उत्तरप्रदेश राज्य का एक विकासशील शहर, मेरठ प्राचीन सभ्यता से जुड़ा एक प्रसिद्ध शहर है, जो सिंधु घाटी के समय का है। यह राजधानी दिल्ली से लगभग 65 किलोमीटर दूर है। मेरठ एक ऐतिहासिक महत्व वाला शहर है क्योंकि, इसने 1857 के विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मेरठ का कौरवों के साम्राज्य के रूप में एक लंबा इतिहास है, हस्तिनापुर, मेरठ शहर का एक हिस्सा था। देश के सबसे बड़े छावनी क्षेत्रों में से एक मेरठ में पाया जाता है। मेरठ की गजक बहुत लोकप्रिय है। यह शहर भारत के खेल केंद्र के रूप में भी प्रसिद्ध है।
मेरठ में घूमने के कई ऐतिहासिक स्थान है, जिनमें से कुछ निम्न है:-
औघड़नाथ मंदिर | Augharnath Mandir
यह भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है, जिसे मेरठ का औघड़नाथ मंदिर कहा जाता है। यह शहर में सबसे अधिक देखा जाने वाला मंदिर है। इस मंदिर में मौजूद शिव लिंग को स्वयंभू माना जाता है, इसलिए यह भगवान शिव के उपासकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। यह मंदिर इतिहास से गहराई से जुड़ा हुआ है क्योंकि इसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभाई थी। शिव लिंग के अतिरिक्त यहां परिसर में देवी दुर्गा और राधा कृष्ण की मूर्तियां भी देखी जा सकती है। मुख्य रूप से भगवान शिव का मंदिर होने की कारण पूर्णिमा और महाशिवरात्रि पर लोग बड़ी संख्या में यहां आते है।
भोले की झाल | Bhole ki Jhaal
मेरठ में एक महत्वपूर्ण बांध, भोले की झाल शहर की बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया है। बड़ी संख्या में लोग यहां आते है, क्योंकि यह एक प्रसिद्ध पिकनिक स्थल है, जहां पर्यटक और स्थानीय लोग इस जगह की शांति और विशिष्टता का आनंद लेने के लिए एकत्र होते है। शाम के समय यहां कई स्टॉल लगाए जाते है, जहां स्थानीय व्यंजनों का लुत्फ उठाया जा सकता है। लोग इसे यहां आराम करने की पसंदीदा जगह मानते है। इस जगह के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। पास के क्षेत्र में भगवान शिव का एक मंदिर भी यहाँ का एक दर्शनीय स्थल है। यहां पानी ज्यादा गहरा नहीं होने के कारण लोग यहां तैरने का भी आनंद ले सकते है।
दिगंबर जैन मंदिर | Digamber Jain Mandir
जैनियों की परंपराओं और संस्कृति की एक दिलचस्प झलक दिगंबर जैन मंदिर में देखी जा सकती है। यह मंदिर 100 वर्ष पुराना है और इसमें दो महत्वपूर्ण वेदियाँ है। इसमें ऊंचे शिखर है। मंदिर के हाल ही में हुए जीर्णोद्धार ने इसकी शोभा बढ़ा दी है। मंदिर के शीर्ष पर एक सांप की मूर्ति है, जो उल्लेखनीय है। महावीर की 6 फीट ऊंची मूर्ति पर जटिल काम इस जगह का मुख्य आकर्षण है।
द्रौपदी की रसोई | Draupadi ki Rasoi
बुरीगंगा नदी के तट पर स्थित, द्रौपदी की रसोई मेरठ में एक अद्भुत स्मारक है। एक प्रसिद्ध कथा है कि, पांडवों की पत्नी द्रौपदी यहां पूरे परिवार के लिए भोजन बनाती थीं। भगवान कृष्ण भी इस स्थान पर आए थे, जब पांडव अपने वनवास के दौरान हस्तिनापुर में रह रहे थे। भगवान कृष्ण ने द्रोपदी से कुछ भोजन मांगा लेकिन उस समय द्रौपदी के पास कुछ भी देने के लिए नहीं था। तब भगवान कृष्ण ने एक अद्भुत बर्तन बनाया, जो द्रौपदी की रसोई में स्वादिष्ट भोजन की असीमित आपूर्ति प्रदान कर सकता था। वर्तमान में, यह द्रौपदी घाट से सटा एक प्रसिद्ध पिकनिक स्थल है। इतिहास प्रेमियों के लिए यह एक रोमांचकारी जगह है।
गांधी बाग | Gandhi Bandh
मेरठ के प्राचीन उद्यानों में से एक, गांधी बाग का निर्माण ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा किया गया था। मेरठ शहर के मध्य में माल रोड पर स्थित यह स्थान हर शाम होने वाले संगीतमय फव्वारे के शो के लिए प्रसिद्ध है। इस ब्रिटिश स्पॉट का हरा-भरा वातावरण लोगों को भारी संख्या में आकर्षित करता है। हरियाली मुख्य रूप से घने शहतूत, आम और बांस के पेड़ों के कारण है। वर्तमान में, मेरठ छावनी बोर्ड द्वारा जगह का रखरखाव किया जाता है और पार्क के स्तर को बढ़ाने और बच्चों के लिए सुंदर खेल क्षेत्र, नाव की सवारी, ऊंट और कार की सवारी के लिए नवीनीकरण किया जा रहा है। इसमें एक वॉकिंग ट्रेक पाथ और एक क्रिकेट ग्राउंड भी है, जो इसे परिवार और दोस्तों के लिए एक आदर्श पिकनिक स्थल बनाता है।
