पितृ पर्वत
पितृ पर्वत एक प्रसिद्ध स्थल है, जो कि इंदौर शहर में स्थित है। इन्दौर भारत के मध्यप्रदेश राज्य का एक नामचीन शहर है। पितृ पर्वत गोमतगिरी जैन मंदिर के निकट है। यहाँ का पिन कोड 452005 है। यह जगह मुख्य रूप से यहाँ मौजूद हनुमान मंदिर तथा उसमें स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है।
पितृ पर्वत के नाम के पीछे की खासियत यह है, कि यहां लोग अपने-अपने पितरों के नाम का पौधा लगाते हैं, जिसकी वजह से इस पर्वत को पितृ पर्वत कहा जाता है। यहाँ कोई भी इस प्रकार के पौधे लगा सकता है। नगर निगम इन पौधों की देख-रेख का कार्य करती है, जिस कारण किसी पौधे को तोड़ा नहीं जाता। यहाँ स्थित प्रसिद्ध हनुमान मंदिर के अलावा यहाँ का वातावरण व सुन्दरता भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
इंदौर का पितृरेश्वर हनुमान धाम
पितृ पर्वत स्थल जिसके लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, वो है यहाँ का पितृरेश्वर हनुमान मंदिर। यह मन्दिर हातोद मार्ग पर पितृ पर्वत के ऊपर स्थित है। इस मन्दिर के ऊँचाई पर स्थित होने के कारण ये दूर से ही दिख जाता है। यह मन्दिर यहाँ का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो कि इंदौर के गोमतगिरी जैन मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
इस मंदिर में हनुमान जी की बहुत बड़ी प्रतिमा स्थापित है, जो कि भव्य एवं आकर्षक है। इस प्रतिमा का रंग सुनहरा है तथा इसका तेज श्रद्धालुओं को प्रभावित करता है। हनुमान जी की यह भव्य प्रतिमा बैठे हुए की अवस्था में है और इसमें हनुमान जी को भजन करते हुए दर्शाया गया है। यह प्रतिमा मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी प्रतिमाओं में से एक है।
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में आकर हनुमान जी की पूजा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है।
हनुमान जी की प्रतिमा के साथ-साथ ये मन्दिर भी अपनी भव्यता को दर्शाता है। मन्दिर की दीवारों पर बहुत सुन्दर नक्काशी की गई है। ये सुन्दर नक्काशी लोगों को प्रभावित व आकर्षित करती है ।
हनुमान जी इस प्रतिमा की खासियत
पितृरेश्वर हनुमान मंदिर में स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा कोई आम प्रतिमा नहीं है। इस प्रतिमा की कुछ विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:-
- इस मन्दिर में स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा 108 टन वजन तथा 72 फीट की ऊँचाई की है।
- इस प्रतिमा का निर्माण ग्वालियर में हुआ था। इसे 125 कारीगरों द्वारा लगभग 7 वर्ष के समय में बनाया गया था।
- इस प्रतिमा को 265 हिस्सों में बनाया गया था। प्रतिमा के भागों को जोड़ने में करीब 2 वर्ष का समय लगा था।
- हनुमान जी की गदा की लंबाई 45 फीट तथा वजन 21 टन है।
- 28 फरवरी 2020 को इस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी, जिसके लिए सवा लाख सुन्दरकाण्ड व हनुमान चालीसा के पाठ किए गए थे।
- प्रतिमा रात्रि में सप्तरंग में चमकती है, जिसके लिए जर्मनी की लेजर लाईट का इंतजाम किया गया है।
- यह प्रतिमा अष्ट धातुओं से निर्मित है।
- यह प्रतिमा हनुमान जी की सबसे बड़ी धातु की प्रतिमा है। हालाँकि विश्व की सबसे बड़ी हनुमान जी की मूर्ति आन्ध्र प्रदेश के परितला गांव में स्थित है, जिसकी ऊँचाई करीब 135 फीट है।
