narsinghgarh ka kila

Narsinghgarh ka Kila | नरसिंहगढ़ किले का रहस्य

नरसिंहगढ़ किले के राजा की कहानी | Narsinghgarh ka Kila

कुंवर चैन सिंह मध्य प्रदेश में भोपाल के निकट स्थित नरसिंहगढ़ (Narsinghgarh ka kila) रियासत के राजकुमार थे। सन् 1818 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी ने भोपाल के तत्कालीन नवाब से समझौता करके सीहोर जिले में लगभग हजार सैनिकों की छावनी स्थापित की।  इस सैन्य टुकड़ी को वेतन भोपाल रियासत के शाही खजाने से दिया जाने लगा। धीरे धीरे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भोपाल सहित नजदीकी सभी रियासत को अपने कब्जे में लेना शुरू कर दिया। लेकिन इस आदेश को नरसिंहगढ़ रियासत के युवराज कुंवर चैन सिंह ने स्वीकार नहीं किया। और उन्होनें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को अपना किला देने से मना कर दिया।

जिसके फलस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और राजा कुंवर सिंह के बीच युद्ध हुआ।अंग्रेज सैनिकों से युवराज कुंवर चैन सिंह की जमकर मुठभेड़ हुई। कुंवर चैन सिंह अपने मुट्ठी भर विश्वस्त साथियों के साथ शस्त्रों से सुसज्जित अंग्रेजों की फौज से डटकर मुकाबला किया। घंटों चली इस युद्ध मे अंग्रेजों के तोपखाने और बंदूकों के सामने कुंवर चैन सिंह और उनके जांबाज सिपाही और लड़ाके डटे रहे और युद्ध करते है। लेकिन जून 1824 को अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ते हुए युवराज कुंवर चैन सिंह वीर गति को प्राप्त हुए।

स्थानीय लोगो के अनुसार कहा जाता है कि युद्ध के दौरान कुंवर चैन सिंह ने अंग्रेजों की अष्टधातु से बनी तोप पर अपनी तलवार से प्रहार किया लेकिन तलवार तोप को काटते हुए उसी मे फंस गई। इस मौके का फायदा उठाकर अंग्रेज तोपची ने युवराज कुंवर चैन सिंह के गर्दन पर तलवार से प्रहार कर दिया जिससे कुंवर चैन सिंह की गर्दन रणभूमि में ही कट कर गिर गई और उनका स्वामीभक्त घोड़ा शेष धड़ को लेकर नरसिंहगढ़ किला आ गया। नरसिंहगढ़ में एक कुंवरानी जी का मंदिर भी स्थित है, जो परशुराम सागर के निकट स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कुंवर चैन सिंह कि पत्नी कुंवरानी राजावत ने अपने पति कुंवर चैन सिंह कि याद में करवाया था।

मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2015 से सीहोर स्थित कुंवर चैन सिंह की छतरी पर गार्ड ऑफ ऑनर प्रारम्भ किया है।

नरसिंहगढ़ किले का रहस्य (Narsinghgarh ka Kila)

Narsinghgarh किले के बारे में एक रहस्यमयी बात का भी पता चला है। नरसिंहगढ़ शहर के आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि कुछ वर्ष पहले यहाँ कोई बारात आई होगी जो इस किले को देखने के लिए अंडर चली गए जो कभी बाहर ही नहीं आ पायी। यह बारात अब भी रहस्यमय बनी हुई है। इस किले में घनघोर अंधेरा होने के कारण दिन में भी यह किला डरावना लगता है।

नरसिंहगढ़ रियासत का इतिहास (Narsinghgarh ka Kila Itihas)

Narsinghgarh रियासत लगभग 300 साल पुराना रियासत है। नरसिंहगढ़ रियासत दीवान परसराम द्वारा सन् 1681 ई.में स्थापित की गई थी। इस रियासत मे सुंदर झील है जिसमें Narsinghgarh ka kila परिलक्षित होता है और महल मे अभी भी संस्थापक के नाम दिखाई देते है। यह रियासत भोपाल से लगभग 83 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस किले मे एक शिव मंदिर भी है, जिसे टोपिला महादेव के रूप में जाना जाता है – शरद के महीनों में यह जगह बहुत खूबसूरत और सुंदर हो जाती है।

नरसिंहगढ़ के किले का स्थापत्य | Architecture of Narsinghgarh Fort

यह किला राजपुर, मालवा और मुगल शैली में बनाया गया है। नरसिंहगढ़ का यह किला लगभग 300 वर्ष पुराना है, जो समुद्र तल से लगभग 350 फीट ऊपर एवं 45.323 एकड़ जमीन में फैला हुआ है। इस किले में 304 कमरे, 4 हॉल, 12 चौक और 64 बरामदें शामिल है। नरसिंहगढ़ का यह किला मध्यप्रदेश राज्य के मांडू और ग्वालियर किले के बाद तीसरा सबसे बड़ा किला है। इस किले को इस तरह से बनाया गया है कि इसका प्रतिबिंब सीधे परसराम तालाब में दिखाई देता है।

