मंदसौर में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर उत्तरी मध्यप्रदेश के लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। पशुपतिनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह माना जाता है कि मंदिर 5 वीं शताब्दी में बनाया गया था। इसे अष्टमुखी मंदिर के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि शिवलिंग के 8 मुख है, जिसके कारण इसे अष्ट अर्थात आठ मुख वाला मंदिर भी कहा जाता है।
पशुपतिनाथ मंदिर कहां स्थित है?
Pashupatinath Mandir, मध्यप्रदेश राज्य के मंदसौर में शिवना नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर मंदसौर शहर के दक्षिणी भाग में स्थित है और आगंतुकों के बीच बहुत लोकप्रिय है।
पशुपतिनाथ मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
मंदसौर में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर भगवान शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह एक दुर्लभ मंदिर है, जहां भगवान शिव की पूजा पशुपति रूप में की जाती है – जो सभी जानवरों के भगवान है। मंदिर को अष्टमुखी पशुपतिनाथ मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। यह मंदसौर में शिवना नदी के तट पर स्थित है। पशुपतिनाथ मंदिर की विशिष्टता यह है कि यहां स्थापित शिवलिंग आठ मुखों वाला है। मूर्ति को दो भागों में विभाजित किया गया है, जिसमें चार मुख ऊपरी भाग पर और शेष चार मुख नीचे की ओर है।
मंदिर में चारों दिशाओं में चार दरवाजे है- पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण। पूर्व मुख योगेश्वर के रूप में शांत है जबकि पश्चिम मुख रुद्र रूप को दर्शाता है। दक्षिण मुख सभी में सबसे चमकदार और शानदार है। उत्तर मुख भगवान शिव को वृद्धावस्था में दर्शाता है; हालाँकि यह चेहरा इतना खुश है कि ऐसा लगता है कि भगवान शिव किसी भी समय हँसी में फूट पड़ेंगे।
पशुपतिनाथ शिवलिंग वर्णन
पशुपतिनाथ मंदिर मध्यप्रदेश के मंदसौर शहर के प्रमुख मंदिरों में से एक है। पशुपतिनाथ के रूप में भगवान शिव यहां के प्रमुख देवता है। यहां भगवान शिव के आठ मुखों वाला एक अनूठा शिवलिंग स्थापित है। आठ मुख वाली मूर्ति अभी भी वैसी ही है, जैसी उस युग में मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई थी। शिवलिंग के निचले चेहरों पर आंशिक रूप से काम किया गया है और वे ऊपरी चार चेहरों की तरह स्पष्ट नहीं है। मंदिर में चार दिशाओं में चार दरवाजे है।
मंदिर में शिव लिंग 8′ x 10.5′ के आकार का है और इसका वजन 4.6 टन है। बाद में देवी माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, देवी गंगा, भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और संत आद्यशंकराचार्य जैसे अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियों को मंदिर के भीतर नंदी महाराज की एक विशाल मूर्ति के साथ स्थापित किया गया। नंदी महाराज की मूर्ति भगवान पशुपतिनाथ के पश्चिम की ओर है।
पशुपतिनाथ मंदिर, मंदसौर का इतिहास
मंदसौर को प्राचीन काल में दशपुर के नाम से जाना जाता था। यह कर्क रेखा पर स्थित है और जब सूर्य संक्रांति में होता है, तो इसकी किरणें कम शक्तिशाली होती है और इसलिए इस स्थान का नाम मंद सूर्य पड़ा, जो बाद में मंदसौर बन गया।
