मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति का महत्व | Makar Sankranti ka Mahatva

संक्रांति क्या है | Sankranti kya hai

संक्रांति से आशय है- जब किसी एक राशि में से सूर्य दूसरी राशि में प्रवेश करते है तब होने वाले परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है। इस प्रकार इन संक्रांतियों को सूर्य संक्रांति कहा जाता है।

संक्रांति कितनी प्रकार की होती है | Sankranti kitni Prakar ki hoti hai

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मानें तो सूर्य संक्रांतियां 12 होती है, परन्तु इनमे से 4 ही मुख्य रूप से मानी जाती है, जो इस प्रकार है- मकर संक्रांति, मेष संक्रांति, तुला संक्रांति तथा कर्क संक्रांति।

मकर संक्रांति | Makar Sankranti

जब पौष मास मे सूर्य मकर राशि पर आता है, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि मे प्रवेश करता है और सामान्यतः लोग इसे जनवरी के 14 या 15 तारीख को मनाते है। मकर संक्रान्ति पूरे भारतवर्ष मे मनाई जाती है। केरल, कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कह कर मनाते है। जबकि तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते है। तो राजस्थान में इस पर्व पर सुहागन महिलाएँ अपनी सास को वायना देकर आशीर्वाद प्राप्त करती है। पूरे भारतवर्ष मे मकर संक्रान्ति विभिन्न नाम से जानी और मनाई जाती है।

मकर संक्रांति पर 10 लाइन | Makar Sankranti par 10 Lines

  • भारत वर्ष में मकर संक्रांति पौष मास में मनाई जाती है। यहाँ त्यौहार भारत ही नहीं अपितु नेपाल में भी बड़ी धूम धाम के साथ मनाया जाता है।
  • मकर संक्रांति को भारत के अलग अलग राज्यों में अलग अलग नामों से जाना जाता है। जैसे – दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से, उत्तर प्रदेश तथा बिहार के कुछ भागों में इसे खिचड़ी के नाम से जाना जाता है तथा पंजाब-हरियाणा में इसे लोहड़ी के नाम से जाना जाता है।
  • मकर संक्रांति के दिन प्रयागराज, गंगासागर जैसी धार्मिक जल संगम में स्नान किया जाता है, मन जाता है की मकर संक्रांति के दिन इन जगहों में प्रातःकाल स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
  • धार्मिक पुराणों के अनुसार कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही पवित्र गंगा का मिलान सागर से यानि कि बंगाल की खाड़ी में हुआ था तथा इन दोनों के संगम बिंदु को आज पवित्र तीर्थ स्थल गंगासागर के नाम से जाना जाता है।
  • मकर संक्रांति पर दान का विशेष महत्व है इस दिन दान के रूप में कपड़े, गूढ़-तिल तथा अनाज प्रदान किया जाता है।
  • इस त्यौहार के दिन सभी लोग अपने अपने घरों की छत पर पतंग उड़ाते नजर आते है तथा बच्चे भी पतंग एवं गिल्ली डंडा खेलते है।
  • मकर संक्रांति के त्यौहार पर मुख्य रूप से तिल गूढ़ की मिठाई सबको खिलाई जाती है।
  • मकर संक्रांति के दिन सभी सरकारी संस्थान जैसे ऑफिस , स्कूल आदि का अवकाश रहता है।
  • महिलाएं इस पर्व पर अपने घरों की साफ़ सफाई करती है तथा घर के मुख्य द्वार पर फूल तथा विभिन्न रंगों से रंगोली बनाती है।
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि आज के दी यानि कि मकर संक्रांति के दिन से ही शुभ कार्यों कि शुरुआत कि जाती है है।

मकर संक्रांति का महत्व | Makar Sankranti ka Mahatav

यह पर्व उत्तरायण मे होता है और उत्तरायण को देवताओ का दिन माना गया है। कहा जाता है इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक कार्य करने से पुण्य मिलता है। यह त्यौहार प्रकृति के लिए भी मनाया जाता है। हिन्दू ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि आज मकर संक्रांति के दिन मकर राशि के सूचक शनि देव जो कि भगवान् सूर्य के पुत्र है, उनसे मिलने भगवान सूर्य आते है।

मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है

ऐसा माना जाता है, कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते है। क्योकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी है, अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। एक कथा के अनुसार महाभारत काल में भी भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति के  दिन को ही चुना था। एक प्रचलित कथा यह भी है कि मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी।

मकर संक्रान्ति कैसे मनाई जाती है ?

भारत विविधताओ का देश है। एक ही त्यौहार को प्रत्येक राज्य अपनी तरह से धूमधाम से मनाता है। मकर संक्रान्ति मे भी प्रत्येक राज्य इसे अपने तरीके से मनाता है।

बिहार और उत्तर प्रदेश में मकर संक्रान्ति

इस दिन बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य मे घरो मे खिचड़ी बनाई जाती है।साथ ही इस दिन दही चूड़ा और तिलकुट भी खाया जाता है। इस दिन चावल, तिल, चिवड़ा, गौ, स्वर्ण, कम्बल आदि दान करने की मान्यता है।

पश्चिम बंगाल में मकर संक्रान्ति

इस दिन पश्चिम बंगाल मे गंगासागर मे स्नान को विशेष महत्व दिया गया है। यहाँ पर स्नान कर ने के बाद तिल दान कर ने का भी महत्व है।

राजस्थान में मकर संक्रान्ति

इस दिन सुहागिन महिलाएँ अपनी सास को उपहार देकर आशीर्वाद प्राप्त करती है। और साथ ही साथ महिलाएँ कोई भी सौभाग्यसूचक वस्तु  चौदह की संख्या में पूजन एवं संकल्प कर चौदहो ब्राह्मणों को दान मे दे देती है।

तमिलनाडु में मकर संक्रान्ति

इस दिन तमिलनाडु में पोंगल के रूप में यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। पहला दिन कूड़ा करकट इकठ्ठा कर जलाया जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और तीसरे दिन पशु धन की पूजा की होती है। पोंगल मनाने के लिये स्नान करके खुले आँगन में मिट्टी के बर्तन में खीर बनायी जाती है, जिसे पोंगल कहते है। 

हरियाणा और पंजाब में मकर संक्रान्ति

इस दिन हरियाणा और पंजाब मे लोहड़ी के रूप मे मनाया जाता है। इस दिन अँधेरा होते ही आग जलाकर अग्निदेव की पूजा करते हुए तिल, गुड, चावल और भुने हुए मक्के की आहुति दी जाती है। बहुएँ घर-घर जाकर लोकगीत गाती है और मूंगफली, तिल की बनी हुई गजक और रेवड़ियाँ आपस में बांटकर खाती है। इस अवसर पर लोग मक्के की रोटी और सरसों का साग का भी खाते है।

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