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माधव नेशनल पार्क

माधव नेशनल पार्क – सम्पूर्ण जानकारी | Madhav National Park in Hindi

Posted on December 30, 2022
Table of contents
  1. माधव राष्ट्रीय उद्यान | Madhav National Park in Hindi
  2. माधव राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास | Madhav National Park ka Itihas
  3. माधव राष्ट्रीय उद्यान में वन्यजीव
  4. माधव राष्ट्रीय उद्यान में वनस्पति | Madhav Rastriya Udhyan ki Vanaspati
  5. माधव राष्ट्रीय उद्यान का मौसम व जाने का सही समय
  6. माधव राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुँचे?
  7. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

माधव राष्ट्रीय उद्यान | Madhav National Park in Hindi

माधव राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश राज्य के शिवपुरी जिले में स्थित है। माधव नेशनल पार्क भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। ये उद्यान मध्यप्रदेश राज्य के उत्तर–पश्चिमी क्षेत्र में पड़ता है। इस राष्ट्रीय उद्यान का कुल क्षेत्रफल 354 वर्ग किलोमीटर है, जो कि इसकी स्थापना के समय केवल 167 वर्ग किलोमीटर था।

इस राष्ट्रीय उद्यान में कई वन्यजीव व वनस्पतियां, जैसे:- हाथी, पलाश के पेड़ आदि पाए जाते है।

एक खास बात ये भी है कि इस राष्ट्रीय उद्यान से होकर दो राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते है। पहला आगरा से मुंबई जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 3 है, तो दूसरा झाँसी से शिवपुरी जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 27 है।

Madhav National Park में कई छोटे-बड़े जलाशय मौजूद है। इनमें से सबसे बड़ा जलाशय सांख्य सागर है, जो माधो राव सिंधिया के द्वारा बनवाया गया था और वो भी उस समय जब ये पार्क शिकार क्षेत्र के रूप में था। माधो राव सिंधिया से जुड़ा एक और जलाशय यहाँ मौजूद है, जिसे माधव झील के रूप में जाना जाता है। माधव राष्ट्रीय उद्यान प्रमुख पर्यटक स्थलों में से भी एक है। यहां सालभर काफ़ी संख्या में लोग प्रकृति का दीदार करने के लिए आते हैं।

माधव राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास | Madhav National Park ka Itihas

माधव राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास काफी प्राचीन है। इसका इतिहास ग्वालियर के मराठा शासकों से संबंधित है। मराठा शासकों से पहले यह क्षेत्र मुगल सल्तनत के अधीन रह चुका है। मुगल शासन के दौरान यह क्षेत्र मुगल शासकों के लिए शिकार के लिए प्रमुख क्षेत्र माना जाता था। सम्राट अकबर ने यहां के जंगलों से हाथियों के झुंड पकड़कर अपनी सेना में शामिल किए थे। माधव नेशनल पार्क के इतिहास में एक दुखद घटना यह रही, कि लॉर्ड हार्डिंग नाम के एक अंग्रेज अफसर ने 1916 में आठ बाघों की एक ही दिन में गोली मारकर हत्या कर दी थी।

स्वतंत्रता के बाद इस क्षेत्र को शिवपुरी राष्ट्रीय उद्यान के रूप में देखा गया और अन्ततः वर्ष 1958 में 167 वर्ग किलोमीटर के इस क्षेत्र को माधव राष्ट्रीय उद्यान के रूप में मान्यता दी गई। इस क्षेत्र को कृषि व खनन–अतिक्रमण आदि कारणों से भारी गिरावट झेलनी पड़ी। आखिरी बार वर्ष 1970 में यहां स्थानीय जंगली बाघ देखे गए थे।

1982 में इस राष्ट्रीय उद्यान में कुछ और क्षेत्रों को जोड़ने का प्रस्ताव पारित किया गया, जिसके परिणाम स्वरूप इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्र 167 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 354 वर्ग किलोमीटर हो गया।

माधव राष्ट्रीय उद्यान में वन्यजीव

माधव राष्ट्रीय उद्यान में विभिन्न प्रजातियों के वन्यजीव मौजूद है। ये जीव यहाँ के मुख्य आकर्षणों में से एक है। माधव राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले प्रमुख वन्यजीव इस प्रकार है:- सांभर, बाघ, लकड़बग्घा, नीलगाय, सुस्त भालू, चिंकारा, मगरमच्छ, हिरण, मृग, भेड़िया, तेन्दुआ, सियार, लोमड़ी, जंगली सुअर आदि।

Madhav Rastriya Udhyan में पाए जाने वाली प्रमुख पक्षियों की प्रजातियाँ इस प्रकार है:- सफेद स्तन वाले किंगफिशर, पोचार्ड, प्रवासी गीज़ ओरियोल, लाल-वॉटेड लैपविंग, बड़े चितकबरे वैगेटल, पिंटेल, बैंगनी सनबर्ड, सफेद इबिस, कॉर्मोरेंट, लैगर फाल्कन, पेंट स्टॉक आदि।