मंदिर का निर्माण गुप्त काल के दौरान किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने त्रिपुर संहार के समय भगवान शिव को पशुपति नाम दिया था। भगवान शिव सभी राक्षसों के स्वामी बन गए और त्रिपुरा को ध्वस्त कर दिया, जो असुर कमलाक्ष, तारकाक्ष और विद्युन्माली द्वारा प्रशासित थे। ये तीनों देवताओं और ऋषियों पर आक्रमण कर तबाही मचा रहे थे। शिव पुराण में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो अपने अहंकार, अज्ञानता और चाहतों के चंगुल में है, वह पशु है और ऐसी परिस्थितियों में केवल पशुपति ही उन्हें राहत दे सकते है।
मंदिर का इतिहास वर्ष 1961 से भी जुड़ा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि उदाजी, एक कपड़े धोने वाला व्यक्ति शिवना नदी के किनारे एक पत्थर पर कपड़े धो रहा था। एक रात, उसने स्वप्न में देखा कि प्रभु उससे कह रहे है कि वह उसकी मूर्ति पर कपड़े धो रहा है। इससे घबराकर उस व्यक्ति ने समाज के लोगों से मामले की चर्चा की तो पता चला कि वह पत्थर भगवान पशुपतिनाथ का है। चूंकि यह एक छोटा शहर था, मूर्ति को मंदिर बनाने के लिए उज्जैन ले जाने की योजना थी लेकिन परिवहन वाली गाड़ी के बैल आगे नहीं बढ़े। उस व्यक्ति ने फिर से सपना देखा, जहां भगवान ने उसे बताया कि उसी स्थान पर एक मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए, जिसने इस प्रसिद्ध मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया।
पशुपतिनाथ व्रत – सम्पूर्ण जानकारी | Pashupatinath Vrat | Pashupati vrat
मंदसौर, पशुपतिनाथ मेला
कार्तिक कृष्ण पक्ष के दौरान, तीन दिवसीय श्री पशुपतिनाथ महादेव मेले का आयोजन किया जाता है, जिसके दौरान श्री पशुपतिनाथ महादेव की विशेष पूजा की जाती है और मध्यप्रदेश राज्य सहित अन्य राज्यों और नेपाल तक के श्रद्धालु इस पूजा में शामिल होने के लिए आते है। इसके साथ ही यहां शिवना नदी के तट पर वर्षों से मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमे कई प्रकार की दुकानें और मनोरंजन संबंधी संसाधन उपलब्ध होते हैं, साथ ही श्रद्धालु इनका आनंद लेने के लिए यहां आते है।
पशुपतिनाथ मंदिर, मंदसौर दर्शन समय
मंदिर सुबह 06:00 बजे से रात 8:00 बजे तक (सप्ताह के सभी दिन) खुला रहता है। मंदसौर में जलवायु की स्थिति परिवर्तनशील है। सर्दियों के दौरान तापमान 32 से 14 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है जबकि गर्मियों में यह 34 से 44 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है। हालाँकि, मानसून विशेष रूप से जुलाई के महीने में होता है, जो अच्छी वर्षा प्रदान करता है। इसलिए वहां जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है।
पशुपतिनाथ मंदिर, मंदसौर कैसे पहुंचे?
सड़क मार्ग
मंदसौर शहर सड़कों द्वारा राज्य के अन्य सभी पड़ोसी शहरों या कस्बों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसलिए, पशुपतिनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए आगंतुक या भक्त आसानी से सड़क-परिवहन का उपयोग कर सकते है।
रेल मार्ग
निकटतम रेलवे स्टेशन मंदसौर रेलवे स्टेशन है, जो शहर को देश के अन्य सभी हिस्सों से जोड़ता है। रेलवे स्टेशन से आगंतुक या तीर्थयात्री पशुपतिनाथ मंदिर तक पहुँचने के लिए बस, टैक्सी और कैब किराए पर ले सकते है।
हवाई मार्ग
मंदसौर शहर के कुछ निकटतम हवाई अड्डों में डबोक हवाई अड्डा (148 किमी), इंदौर हवाई अड्डा (188 किमी) और भोपाल हवाई अड्डा (279 किमी) शामिल है। यहां से आगंतुक या तीर्थयात्री मंदिर तक पहुँचने के लिए बस, कार और टैक्सी किराए पर ले सकते है।
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