हनुमान चालीसा से जुड़ी कुछ जानकारी
यह एक काव्यात्मक कृति है, जो विशेष रूप से हिंदू धर्म के लिए बहुत पवित्र है। इसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी हैं। इस काव्यात्मक कृति में श्री राम भक्त , पवनपुत्र हनुमान जी के गुणों व कार्यों का वर्णन किया गया है। इस काव्यात्मक कृति में 40 छन्द होने के कारण इसे चालीसा कहा जाता है। यह अवधी भाषा में रचित काव्य है। श्री महावीर हनुमान जी की स्तुति इस चालीसा के बिना अधूरी मानी जाती है।
हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे
हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदों को सूचीबद्ध करना कठिन है, फिर भी इसके कुछ फायदे निम्नलिखित हैं:-
- इसका पाठ करने से आध्यात्मिक संतुष्टि प्राप्त होती है।
- मन से नकारात्माकता दूर होती है तथा आशाओं के द्वार खुलते है।
- छात्रों के लिए भी इसका फायदा यह है कि इससे उनकी एकाग्रता और स्मरण शक्ति प्रबल होती है।
- इस चालीसा का पाठ करने से अनजाने भय से मुक्ति मिलती है, जैसा कि चालीसा में वर्णित है- “ भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे”।
- इसका पाठ करने से मन को शांति मिलती है तथा भक्ति भाव उत्पन्न होता है।
हनुमान चालीसा पढ़ने के नियम
- नियमित पाठ के लिए मंगलवार के दिन से शुरुआत करें।
- पाठ करने से पहले किसी आसन पर अवश्य बैठें।
- चालीसा के पाठ से पूर्व श्री गणेश एवं श्री राम की स्तुति करनी चाहिए।
- नहा- धो कर ही हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
- चालीसा का पाठ उचित रूप से करना चाहिए।
हनुमान मंत्र
विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिये हनुमान जी के विभिन्न मन्त्रों का उच्चारण किया जाता है। इनमे से कुछ इस प्रकार हैं:-
- शत्रुओं के नाश हेतु:- “ ओउम् पूर्वकपिमुखाय पंचमुखहनुमते टं टं टं टं टं सकलशत्रुसंहरणाय स्वाहा।“
- भूत–प्रेत बाधा आदि के निवारण हेतु:- “ओउम् हां हीं हूं हौं ह: सकलभूतप्रेतदमनाय स्वाहा।“
पितृ पर्वत कैसे जाएँ?
पितृ पर्वत जाने के लिए तीनों माध्यम उपलब्ध हैं, यानि आप वायु मार्ग, रेलमार्ग या सड़क मार्ग द्वारा पितृ पर्वत पहुंच सकते है।
- वायु मार्ग:- देवी अहिल्याबाई होलकर अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पितृ पर्वत का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। यहाँ से पितृ पर्वत की दूरी मात्र 3 किलोमीटर है। एयरपोर्ट से पैदल या किसी रिक्शे आदि की सहायता से पितृ पर्वत जाया जा सकता है।
- रेलमार्ग:- पितृ पर्वत रेलमार्ग द्वारा भी आसानी से पहुंचा जा सकता है। देश के विभिन्न शहरों से इंदौर जंक्शन तक रेल द्वारा पहुँचा जा सकता है। इंदौर रेलवे स्टेशन से पालिया रेलवे स्टेशन के लिए नियमित रूप से ट्रेन चलती है। पालिया से पितृ पर्वत की दूरी कुछ किलोमीटर ही है। पालिया से टैक्सी, या रिक्शा द्वारा पितृ पर्वत पहुंचा जा सकता है।
- सड़क मार्ग:- सड़क मार्ग से जाना बेहद सरल है। देश के विभिन्न स्थानों से राष्ट्रीय राजमार्गों की सहायता से इंदौर पहुँचा जा सकता है। इंदौर से बस द्वारा या टैक्सी द्वारा पितृ पर्वत पहुंचा जा सकता है। आप चाहें तो अपने निजी वाहन द्वारा भी जा सकते है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
यहाँ स्थित हनुमान जी के मन्दिर के लिए।
हतोदा रोड, इन्दौर।
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