कृष्णा नदी का उद्गम स्थल
कृष्णा नदी दक्षिण-मध्य भारत की एक प्रमुख नदी है। भारत की सबसे बड़ी नदियों में Krishna Nadi चौथे स्थान पर है। गंगा, ब्रह्मपुत्र तथा गोदावरी के बाद कृष्णा नदी भारत की एक बड़ी नदी है। यह महाराष्ट्र राज्य के सतारा जिले से निकलती है। पश्चिमी घाट के महाबलेश्वर में कृष्णा नदी का उद्गम स्थल है। माना जाता है, कि कृष्णा नदी का स्त्रोत कृष्णाबाई मंदिर है, जिसका निर्माण रत्नागिरी के एक शासक ने वर्ष 1888 में एक पहाड़ी पर कराया था।
इस नदी का उद्गम स्थल करीब 1337 मीटर की ऊंचाई पर है, जहाँ से यह नदी निकलती है।
कृष्णा नदी की लंबाई
Krishna Nadi भारत के चार राज्यों से होकर गुजरती है। यह उद्गम स्थल से बंगाल की खाड़ी में मिलने तक करीब 1400 किलोमीटर की दूरी तय करती है, जो कि इसकी लंबाई है। Krishna Nadi एक बड़े बेसिन का भी निर्माण करती है, जिसका क्षेत्रफल करीब 2, 58, 948 वर्ग किलोमीटर है।
कृष्णा नदी के अन्य नाम
Krishna Nadi को कुछ अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे- कृष्णावनी, कृष्णवेणा व किस्तना।
कृष्णा नदी अपवाह तंत्र
Krishna Nadi के अपवाह तंत्र की बात करें, तो यह नदी महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश राज्य से होकर बहती है। कृष्णा नदी शुरुआत में पश्चिम दिशा में बहती है। बाद में यह दक्षिण-पूर्व में बहती हुई कर्नाटक राज्य में प्रवेश करती है। पूर्व दिशा की ओर अनियमित गति से बहते हुए यह कर्नाटक , तेलंगाना व आंध्र प्रदेश राज्य से गुजरती है। यह अंत में आंध्र प्रदेश राज्य के हमसलादेवी नामक स्थान पर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
कृष्णा नदी की सहायक नदियाँ
कृष्णा नदी की सहायक नदियाँ निम्नलिखित है:-
तुंगभद्रा नदी
तुंगभद्रा नदी कृष्णा नदी की एक सहायक नदी है, जो कि कर्नाटक राज्य से शुरू होती है। कर्नाटक राज्य से शुरू होकर यह तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश राज्य के बीच बहती है। आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में यह नदी संगमेश्वरम गाँव के पास कृष्णा नदी में मिल जाती है।
भीमा नदी
भीमा नदी भी Krishna Nadi की एक प्रमुख सहायक नदी है। यह महाराष्ट्र की भीमाशंकर पहाड़ियों से निकलकर महाराष्ट्र, कर्नाटक व आंध्र प्रदेश राज्यों से बहती हुई तकरीबन 861 किलोमीटर की दूरी तय करती है।
मालप्रभा नदी
यह कृष्णा नदी की एक सहायक नदी है। इस नदी का उद्गम स्थल पश्चिमी घाट की पहाड़ियों में बेलगाम में स्थित है। कुदालसंगम नामक स्थान पर यह नदी Krishna Nadi में मिल जाती है।
घाटप्रभा नदी
घाटप्रभा नदी सिंधुदुर्ग जिले के अंबोला से निकलती है। यह कृष्णा नदी की एक सहायक नदी है। यह नदी गोकाक जलप्रपात बनाती है।
कोयना नदी
महाबलेश्वर से निकलने वाली कोयना नदी महाराष्ट्र की जीवन रेखा के रूप में भी जानी जाती है। यह नदी जल विद्युत परियोजना की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। कराड में प्रीतिसंगम नामक जगह पर यह नदी Krishna Nadi में मिल जाती है।
डिंडी नदी
डिंडी नदी तेलंगाना की एक प्रमुख नदी है, जो कि कृष्णा नदी की एक सहायक नदी भी है। यह नदी महबूबनगर तथा नलगोंडा जिलों से होकर बहती है।