माधव राष्ट्रीय उद्यान में वनस्पति | Madhav Rastriya Udhyan ki Vanaspati

माधव राष्ट्रीय उद्यान में प्राकृतिक सौन्दर्य का अद्भुत दृश्य उपलब्ध है। यहाँ पेड़-पौधों की विभिन्न प्रजातियाँ मौजूद है, जो यहाँ आने वाले दर्शकों को खूब लुभाती है। इन वनस्पतियों का आयुर्वेदिक व व्यापारिक महत्व भी होता है।

Madhav National Park की वनस्पति शुष्क पर्णपाती वन की श्रेणी में आती है। उद्यान के विभिन्न इलाकों में बहुत सारे समतल घास के मैदान हैं। उद्यान के विशाल विस्तारित क्षेत्र में वन आच्छादित पहाड़ों को भी देखा जा सकता है।

उद्यान के कुछ भागों की वनस्पति मिश्रित पर्णपाती की श्रेणी में भी आती है। खैर यहां पाए  जाने वाले बड़े वृक्षों की प्रमुख प्रजातियों में से एक है, इसका वैज्ञानिक नाम एकेसिया कैटेचु है। इस उद्यान में सलाई के वृक्ष भी पाए जाते है, जिनका वैज्ञानिक नाम बोसवेलिया सेराटा है। इस उद्यान में केरधई तथा धावड़ा के वृक्ष भी मौजूद है। उद्यान में फूलों वाली वनस्पतियों की भी प्रजातियाँ है, जैसे:- पलाश के पेड़। उद्यान के कुछ भागों में आप तेंदू के पेड़ भी देख सकते है। 

माधव राष्ट्रीय उद्यान का मौसम व जाने का सही समय

  • गर्मी का मौसम – मार्च से जुलाई माह का समय गर्मी के मौसम का रहता है, जिसमें अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक भी पहुंच जाता है।
  • मानसून – जुलाई के अंत से सितंबर के अंत तक का समय मानसून का रहता है। लेकिन मानसून का प्रभाव सीमित रहता है। इस समय को यहाँ आने के लिए सबसे खराब माना जाता है।
  • सर्दी का मौसम – नवंबर से जनवरी का समय सर्दी का रहता है। इस समय यहां अधिकतम पर्यटक आते है।

यहाँ आने के लिए सबसे अच्छा समय सर्दी का माना जाता है, क्योंकि पार्क का सौंदर्य इस समय अपने चरम पर होता है।

माधव राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुँचे?

माधव नेशनल पार्क जाने के लिए तीनों माध्यम, यानी रेलमार्ग, वायु मार्ग एवं सड़क मार्ग उपलब्ध है।

  • वायु मार्ग:-  शिवपुरी में कोई हवाई अड्डा नहीं है। माधव राष्ट्रीय उद्यान के सबसे करीब ग्वालियर का हवाई अड्डा है। ग्वालियर एयरपोर्ट के लिए देश के विभिन्न हवाई अड्डों से नियमित फ्लाइट मिल जाती है। ग्वालियर एयरपोर्ट से माधव राष्ट्रीय उद्यान की दूरी करीब 135 किलोमीटर है। हवाई अड्डे से माधव राष्ट्रीय उद्यान जाने के लिए टैक्सी या बस का उपयोग किया जा सकता है।
  • रेलमार्ग:-  माधव नेशनल पार्क जाने के लिए रेलमार्ग भी एक अच्छा विकल्प है। माधव  राष्ट्रीय पार्क के सबसे नजदीक झांसी रेलवे स्टेशन है। झांसी रेलवे स्टेशन से माधव राष्ट्रीय पार्क की दूरी मात्र 89 किलोमीटर है। झांसी रेलवे स्टेशन के लिए देश के प्रमुख नगरों, जैसे:- दिल्ली, मुंबई आदि से नियमित रेल सेवा उपलब्ध है। झांसी रेलवे स्टेशन से टैक्सी या बस की सहायता से माधव राष्ट्रीय पार्क पहुंचा जा सकता है।
  • सड़क मार्ग:-  सड़क मार्ग से माधव राष्ट्रीय पार्क जाना काफी सरल है। माधव राष्ट्रीय उद्यान आसपास के शहरों से सड़क मार्ग के जरिए जुड़ा हुआ है। देश के विभिन्न कोनों से राष्ट्रीय राजमार्गों का प्रयोग करते हुए, झांसी, ग्वालियर, रीवा आदि निकटतम नगरों तक पहुंचा जा सकता है। यहां से माधव राष्ट्रीय पार्क के लिए बस सेवा उपलब्ध है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

माधव राष्ट्रीय उद्यान कहाँ स्थित है?

मध्यप्रदेश में।

माधव राष्ट्रीय उद्यान किस जिले में स्थित है?

शिवपुरी।

माधव राष्ट्रीय उद्यान से कौन–सी नदी बहती है?

मनिहार नदी।

Disclaimer : इस पोस्ट में दी गई समस्त जानकारी हमारी स्वयं की रिसर्च द्वारा एकत्रित की गए है, इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि हो, किसी की भावना को ठेस पहुंचे ऐसा कंटेंट मिला हो, कोई सुझाव हो, Copyright सम्बन्धी कोई कंटेंट या कोई अनैतिक शब्द प्राप्त होते है, तो आप हमें हमारी Gmail Id: (contact@kalpanaye.in) पर संपर्क कर सकते है।

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