पावागढ़ कालिका माता का मंदिर गुजरात के पंचमहल जिले मे स्थित है। यह मंदिर दक्षिणमुखी काली माँ का मंदिर है। काली माता का यह प्रसिद्ध मंदिर देवी माँ के शक्तिपीठों में से एक है। शक्तिपीठ उन पूजा स्थलों को कहा जाता है, जहाँ माँ सती के अंग गिरे थे। शिव पुराण के अनुसार पिता दक्ष के यज्ञ में जब सती माँ अपमानित होती है तो अपने योगबल से प्राण त्याग देती है।
माँ सती की इस प्रकार की मृत्यु से शिवशंकर व्यथित होकर माँ सती के मृत शरीर को लेकर तांडव करते हुए ब्रह्मांड में भटकते है। इस समय माँ के अंग जहाँ-जहाँ गिरे वहीं शक्तिपीठ बन गया। ऐसा माना जाता है कि पावागढ़ में माँ सती के दाहिने पैर की अंगुली गिरी थी।
पावागढ़ नाम कैसे पड़ा
पावागढ़ मतलब ऐसी जगह से है जहाँ पवन का वास होता है। माना जाता है कि इस दुर्गम कठिन पर्वत पर चढ़ने का काम लगभग असंभव था।
चारों तरफ खाइयों से घिरे होने के कारण यहाँ हवा का वेग भी चहुँतरफा था, इसलिए इस स्थान का नाम पावागढ़ पड़ा। अर्थात ऐसी जगह जहाँ सिर्फ पवन का वास है।
पावागढ़ कालिका माता मंदिर का महत्त्व
Pavagadh Kalika Mata Mandir का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्त्व भी है। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर श्रीराम के समय का है। इस मंदिर को ‘शत्रुंजय मंदिर‘ के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही साथ यह भी माना जाता है कि मां काली की मूर्ति महर्षि विश्वामित्र ने स्थापित की थी।
इसलिये यहाँ बहने वाली नदी का नाम महर्षि विश्वामित्र के नाम पर पड़ा “विश्वामित्री“। स्थानीय लोगो का मानना है, कि भगवान राम के साथ साथ उनके बेटे लव और कुश के अलावा बहुत से बौद्ध भिक्षुओं ने भी यहां मोक्ष प्राप्त किया है।
पावागढ़ कालिका माता मंदिर की वास्तुकला
पावागढ़ कालिका माता मंदिर का निर्माण काल 10वी – 11वी शताब्दी के बीच माना जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार इस मंदिर मे पूजा अर्चना का आरंभ राजा सरदार सदाशिव के द्वारा किया गया था।
कालिका माता मंदिर की वास्तुकला सरंचना बहुत ही अद्भुत है। इस मंदिर का परिसर दो भागों में विभाजित है। पहला परिसर जो भूतल है हिंदू मंदिरों से युक्त है, जबकि दूसरा परिसर जो मंदिर के शिखर पर है मुस्लिम धर्मस्थल है। इस मंदिर के गर्भ गृह मे लाल रंग में रंगी कालिका माता की मूर्ति स्थापित है। जबकि महाकाली उनके दाहिने ओर बाहुचरा में स्थित हैं। माना जाता है कि यहां प्रयुक्त हुआ संगमरमर का फर्श 1850 के दशक का है।
पावागढ़ कालिका माता मंदिर की विशेषतायें
- पावागढ़ कालिका माता का मंदिर देवी माँ के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है।
- Pavagadh Kalika Mata का मंदिर यूनेस्को विश्व विरासत स्थल का एक हिस्सा है।
- पावागढ़ कालिका माता के मंदिर मे माँ सती का अंगूठा गिरा था।
- पावागढ़ कालिका माता के मंदिर मे जाने के लिए 250 सीढियाँ चढ़नी पड़ती है। इसलिए यहाँ केबल कार की भी व्यवस्था की गई है।
- इस मंदिर के परिसर को दो भागों मे विभाजित किया गया है। भूतल हिन्दु धर्म वालों का धर्म स्थल है तो शीर्ष मुस्लिम धर्म वालों का धर्म स्थल।
पावागढ़ कालिका माता मंदिर कैसे पहुँचे
Pavagarh कालिका माता का मंदिर ट्रेन, बस और प्लेन के द्वारा पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग
वड़ोदरा रेलवे स्टेशन पावागढ कालिका माता मंदिर के लिए निकटतम रेलवे-स्टेशन है। जो मंदिर से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
वायु मार्ग
Pavagadh Kalika Mata Mandir के लिए निकटतम हवाई अड्डा मंदिर से लगभग 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित वड़ोदरा एयरपोर्ट है।
सड़क मार्ग
पावागढ़ का कालिका माता मंदिर तक जाने वाली सड़क वड़ोदरा के सड़क मार्ग से जुड़ती है जिस से आसानी से कालिका माता मंदिर पहुँचा जा सकता है। यहाँ बस के अलावा सेल्फ ड्राइव और टैक्सी आसानी से किराये पर मिल जाती है।
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