महेश्वर का किला | Maheshwar ka Kila
महेश्वर किला (अहिल्या किला) मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक शहर महेश्वर में स्थित है। यह किला होल्कर किले के नाम से भी प्रसिद्ध है। यह किला आज भी पूरी तरह से सुरक्षित है और बेहद खूबसूरत तरीके से बनाया गया है। यह सदियों से नर्मदा नदी के तट पर मजबूती से स्थापित है। इस किले का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था।
महेश्वर मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में स्थित एक ऐतिहासिक शहर और प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। प्राचीन काल में यह शहर होल्कर साम्राज्य की राजधानी और तत्कालीन रानी अहिल्याबाई होल्कर का निवास स्थान था। महेश्वर धार्मिक महत्व का शहर है और साल भर लोग यहां आते हैं। यह शहर अपनी ‘माहेश्वरी साड़ियों’ के लिए भी विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
महेश्वर किले का इतिहास
महेश्वर किला मध्यप्रदेश के महेश्वर शहर में स्थित एक प्राचीन किला है। नर्मदा नदी के तट पर स्थित, यह मध्यप्रदेश में विरासत के प्रमुख स्थानों में से एक है, और महेश्वर में प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।
अहिल्या किले का नाम राजमाता अहिल्या देवी होल्कर के नाम पर रखा गया है। वह इस क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध शासकों में से एक हैं। यह किला, वर्तमान में नर्मदा के तट पर अपने पूरे वैभव के साथ खड़ा है। यहाँ नर्तकियों और संगीतकारों की कुछ छवियों सहित होल्कर शासन के समय से हाथियों की कुछ सुंदर नक्काशी और दैनिक जीवन के दृश्य हैं
महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1765 से 1796 तक महेश्वर पर शासन किया और किले के भीतर अहिल्या वाड़ा, उनका निवास, कार्यालय और दरबार का निर्माण किया। 2000 में, प्रिंस रिचर्ड होल्कर, उनके वंशज और इंदौर के अंतिम महाराजा के बेटे ने अहिल्या वाड़ा को एक हेरिटेज होटल में बदल दिया, जिसे दुनिया भर में अहिल्या फोर्ट होटल के रूप में जाना जाता है।
एक स्थानीय किंवदंती के अनुसार, रानी के पास अपार धन होने के बावजूद केवल तीन साड़ियाँ थीं – सभी सफेद, सभी माहेश्वरी और सभी स्वयं द्वारा बुनी हुई। यह किंवदंती महल एवं देवी अहिल्या की सादगी को दर्शाती है कि रानी ने कितना सादा जीवन व्यतीत किया होगा।
किले के परिसर के अंदर, पर्यटक विभिन्न छत्रियों और कालीनों को देख सकते हैं जिन पर रानी किले में आने पर बैठती थी। इस प्राचीन ईमारत में भगवान शिव के विभिन्न अवतारों को समर्पित कई मंदिर हैं। यह किला रानी अहिल्याबाई होल्कर के शक्तिशाली शासक और उनके साम्राज्य की सुरक्षा की दिशा में किए गए उपायों का प्रत्यक्ष गवाह है।
किले के अंदर प्रवेश करने के बाद राजराजेश्वर मंदिर और रेवा सोसाइटी के बाद एक बड़ा हॉल आता है, जहां एक तरफ देवी अहिल्याबाई का शाही दरबार और उनका सिंहासन है, जिस पर उनकी खूबसूरत मूर्ति रखी गई है। यह दृश्य ऐसा प्रतीत होता है जैसे देवी अहिल्याबाई सचमुच महेश्वर में आज भी अपने सिंहासन पर विराजमान हैं।
दशहरा उत्सव अभी भी किले में स्थित एक छोटे से मंदिर से शुरू किया जाता है, जैसा कि होल्कर शासन के दौरान वर्षों पहले हुआ करता था। किले से ढलान वाली सड़क पर उतरते ही नगर दिखाई देता है। यहां एक सुंदर पालकी भी रखी गई है, जिसमें बैठकर देवी अहिल्याबाई नगर भ्रमण के लिए जाया करती थीं।