हस्तिनापुर | Hastinapur
हस्तिनापुर, महाभारत से बहुत निकटता से जुड़ा हुआ है। महाभारत में इस जगह से जुड़ी बहुत सी कहानियाँ है। गंगा नदी के किनारे स्थित, हस्तिनापुर 3 जैन तीर्थंकर की जन्मभूमि है, और आज जैन तीर्थयात्री इस स्थान के दर्शन करने के लिए बहुतायत में आते है। महाभारत के युद्ध में जीत हासिल करने के बाद पांडवों ने कौरवों से इसे जीतकर इस पर शासन किया था। यह शहर युगों से चला आ रहा है, लेकिन साथ ही इसने पौराणिक कथाओं की शक्ति को सक्रिय रखा है। हस्तिनापुर महाकाव्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था और शहर का हर कोना उस बड़ी लड़ाई का हिस्सा था।
मुस्तफा कैसल | Mustafa Castle
मेरठ के इस ऐतिहासिक महल का निर्माण नवाब मुस्तफा खान शैफ्ता की स्मृति में किया गया था। उनके बेटे नवाब मोहम्मद इशाक खान ने वर्ष 1900 में इसका निर्माण किया था। मुस्तफा कैसल मेरठ के ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। महल अपनी शानदार वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इस जगह को भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राजनीतिक कार्यवाही करने के लिए जाना जाता है। आश्चर्यजनक रूप से तैयार किए गए लकड़ी के फर्नीचर, कलाकृतियां, दुनिया भर के चित्र मुस्तफा कैसल की भव्यता को सुशोभित करते हैं। इसलिए, यदि आप मेरठ में ऐतिहासिक स्थानों की यात्रा करना चाहते है, तो मुस्तफा कैसल उनमें से एक है।
सेंट जॉन चर्च | Saint John Church
यह शहर के सबसे पुराने स्थानों में शामिल हैं। मेरठ शहर में सेंट जॉन चर्च सबसे बड़ी चर्च है और यह प्रार्थना सभा के लिए लगभग 3000 लोगों को समायोजित कर सकता है। इस पारंपरिक चर्च के चारों ओर हरे-भरे बगीचे है, जो एक अद्भुत मनोरम दृश्य प्रस्तुत करते है। 1819 में निर्मित चर्च, मेरठ में एक मील का पत्थर है। East India Company ने इसे बनाया था और यह आगरा जिले में पड़ता है। बुलंद स्तंभ और विशिष्ट वास्तुशिल्प दृष्टिकोण इसे मेरठ में अवश्य देखने योग्य स्थान बनाते है। यह छावनी क्षेत्र में स्थित है और सेंट जॉन्स कब्रिस्तान भी यहीं स्थित है।
शहीद स्मारक | Sahid Smarak
मेरठ में सबसे सुंदर और सुव्यवस्थित स्थानों में से एक, शहीद स्मारक 1857 के विद्रोह का एक अभिन्न अंग है। कंपनी गार्डन के निकट स्थित, इस स्मारक में भारत के मुख्य राष्ट्रीय अवकाश के दौरान कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्रम होते है। शहीद स्मारक में सरकार द्वारा संचालित स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय भी है, जो 1997 में अस्तित्व में आया था। संग्रहालय में कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों को संरक्षित किया गया है, जिनका उपयोग सूचना और शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। संग्रहालय के भीतर दो दीर्घाएँ है, जिनमें उस समय के चित्र और कलाकृतियाँ है।
शाहपीर दरगाह | Shahpeer Dargah Meerut
शाहपीर दरगाह मेरठ में शाहपीर साहब की कब्रगाह है। इसे 1628 में मुगल काल के दौरान रानी नूरजहां ने बनवाया था। इसका निर्माण सम्राट जहांगीर के शिक्षक हजरत शाहपीर के सम्मान में किया गया था, जो रानी के सलाहकार भी थे। स्मारक, आस-पास के खंभे और चारों ओर हरे-भरे बगीचे शाहपीर को शहर का एक दर्शनीय स्थल बनाते है। स्मारक चमकीले लाल पत्थरों से बना है, जो इसे सूर्यास्त के समय एक आकर्षक मुखौटा देता है। हर साल रमजान के महीने में यहां धार्मिक मेला लगता है, जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग आते है।
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