पार्वती नदी
भारत देश प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा हुआ है। कई नदियाँ इसकी भौगोलिक अवस्थिति का श्रृंगार करती है। इन नदियों में से एक नदी है पार्वती नदी। यह मध्यप्रदेश राज्य की एक नदी है, जो कि ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यह नदी उपनदियों की श्रेणी का एक भाग है। यह नदी चंबल नदी की सहायक नदी है, चंबल, यमुना नदी की तथा यमुना, गंगा नदी में मिल जाती है। इस प्रकार यहाँ एक श्रेणी का निर्माण होता है, जैसा कि निम्नलिखित है:-
पार्वती नदी ➡️ चंबल नदी ➡️ यमुना नदी ➡️ गंगा नदी
पार्वती नदी को “पारा” के नाम से भी जाना जाता है और कहीं-कहीं इसे पार्बती भी बुलाया जाता है।
पार्वती नदी का इतिहास
Parvati Nadi ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण नदी है। महाकवि कालिदास की महत्वपूर्ण रचना ‘मेघदूत’ में भी पार्वती नदी का निर्विन्ध्या के रूप में वर्णन किया गया है, जबकि कुछ लोगों का मत है कि निर्विन्ध्या वर्तमान की नेवाज नदी है।
‘मेघदूत’ के अलावा महाकाव्य ‘महाभारत’ में भी पार्वती नदी का जिक्र किया गया है।
पार्वती नदी कहाँ से निकलती है?
पार्वती नदी के उद्गम स्थल की बात करें, तो यह नदी मध्यप्रदेश राज्य से निकलती है। मध्यप्रदेश राज्य के सीहोर जिले में विंध्याचल की पहाड़ियों में सिद्दीकगंज ग्राम स्थित है। सिद्दीकगंज ग्राम के निकट ही करीब 610 मीटर की ऊंचाई पर Parvati Nadi का उद्गम स्थल है।
पार्वती नदी किन-किन राज्यों में बहती है?
Parvati Nadi अपने अपवाह तंत्र में केवल दो राज्यों में बहती है। पहला राज्य है मध्यप्रदेश, जहाँ से Parvati Nadi उत्पन्न होती है तथा दूसरा राज्य है राजस्थान, जहाँ पार्वती नदी, चंबल नदी में विलीन हो जाती है।
पार्वती नदी किन शहरों व जिलों से होकर बहती है?
पार्वती नदी मुख्य रूप से मोंगरा, गावा, नरसिंहगढ़, आष्टा तथा मर्हती आदि नगरों से प्रवाहित होती है।
यह मध्यप्रदेश के सीहोर, गुना, राजगढ़ व श्योपुर जिलों तथा राजस्थान के बाराँ, कोटा, व सवाई माधोपुर जिलों में प्रवाहित होती है।
पार्वती नदी का अपवाह तंत्र
पार्वती नदी अपने सफ़र की शुरुआत मध्यप्रदेश के सिद्दीकगंज ग्राम से करती है। शुरूआत में यह मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में बहती है तथा आगे चलकर गुना जिले में प्रवेश कर जाती है। बाद में यह राजस्थान के बाराँ जिले में प्रवाहित होती है। बाराँ जिले से निकलने के बाद पार्वती नदी सवाई माधोपुर जिले में प्रवाहित होती है। सवाई माधोपुर जिले में पाली ग्राम के समीप पार्वती नदी का सफ़र खत्म हो जाता है तथा यह चंबल नदी में विलीन हो जाती है।
अपने पूरे सफ़र के दौरान पार्वती नदी 471 किलोमीटर की दूरी तय करती है। Parvati Nadi करीब 18 किलोमीटर की दूरी मध्यप्रदेश तथा राजस्थान की सीमा पर तय करती है।
पार्वती नदी की सहायक नदियाँ
- ल्हासी नदी
- अंधेरी नदी
- विलास नदी
- बरनी नदी
- बैंथली नदी
- चौपट नदी
पार्वती नदी का महत्व
पार्वती नदी का अस्तित्व बहुत महत्व रखता है। यह नदी अपने आस-पास के क्षेत्रों के लिए जल का प्रमुख स्त्रोत है। इस नदी पर बहु – उद्देशीय परियोजनाएं कार्यरत है, जिनसे पनबिजली का उत्पादन किया जाता है। पार्वती नदी के जल का प्रयोग आस-पास के इलाकों में सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाता है।