नरसिंहगढ़ से राजगढ़ की दूरी | Narsinghgarh to Rajgarh Distance

राजगढ़ जिले में स्थित नरसिंहगढ़ के किले को कश्मीर- ए- मालवा कहा जाता है। यह जिला मध्यप्रदेश का सर्वाधिक रेगिस्तान वाला जिला है। NH 56 के द्वारा राजगढ़ से नरसिंहगढ़ पहुँचा जा सकता है। राजगढ़ से नरसिंहगढ़ की दूरी लगभग 58 किलोमीटर है। जिसको तय करने मे लगभग दो घंटे का समय लग जाता है।

नरसिंहगढ़ में घूमने कि जगह (Narsinghgarh me Ghumne ki Jagah)

मध्यप्रदेश राज्य के राजगढ़ जिले में स्थित मिनी कश्मीर के नाम से प्रसिद्द नरसिंहगढ़ शहर अपनी प्राकृतिक खूबसूरती, मंदिर निर्माण और यहाँ मौजूद पुराने किलों के लिए दुनिया भर में विख्यात है। नरसिंहगढ़ में घूमने कि कुछ जगह इस प्रकार है –

जल मंदिर (Jal Mandir)

जल मंदिर नरसिंहगढ़ शहर के बीच में स्थित परशुराम झील के मध्य में स्थित एक मंदिर है जिसमे भगवान पशुपतिनाथ ( भगवान शिव ) कि एक पंचमुखी पिंड स्थापित है।

चिड़ीखो वाइल्ड लाइफ सेंचुरी (Chidikho Narsinghgarh)

नरसिंहगढ़ शहर में एक वाइल्ड लाइफ सेंचुरी भी है ,जो वर्ष 1974 में स्थापित किया गया था। इसमें अनेक प्रकार के पशुपक्षी पाए जाते है तथा इस सेंचुरी के अंदर एक झील भी है,जिसको चिड़ी खो के नाम से जाना जाता है ,इसी झील के नाम से इस सेंचुरी को भी चिड़ी खो अभ्यारण्य के नाम से भी जाना जाता है।

चिड़ीखो झील (Chidikho Jhil)

यहाँ झील नरसिंहगढ़ में स्थित एक वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के अंदर स्थित जीव जंतुओं के लिए पानी का एक स्रोत है जिसे चिड़ी खो के नाम से जाना जाता है।

श्यामजी सांका मंदिर (Saka Shyam Ji Mandir)

यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित मंदिर है, जो नरसिंहगढ़ से लगभग 15 किलोमीटर दूर सांका नाम के गाँव में स्थित है।

गढ़ी सरकार हनुमान मंदिर (Gadi Sarkar Mandir)

नरसिंहगढ़ में स्थित भगवान हनुमान का यह मंदिर एक प्रसिद्द मंदिर है। इस मंदिर कि ख़ास बात यहां स्थित भगवान हनुमान कि मूर्ति है जो जमीं में गढ़ी हुयी है इसलिए इस मंदिर को गढ़ी सरकार मंदिर कहा जाता है ,और इनको नगर का रक्षक भी का जाता है।

सोलह खंबा (Solah Khamba Narsinghgarh)

सोलह खंबा नरसिंहगढ़ से लगभग 10 किलोमीटर कि दुरी पर स्थित कोटरा नमक गांव में है। यह सोलह खम्बा राजा श्याम सिंह द्वारा 17 वीं शताब्दी में निर्मित है।

मारुति नंदन मंदिर (Maruti Nandan Mandir)

मारुति नंदन मंदिर ब्यावरा -भोपाल राजकीय राजमार्ग पर स्थित भगवान हनुमान को समर्पित प्रसिद्द मंदिर है। मंदिर परिसर में ही एक पार्क भी मौजूद ही, जिसमे दर्शनार्थी टहल सकते है।

बड़ा महादेव मंदिर (Bada Mahadev Mandir)

नरसिंहगढ़ शहर का प्रसिद्द महादेव मंदिर नरसिंहगढ़ की पहाड़ी पर स्थित मंदिर है, जिनको बैजनाथ महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक स्वयंभू शिवलिंग है। तथा इस उपज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। शिवरात्रि तथा महाशिवरात्रि जैसे पर्वों पर यहाँ पर भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

छोटा महादेव मंदिर (Chhota Mahadev Mandir)

छोटा महादेव मंदिर भी भोलेनाथ का एक प्राचीन एवं प्रसिद्द मंदिर है। माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 200 वर्षों से भी अधिक प्राचीन है। इस मंदिर के आसपास कई प्राकृतिक झरने है, जिससे यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और बढ़ जाती है।

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