पशुपतिनाथ व्रत और उसकी महिमा
देवों के देव कहे जाने वाले महादेव त्रिदेव में सबसे भोले माने जाते है। कहा जाता है कि भक्त चाहें तो भक्तिभाव से महादेव को आसानी से प्रसन्न कर सकते है। यही वजह है कि महादेव की महिमा उनके भक्तों के बीच बड़ी लोकप्रिय रहती है। भक्तों पर चाहे कोई भी मुसीबत आन पड़ी हो, मगर महादेव के आगे वह क्षण भर नही ठहर सकती।
इसलिए तो भक्त महादेव को प्रसन्न करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते। वह उन्हें प्रसन्न करने के लिए कठिन से कठिन व्रत करने को तैयार रहते है ताकि भोलेनाथ की कृपा उन पर हो जाए। मगर क्या आप यह जानते है कि भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए एक व्रत रखा जाता है जिसे पशुपतिनाथ व्रत के नाम से जाना जाता है।
कहते है कि पशुपतिनाथ व्रत करने से भोलेनाथ की कृपा हो जाती है भक्तों पर। यही कारण है कि यह व्रत भक्तों के बीच इतना लोकप्रिय माना जाता है। लेकिन हर व्रत की तरह इस व्रत के भी अपने नियम है जिनका पालन करना आवश्यक है।
Tilinga Mandir in Hindi | Bell Temple
पशुपतिनाथ व्रत का महत्व
यूं तो हर किसी के जीवन में कोई ना कोई कठिनाई होती हीं है। मगर जब भक्तों को अपनी कोई इच्छा पूरी होते हुए ना नज़र आए तब वह महादेव के इस पावन व्रत को कर उनका आशीष पा सकते है। कहते है कि भक्तों के जीवन की कोई भी दुविधा इस व्रत को करने से दुर हो जाती है।
यदि कोई भक्त सच्चे मन से और पूरी निष्ठा से महादेव का यह व्रत करें तो उसकी मनोकामना ज़रुर पूर्ण होती है।
पशुपतिनाथ व्रत करने के नियम
वैसे तो हर व्रत के अपने नियम और विधि होते है। मगर महादेव के इस लोकप्रिय पशुपतिनाथ व्रत की बात हीं कुछ और है। पशुपतिनाथ व्रत के भी कुछ नियम और विधि है जिनका पालन करना अति आवश्यक है। इसलिए यह व्रत करने से पहले भक्तों को इस व्रत के नियम जान लेना ज़रुरी है।
कहा जाता है कि इस व्रत को करते वक्त भगवान शिव को पांच दिये जलाए जाते है। इसका कारण यह है कि भगवान शिव को पंचांनद के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए पंच यानि पाँच दिये जलाए जाते है।
पशुपतिनाथ व्रत को आंरभ करने के साथ पांच सोमवार तक करने का नियम है। सोमवार के दिन व्रत रखने वाले भक्तों को मंदिर में जा कर भगवान शिव की पूजा कर उनका अभिषेक करना चाहिए। मंदिर में ले जाने वाली थाली में आप रोली, चावल, फूल, फल, बिल्वपत्र, प्रसाद रख के ले जा सकते है, भोलेनाथ को अर्पित करने के लिए।
पशुपतिनाथ व्रत करने के विधि
यदि आप पशुपतिनाथ व्रत करने कि सोच रहे है, तो इस व्रत को करने की विधि आपको पता होनी चाहिए। जो हम आपकी सहायता के लिए यहां बता रहे है। कहते है कि पशुपतिनाथ व्रत पाँच सोमवार तक करना चाहिए।
इसके अलावा इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि यह व्रत आप केवल उद्यापन के पश्चात हीं करना बंद कर सकते हैं।