मूसी नदी
मूसी नदी कृष्णा नदी की एक सहायक नदी है, जो कि दक्कन के पठार में स्थित है। यह नदी कई ऐतिहासिक शहरों व नए शहरों को अलग करती है। हैदराबाद भी इसी नदी के किनारे स्थित है।
दूधगंगा नदी
महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले से निकलने वाली दूधगंगा नदी कृष्णा नदी की एक सहायक नदी है। यह नदी कोल्हापुर और बेलगाम से होती हुई बहती है तथा बाद में कृष्णा नदी में मिल जाती है।
कृष्णा नदी पर प्रमुख बांध
कृष्णा नदी पर कई प्रमुख बांध बने हुए है, जिनके बारे में नीचे बताया गया है:-
श्रीशैलम बांध
यह कृष्णा नदी पर बना हुआ एक प्रमुख बांध है , जो कि भारत का दूसरा सबसे ज्यादा क्षमता वाला जल-विद्युत स्टेशन है। यह बांध आंध्र प्रदेश के नंद्याल जिले तथा तेलंगाना के नागरकुर्नूल जिले में स्थित है। इस महत्वपूर्ण बांध का निर्माण 1960 से 1981 के समयकाल में हुआ था।
नागार्जुन सागर बांध
नागार्जुन सागर बांध कृष्णा नदी पर बना हुआ एक खास बांध है। यह बांध आंध्र प्रदेश राज्य के नलगोंडा जिले में स्थित है। इसकी एक खास बात यह है, कि यह चिनाई वाला विश्व का सबसे बड़ा बांध है। इस बांध का निर्माण कार्य वर्ष 1956 में शुरू किया गया था। वर्ष 1972 से इस बांध ने कार्य करना शुरू कर दिया था।
जुराला बांध
जुराला बांध कृष्णा नदी पर बना हुआ है। इसे प्रियदर्शनी जुराला परियोजना के नाम से भी जाना जाता है। यह बांध तेलंगाना राज्य में जोगुलम्बा गद्वाल जिले से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस बांध का उद्घाटन वर्ष 1995 में किया गया था।
अलमट्टी बांध
अलमट्टी बांध कृष्णा नदी पर बना हुआ है। इसे लाल बहादुर शास्त्री बांध के नाम से भी जाना जाता है। यह एक प्रमुख पनबिजली परियोजना है। इस बांध का निर्माण कार्य वर्ष 1963 में शुरू किया गया था। यह बांध 2005 में बनकर तैयार हो गया था।
कृष्णा नदी जल–विवाद
कृष्णा नदी जल-विवाद, Krishna Nadi के पानी के बँटवारे से संबंधित है। यह विवाद दशकों से चला आ रहा है। पूर्ववर्ती हैदराबाद तथा मैसूर के बीच इस विवाद की शुरुआत हुई थी, जो आज भी महाराष्ट्र, कर्नाटक व आंध्र प्रदेश राज्य के बीच चला आ रहा है।
वर्ष 1969 में इस विवाद को सुलझाने के लिए कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण को बनाया गया। इस न्यायाधिकरण द्वारा 1973 में एक रिपोर्ट पेश की गयी, जिसे 1976 में प्रकाशित किया गया था। इस न्यायाधिकरण ने कृष्णा नदी के करीब 2060 हजार मिलियन घन फीट पानी को तीनों राज्यों में विभाजित कर दिया।
राज्यों के विवाद को लेकर 2004 में पुनः एक न्यायाधिकरण की स्थापना की गई। इस दूसरे न्यायाधिकरण द्वारा अपनी अन्तिम रिपोर्ट पेश की गयी तथा राज्यों के बीच जल का पुनर्वितरण किया गया। न्यायाधिकरण-2 का यह फैसला 2050 तक मान्य रहेगा। हालाँकि राज्य अभी भी इसकी पुनः जांच चाहते है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न(FAQ)
आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक।
कृष्णा नदी किसी एक ही राज्य में स्थित नहीं है, बल्कि यह चार राज्यों में प्रवाहित होती है।
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