अधिक माली इसकी देखभाल करते हैं।
चाँदनी रात के समय झील के मध्य में स्थित इस महल की सुंदरता अविश्वसनीय लगती है।
जयगढ़ का क़िला | Jaigarh Ka Kila
इसका निर्माण भी राजा जय सिंह ने 1726 ई. में आमेर और जयपुर की सुरक्षा के लिए करवाया था। अरावली पर्वतमाला में “चील का टीला” नामक चोटी पर यह लगभग 3 किलोमीटर लंबाई तक फैला हुआ है।
वास्तुकार विद्याधर ने इसका निर्माण किया था। यह क़िला जयपुर की सीमा पर आमेर दुर्ग और मावता झील के ऊपरी भाग में स्थित है। विश्व की सबसे बड़ी तोप भी इस क़िले में रखी हुई है।
रामबाग पैलेस (Ram Bagh Palace)
इस पैलेस का निर्माण 1835 में हुआ था। यह महल राजा सवाई मान सिंह का निवास स्थान भी हुआ करता था।
1938 में जब “रानी गायत्री देवी” विवाह करके जयपुर आई तो उनके लिए इस महल का नवीकरण करवाया गया। तब से इसे “महारानी स्वीट” कहने लगे।
1957 में राजा ने इस महल को एक आलीशान होटल में बदलवा दिया। इस महल में स्विमिंग पूल, पुस्तकालय, लग्जरी कमरे, हॉल, बिलियर्ड कक्ष आदि है। भारत के कुछ आलीशान होटलों में इसकी गणना की जाती है।
इनके अलावा भी जयपुर में बहुत से घूमने लायक स्थल है जैसे कि अंबर पैलेस, जंतर मंतर, इत्यादि।
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