लिंगराज मन्दिर | Lingaraj Mandir
लिंगराज मन्दिर भारत का एक प्रमुख मन्दिर है। उड़ीसा राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में यह मंदिर स्थित है। यह मन्दिर हिन्दू धर्म के सबसे प्राचीनतम और प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। लाखों भक्तों की आस्था इस मन्दिर से जुड़ी हुई है।
इस मंदिर से कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं। लिंगराज मन्दिर मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित है, लेकिन यहां भगवान विष्णू जी की भी पूजा की जाती है। लिंगराज मंदिर के महत्व और इसकी प्रसिद्धि की वजह से हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहां भगवान शिव तथा भगवान विष्णु के हरिहर स्वरुप के दर्शन करने के लिए आते हैं।
लिंगराज मंदिर सिर्फ अपने धार्मिक महत्व के कारण ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि इसकी अद्भुत व आकर्षक बनावट भी इसे प्रसिद्ध बनाती है। यह मन्दिर उड़ीसा राज्य के प्रमुख पर्यटक स्थलों व तीर्थ स्थलों में से एक है।
इस मन्दिर में दर्शन करने के लिए भी कुछ बाध्यताएं हैं, जिनमें से एक ये भी है, कि इस मंदिर में केवल हिंदू धर्म के लोगों को ही दर्शन करने की अनुमति है। अन्य धर्मों के लिए दर्शन की अनुमति नही है।
शिवरात्रि के प्रमुख अवसर पर यहाँ विशेष उत्सव होता है, जिसके लिए भक्तों का सैलाब यहाँ इकट्ठा होता है।
लिंगराज मंदिर का इतिहास | Lingaraj Mandir ka Itihas
माना जाता है कि इस भव्य मंदिर का निर्माण 617-657 ई. के मध्य ललाटेडुकेशरी द्वारा करवाया गया था। मंदिर का जो वर्तमान स्वरूप है, उसे 1090 से 1104 ई. समयकाल के मध्य दिया गया था। 11वीं शताब्दी में मंदिर के प्रार्थना कक्ष, मुख्य मंदिर और टावर का निर्माण किया गया, जबकि 12वीं शताब्दी में भोग-मंडप का निर्माण किया गया था।
ऐसा भी माना जाता है, कि सोमवंश के शासकों द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था और गंग शासकों द्वारा अतिरिक्त निर्माण करवाया गया था।
मंदिर के कुछ भाग 1400 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है। छठी सदी के लेखों में भी इस मन्दिर का वर्णन मिलता है। मन्दिर की वास्तुकला भुवनेश्वर के अन्य मंदिरों से मेल खाती है। इस मन्दिर के निर्माण में कलिंग वास्तुकला का प्रयोग किया गया है।
मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा (मान्यता)
इस मंदिर से संबंधित पौराणिक मान्यता के अनुसार, दो भयंकर राक्षसों, जिनका नाम वसा तथा लिट्टे था, उनका वध माँ पार्वती द्वारा इसी स्थान पर किया गया था। इस संग्राम के पश्चात माता पार्वती को प्यास लगी, जिसके लिए भगवान शिव ने यहां एक कुआं बनाया तथा सभी नदियों का आह्वान किया। इसी स्थान पर वर्तमान में बिंदुसार सरोवर स्थित है, जिसके जल को चमत्कारी बताया जाता है।
लिंगराज मंदिर की विशेषताएँ, रहस्य
मंदिर का प्रांगण वर्गाकार है तथा प्रांगण का क्षेत्र 150 वर्ग मीटर है, इसके कलश की ऊँचाई करीब 40 मीटर है। हर साल अप्रैल माह में यहाँ रथयात्रा अयोजित की जाती है।
इस मंदिर के दायीं ओर एक छोटा-सा कुआं है, जिसे मरीची कुंड कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस कुंड के जल से स्नान करने से स्त्रियों को संतान से जुड़ी समस्याएँ दूर हो जाती है।
इस मंदिर की ऊँचाई तकरीबन 55 मीटर है तथा मन्दिर की सुन्दर नक्काशी इसे आकर्षक बनाती है। इस मंदिर के चार प्रमुख भाग है, जिन्हें भोग मंडप, यज्ञशाला, गर्भगृह और नाट्यशाला के रूप में पहचाना जाता है।