पशुपतिनाथ व्रत करने की विधि में सबसे पहली चीज़ जो शामिल है वह है पूजा की विधि। जिसमें सोमवार के दिन आपको सुबह नहा धो कर साफ कपड़े पहन कर मंदिर जाना चाहिए। मंदिर में जाते वक्त आप एक पूजा की थाली और कलश ले लें। थाली में आप चावल, लाल चंदन, फूल, प्रसाद, बिल्वपत्र, पंचामृत इत्यादि लेते जाएं। वहीं कलश में आप जल ले कर जाए भोलेनाथ का अभिषेक करने के लिए।
अभिषेक करने के पश्चात आप भोग लगा कर दिया जलाए और भोलेनाथ की आरती करें। सुबह की पूजा के बाद आप फल और मीठा आहार में ले सकते है।
शाम के पहर पुनः आप वही थाली ले कर मंदिर में जाए। मगर आप घर से भोग के लिए कुछ मीठा बना कर अवश्य ले जाएं। इसके अलावा 6 दिये ज़रुर ले जाएं। मंदिर में पूजा करते वक्त 6 में से पाँच दिए जलाए और भोलेनाथ से अपनी मनोकामना कहें।
घर से बना हुआ भोग मंदिर मे चढ़ायें मगर ध्यान रखें कि इस भोग का केवल दो तिहाई हिस्सा हीं मंदिर में चढायें और एक तिहाई हिस्सा वापस घर ले आएं। वहीं एक दिया भी वापस घर ले आएं बिना जलाए।
घर आने के बाद प्रवेश करने से पहले वह एक दिया द्वार पर जला कर भोलेनाथ का स्मरण करें और अपनी मनोकामना मांगे। उसके पश्चात हीं घर में प्रवेश करें।
पशुपतिनाथ व्रत में क्या खाना चाहिए ?
व्रत करने के दौरान आप सुबह पूजा के बाद फलाहार कर सकते है। इसके अलावा शाम की पूजा के पश्चात आप जो मंदिर से एक तिहाई हिस्सा भोग का ले आएं है वह पहले खुद खाएं, उसके बाद वह प्रसाद परिवार के अन्य सदस्यों को खिलाएं। इसके बाद आप अपना भोजन कर सकते है। इस व्रत में नमक के प्रयोग पर कोई मनाही नही होती।
पशुपतिनाथ व्रत कथा | Pashupatinath Vrat Katha
व्रत के दौरान सुनी जाने वाली कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव अपना भेष बदल कर एक चिंकारे का रुप ले कर निद्रा मे बैठे थे। तभी वहां सारे देवी देवता उन्हें खोजते हुए आ पहुंचे। वह सब उन्हें वापस ले जाने के प्रयास कर रहे थे की तभी चिंकारे ने नदी के उस पार छलांग लगा दी। इस छलांग से चिंकारे का सींग चार टुकडों मे टूट गया। तभी से वहां पशुपतिनाथ चतुर्मुख लिंग के रुप में प्रकट हो गए थे। वहीं से उनके इस रुप की पूजा अर्चना की जाने लगी।
पशुपतिनाथ आरती | Pashupatinath Aarti
Pashupatinath Vrat करते समय पशुपतिनाथ की आरती गाने से विशेष लाभ होता है। पशुपतिनाथ की आरती कुछ इस प्रकार है:
ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा ।
Pashupati Aarti
त्वं मां पालय नित्यं कृपया जगदीशा ॥ ॐ जय गंगाधर …
कैलासे गिरिशिखरे कल्पद्रमविपिने ।
गुंजति मधुकरपुंजे कुंजवने गहने ॥ ॐ जय गंगाधर …
कोकिलकूजित खेलत हंसावन ललिता ।
रचयति कलाकलापं नृत्यति मुदसहिता ॥ ॐ जय गंगाधर …
तस्मिंल्ललितसुदेशे शाला मणिरचिता ।
तन्मध्ये हरनिकटे गौरी मुदसहिता ॥ ॐ जय गंगाधर …
क्रीडा रचयति भूषारंचित निजमीशम् ।
इंद्रादिक सुर सेवत नामयते शीशम् ॥ ॐ जय गंगाधर …
बिबुधबधू बहु नृत्यत नामयते मुदसहिता ।
किन्नर गायन कुरुते सप्त स्वर सहिता ॥ ॐ जय गंगाधर
धिनकत थै थै धिनकत मृदंग वादयते ।