यह नदी कई जलीय जीवों का भी आवास है। मछुआरों के लिए यह नदी रोजगार का साधन भी है।
पार्वती नदी पर स्थित प्रमुख बांध
पार्वती सिंचाई परियोजना
पार्वती सिंचाई परियोजना वर्तमान में निर्माण के अंतर्गत है। इस परियोजना के तहत पार्वती नदी पर रेसई गांव के निकट एक बांध का निर्माण किया जा रहा है। इस बांध को बनाने की शुरुआत वर्ष 2018 में की गयी थी और वर्ष 2023 में इसके पूर्ण हो जाने का अनुमान है।
यह बांध करीब 1815.15 करोड़ की लागत से तैयार किया जा रहा है। इस परियोजना के लिए करीब 41 गाँवों की जमीन अधिगृहित की गई है। कई गाँवो के लोगों को मुआवजा दिया जा चुका है तथा कई गाँवों को देना बाकी है।
सुठालिया परियोजना
यह परियोजना पार्वती नदी पर राजगढ़ जिले के बैराड़ गांव के निकट बांध निर्माण के लिए प्रस्तावित है। इस परियोजना को 2018 में स्वीकृति मिल चुकी है तथा 2024 तक बांध बन जाने का प्रावधान है।
इस परियोजना से करीब 3400 हेक्टेयर जमीन डूब क्षेत्र में आ रही है। कई गांव इस परियोजना से प्रभावित होने वाले है। लोगों में उचित मुआवजा न दिये जाने पर परियोजना के प्रति विरोध है।
पार्वती नदी के किनारे घूमने लायक जगहें
राष्ट्रीय घड़ियाल अभ्यारण
इसे राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण के रूप में भी जाना जाता है। यह अभ्यारण श्योपुर, मुरैना व भिंड जिलों में फैला हुआ है। यह मुख्य रूप से घड़ियालों का आवास है। घड़ियाल के अलावा यहाँ लुप्तप्राय ताजे पानी की डॉल्फिन भी पाई जाती है। यहाँ करीब 180 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
मध्यप्रदेश में स्थित इस अभ्यारण को केंद्र सरकार द्वारा ईको सेंसिटिव ज़ोन घोषित किया गया है।
धूमेश्वर महादेव मंदिर
यह मंदिर ग्वालियर जिले में डबरा से करीब 27 किलोमीटर की दूरी पर Parvati Nadi के संगम स्थान के पास स्थित है। मान्यता है , कि इस मंदिर का निर्माण एक ही रात के अंदर हुआ था तथा 1936 में ग्वालियर नरेश द्वारा इसका जीर्णोद्धार कराया गया था। यहाँ स्थापित शिवलिंग को चमत्कारी माना जाता है। मंदिर की सुंदर नक्काशी लोगों को आकर्षित करती है।
भूतेश्वर महादेव मंदिर
पार्वती नदी के किनारे स्थित यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। यहाँ नियमित रूप से कई श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते है। मंदिर की सुंदर वास्तुकला भी इसका आकर्षण है। इस मंदिर के परिसर में दुर्गा माँ, राधा-कृष्ण व हनुमान जी का भी मंदिर है। यह मंदिर बसेड़ी क्षेत्र से 3 किलोमीटर की दूरी पर है।
प्राचीन पंचमुखी हनुमान मंदिर
भुतेश्वर महादेव मंदिर के पास ही Parvati Nadi के दूसरे किनारे पर यह मंदिर स्थित है। यहाँ लोग नियमित रूप से दर्शन करने के लिए आते है। हनुमान जयंती पर यहाँ विशेष अनुष्ठान किए जाते है। इसके आस-पास का वातावरण भी काफ़ी सकारात्मक है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
471 किलोमीटर
मोंगरा, आष्टा, गावा आदि।
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