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर से होकर एक नदी प्रवाहित होती है। इस नदी के जल से मंदिर का बिन्दुसार सरोवर को जल प्राप्त होता है। बिंदुसार सरोवर में स्नान करने से मानव की मानसिक और शारीरिक बीमारियाँ दूर हो जाती है।
मंदिर के मुख का निर्माण लेटराइट व बलुआ पत्थर से किया गया है, जो कि पूर्व दिशा में है। पूर्व दिशा में मन्दिर का मुख्य प्रवेश द्वार होने के अलावा दक्षिण व पश्चिम दिशा में अन्य छोटे प्रवेश द्वार मौजूद है।
लिंगराज मंदिर में दर्शन का समय | Lingaraj Mandir Darshan Timing
यदि आप लिंगराज मंदिर में दर्शन के लिए जाना चाहते है, तो आपको इसके दर्शन का समय मालूम होना चाहिए। लिंगराज मंदिर में दर्शन करने का समय सुबह 6 बजे से प्रारंभ होता है, तथा शाम के 7 बजे दर्शन का समय समाप्त होता है।
लिंगराज मंदिर कैसे जाएँ? | Lingaraj Mandir Kese Pahunche
लिंगराज मंदिर भारत के प्रमुख नगरों में से एक भुवनेश्वर में स्थित है। यहाँ तीनों माध्यमों, यानि रेलमार्ग, सड़क मार्ग व वायु मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
- वायु मार्ग:- बीजू पटनायक एयरपोर्ट लिंगराज मंदिर का सबसे निकटतम हवाई अड्डा है। यहां से लिंगराज मंदिर की दूरी केवल 4 किलोमीटर दूर है। ये एयरपोर्ट देश के प्रमुख हवाई अड्डों से जुड़ा हुआ है। देश के प्रमुख एयरपोर्टों से यहां के लिए नियमित रूप से फ्लाइट की व्यवस्था है। एयरपोर्ट से मन्दिर रिक्शा या टैक्सी द्वारा पहुँचा जा सकता है।
- रेलमार्ग:- भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन लिंगराज मंदिर का सबसे करीबी रेलवे स्टेशन है। इस रेलवे स्टेशन से मंदिर तक की दूरी 4 किलोमीटर के करीब है। इस रेलवे स्टेशन के लिए देश के प्रमुख शहरों, जैसे:- दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ आदि से नियमित रेल की सुविधा है। भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से मन्दिर जाने के लिए बस, टैक्सी व रिक्शा की सुविधा मौजूद है।
- सड़क मार्ग:- भुवनेश्वर शहर में लिंगराज मंदिर जाने के लिए निजी व सार्वजनिक बस सेवा उपलब्ध है। राष्ट्रीय राजमार्गों द्वारा देश के विभिन्न कोनों से भुवनेश्वर पहुंचा जा सकता है। भुवनेश्वर एक प्रमुख शहर है, इसलिए यहाँ की सड़कों की स्थिति ठीक–ठाक है।
भुवनेश्वर में घूमने लायक अन्य जगहे | Bhubaneswar me Ghumne ki Jagah
भुवनेश्वर, जिसे “मंदिरों का शहर” भी कहा जाता है, में लिंगराज मंदिर के अलावा भी कई घूमने लायक जगहें है। इनमें से कुछ स्थान निम्नलिखित है:-
- परशुरामेश्वर मन्दिर:- यह एक तीर्थ स्थल है, जो कि नागर शैली में बनाया गया है। यह भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है। ये मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है।
- मुक्तेश्वर मन्दिर:- माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में किया गया था। ये शिव जी का एक प्रमुख मंदिर है।
- राजारानी मन्दिर:- इस मंदिर में सभी के आने की अनुमति है। इसे 11वीं सदी का निर्मित मन्दिर माना जाता है। इसकी नक्काशी बहुत आकर्षक है।
- चौसठ योगिनी मंदिर:- ये काफ़ी प्राचीन व रहस्यमयी मन्दिर है। इसी की तर्ज़ पर भारतीय संसद भवन का निर्माण किया गया था। ये मन्दिर तान्त्रिक विद्याओं का भी एक प्रमुख केंद्र् है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उड़ीसा के भुवनेश्वर में।
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