क्वण क्वण ललिता वेणुं मधुरं नाटयते॥ ॐ जय गंगाधर …
रुण रुण चरणे रचयति नूपुरमुज्ज्वलिता ।
चक्रावर्ते भ्रमयति कुरुते तां धिक तां ॥ ॐ जय गंगाधर …
तां तां लुप चुप तां तां डमरू वादयते ।
अंगुष्ठांगुलिनादं लासकतां कुरुते ॥ ॐ जय गंगाधर …
कपूर्रद्युतिगौरं पंचाननसहितम् ।
त्रिनयनशशिधरमौलिं विषधरकण्ठयुतम् ॥ ॐ जय गंगाधर …
सुन्दरजटायकलापं पावकयुतभालम् ।
डमरुत्रिशूलपिनाकं करधृतनृकपालम् ॥ ॐ जय गंगाधर …
मुण्डै रचयति माला पन्नगमुपवीतम् ।
वामविभागे गिरिजारूपं अतिललितम् ॥ ॐ जय गंगाधर …
सुन्दरसकलशरीरे कृतभस्माभरणम् ।
इति वृषभध्वजरूपं तापत्रयहरणं ॥ ॐ जय गंगाधर …
शंखनिनादं कृत्वा झल्लरि नादयते ।
नीराजयते ब्रह्मा वेदऋचां पठते ॥ ॐ जय गंगाधर …
अतिमृदुचरणसरोजं हृत्कमले धृत्वा ।
अवलोकयति महेशं ईशं अभिनत्वा ॥ ॐ जय गंगाधर …
ध्यानं आरति समये हृदये अति कृत्वा ।
रामस्त्रिजटानाथं ईशं अभिनत्वा ॥ ॐ जय गंगाधर …
संगतिमेवं प्रतिदिन पठनं यः कुरुते ।
शिवसायुज्यं गच्छति भक्त्या यः श्रृणुते ॥ ॐ जय गंगाधर …
पशुपतिनाथ व्रत उद्यापन विधि
व्रत के आंरभ के तरह हीं पशुपतिनाथ व्रत का उद्यापन भी अहम माना जाता है। जब आपके पशुपतिनाथ व्रत के पाँच सोमवार पूरे हो जाएं तब आप इस व्रत का उद्यापन कर सकते है।
इस व्रत का उद्यापन करने के लिए आपको छठे सोमवार को कोई भी वस्तु को 108 की मात्रा मे भोलेनाथ को शाम को मंदिर में चढ़ा देना है। वह वस्तु चावल, मखाना, मूंग, बिल्वपत्र इत्यादि हो सकते है। इसके अलावा भोलेनाथ को नारियल और दक्षिणा भी दें।
अंत में आप अपनी मनोकामना पुनः भोलेनाथ को कहें। सच्चे मन से की गई पूजा भगवान ज़रूर स्वीकार करते हैं।
Other Related Articles:
Bhojpur Shiv Temple | भोजपुर शिव मंदिर – “Somnath of North India”
Disclaimer : इस पोस्ट में दी गई समस्त जानकारी हमारी स्वयं की रिसर्च द्वारा एकत्रित की गए है, इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि हो, किसी की भावना को ठेस पहुंचे ऐसा कंटेंट मिला हो, कोई सुझाव हो, Copyright सम्बन्धी कोई कंटेंट या कोई अनैतिक शब्द प्राप्त होते है, तो आप हमें हमारी Email Id: (contact@kalpanaye.in) पर संपर्क कर सकते है।
Har har Mahadev!
I did this Vrat but my wish didn’t fulfill.
Can I start it again from next Monday??
Hari om!
Yes u can start but shukla paksh me start krega krishna paksh me nhi pandit ji se puch kr aur ha bhole baba pr vishwas rakhe vo apki manokamna jrur puri krege
Yes u can..
🌻 …”ॐ नमः शिवाय “…🌻
Kyaa upvas ke din madyapan sevan kr shkte hai
Kya iss vrat me namak kha sakte h….
nahi
Yah Vrat kab Shuru karna chahiye please Bataye
Kahi kahi likha hai ki 5 th somvar ko udyapan krna hai means 5th somvar ko sham ko ek nariyal chadhana hai aur kahi likha hai ki 6th somvar ko udyapan krna hai. So please muje bataiye ki kb udyapan krna hai 5th or 6th . I’m very confused please tell me.