यहां प्रदर्शित कलाकृतियों में से एक विटोजी राव होल्कर की छत्री (मकबरा) है, जो राजा यशवंत राव होल्कर के छोटे भाई थे। कलाकृति एक उच्च चबूतरे पर बनी है और दो बल्बनुमा गुंबदों को सहारा देती है। एक और कलाकृति है अहिल्येश्वर शिवालय, एक शिव मंदिर की तरह निर्मित, यह रानी अहिल्या बाई होल्कर की छत्री है और उनकी बेटी कृष्णा बाई के आदेश पर बनवाई गई थी।
अहिल्या किले के भीतर एक संग्रहालय है। एक अन्य संभाग रेहवा समाज का बुनाई केंद्र है। यहां लोकप्रिय माहेश्वरी साड़ियाँ खरीद सकते हैं होल्कर वंश के रिचर्ड होल्कर और उनकी पत्नी सैली ने स्थानीय महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने और महेश्वरी साड़ियों के मरते उद्योग को बचाने के लिए इस बुनाई परियोजना की शुरुआत की, जो अब परियोजना के प्रयासों के कारण फिर से पुरानी लोकप्रियता की पटरी पर लौट आई है। बुनकर अब कपड़ों के अन्य रूपों में भी विविधता लाए है जैसे दुपट्टा, स्कार्फ, शॉल आदि। इस प्रकार माहेश्वरी साड़ी स्पष्ट रूप से महेश्वर शहर से एक आदर्श स्मारिका है।
महेश्वर मंदिर | Maheshwar Mandir
महेश्वर, मंदिर और धार्मिक स्थलों का शहर है। यहां शिव मंदिर बहुतायत में हैं। इसी कारण साधु-संन्यासी यहां निवास करना पसंद करते हैं, इसे “गुप्त काशी” भी कहा जाता है। यहां के प्रमुख मंदिर श्री राजराजेश्वर मंदिर, काशी-विश्वनाथ, अहिल्येश्वर महादेव, ज्वालेश्वर महादेव, बाणेश्वर, कालेश्वर शिव मंदिर, सप्तमातृका, कालेश्वर, कदम्बेश्वर आदि हैं। कुछ नवनिर्मित भव्य मंदिर भी हैं, जिनमें सहस्त्रधारा क्षेत्र में दत्तधाम बना हुआ है। महेश्वर के मंदिरों में वर्ष भर श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है।
महेश्वर का प्राचीन नाम
महेश्वर प्रसिद्ध नगरों में से एक रहा है। निमाड़ और महेश्वर का इतिहास लगभग 4500 वर्ष पुराना है। महेश्वर को रामायण काल में ‘महिष्मती’ के नाम से जाना जाता था। होल्कर किले के नाम से लोकप्रिय महेश्वर किले का निर्माण 18वीं शताब्दी में होल्कर राजवंश द्वारा किया गया था जो कि नर्मदा नदी के खूबसूरत किनारों पर स्थित है। महेश्वर किला मालवा की तत्कालीन रानी अहिल्याबाई होल्कर का निवास स्थान था। इसीलिए इसे “अहिल्या किला” या “रानी का किला” भी कहा जाता है।
महेश्वर का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व
यह नगर रावण को पराजित करने वाले हैहयवंशी राजा सहस्रार्जुन की राजधानी रहा है। इसके बाद यह महान देवी अहिल्याबाई होल्कर की राजधानी रहा हैं। नर्मदा नदी के तट पर बसा यह शहर अपने बेहद खूबसूरत और भव्य घाटों और माहेश्वरी साड़ियों के लिए मशहूर है। घाट पर बहुत कलात्मक मंदिर हैं, जिनमें से राजराजेश्वर मंदिर प्रमुख है। आदिगुरु शंकराचार्य और पंडित मंडन मिश्र की प्रसिद्ध कथा यहीं हुई थी। यह जिले की एक तहसील का मुख्यालय होने के साथ साथ लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
होल्कर किले के नाम से लोकप्रिय महेश्वर किले का निर्माण 17वीं से 18वी शताब्दी के मध्य होल्कर राजवंश द्वारा किया गया था।
महेश्वर के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल –
श्री अहिल्येश्वर मंदिर
श्री राज राजेश्वर सहस्त्रबाहु मंदिर
सहस्त्रधारा जलप्रपात
महेश्वर के घाट
श्री दत्तधाम महेश्वर
बाणेश्वर महादेव मंदिर, आदि।
महेश्वर का किला रानी अहिल्या बाई ने 17वी से 18वी सदी के मध्य बनवाया था।
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