झंडा दिवस

झंडा दिवस कब और क्यों मनाया जाता है | Jhanda Diwas

हम भारत देश में रहते हैं। वही भारत देश जिसका एक समृद्ध और विविध इतिहास रहा है। विविध ऐतिहासिक घटनाओं के चलते हम हर वर्ष विभिन्न खास दिवसों को मनाते हैं। हर दिवस मनाने के पीछे कुछ कारण होते हैं।

हम जिस दिवस के बारे में बात करने वाले हैं वो मुख्य रूप से झंडे से संबंधित है क्योंकि इस दिवस का नाम ही “झंडा दिवस” है। ‘झंडा’ शब्द सुनते ही आपके मनमस्तिष्क पर कई प्रकार के झंडे प्रदर्शित हो रहे होंगे। किसी के मन में मंदिर का झंडा आ रहा होगा तो किसी के मन में चुनावी चिह्न वाला झंडा आ रहा होगा। यहाँ हम “झंडा दिवस” और ‘तिरंगा झंडे’ की बात करने वाले हैं।

प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक राष्ट्रीय ध्वज/झंडा होता है जो उस देश के गौरव का प्रतीक होता है। हमारे भारत का भी एक राष्ट्रीय ध्वज/झंडा है जिसे हम “तिरंगा” नाम से जानते हैं। किसी भी देश का ध्वज विश्व में उस देश का प्रतिनिधित्व करता है।

झंडा दिवस

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है “झंडा दिवस” यानि झंडे से ही जुड़ा कोई दिवस। भारत का राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ झंडा है। ये भारत देश का एक राष्ट्रीय प्रतीक भी है। बात भारत की स्वतंत्रता से कुछ दिनों पहले की है, 22 जुलाई 1947 को भारत की संविधान सभा द्वारा तिरंगे झंडे को अपनाया गया था। इस ध्वज में तीन रंग की पट्टियाँ हैं; पहली पट्टी केसरिया रंग की, दूसरी यानि बीच वाली पट्टी सफ़ेद रंग की तथा अंतिम पट्टी हरे रंग की। सफ़ेद पट्टी पर बीच में नीले रंग का अशोक चक्र भी बना है।

क्योंकि 22 जुलाई 1947 को हमारे राष्ट्रीय झंडे को स्वीकारा गया था इसलिए हम प्रत्येक वर्ष 22 जुलाई को “झंडा दिवस” के रूप में मनाते चले आ रहे हैं। झंडा दिवस अपने तिरंगे के बारे में जानने का एक अवसर है।

झंडा दिवस क्यों मनाया जाता है?

हम जब भी कोई दिवस मनाते हैं तो हमें ये मालूम होना चाहिए कि वो दिवस हम क्यों मना रहे हैं। हम हर साल 22 जुलाई को झंडा दिवस मनाते हैं इसके पीछे कुछ कारण हैं जिन्हें आप को जानना चाहिए। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा हमारे राष्ट्रीय ध्वज को स्वीकार किया गया थाइसी याद में हम प्रति वर्ष 22 जुलाई को झंडा दिवस मनाते हैं।

झंडा दिवस एक अवसर है जिस पर लोग अपने राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ी हुई बातों को जानें, क्योंकि वर्तमान समय में हर व्यक्ति अपने में कार्यों में व्यस्त रहता है, ऐसे में ये दिवस लोगों का ध्यान राष्ट्रीय ध्वज की ओर आकर्षित करता है।

तिरंगा/झंडा दिवस लोगों में भारतीय तिरंगे के प्रति सम्मान की भावना पैदा करने के लिए भी एक अच्छा अवसर होता है।

झंडा दिवस का इतिहास

भारतीय तिरंगे झंडे को आज हम जिस रूप में देखते हैं इस रूप से पहले भी इसे कई बार बदला गया था। सन् 1921 महात्मा गाँधी जी ने राष्ट्रीय ध्वज की बात की थी जिसके लिए वर्तमान झंडे का पहला डिज़ाईन तैयार किया गया था। ये डिज़ाईन पिंगली वैंकैया द्वारा तैयार किया गया था। इसमें दो रंग लाल (जो कि हिन्दुओं का प्रदर्शक था) और हरा (जो कि मुस्लिमों का प्रदर्शक था) शामिल किया गया था बाद में इसमें सबसे ऊपर सफ़ेद रंग की पट्टी भी जोड़ी गई थी। इस झंडे में बीच में चरखे का चिह्न बना हुआ था।

1931 में कांग्रेस द्वारा तिरंगे के एक नए रूप को अपनाया गया। इसमें तीन रंग , सबसे पहले केसरिया, बीच में सफ़ेद और अंत में हरा रंग था। इस झंडे के बीच में चरखा बना हुआ था।

बाद में संविधान सभा द्वारा 1931 वाले झंडे में कुछ संशोधन किए गए और चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को लगाया गया। अंततः 22 जुलाई 1947 को वर्तमान तिरंगे को स्वीकार किया गया था।

इस अहम फैसले के कारण भी 22 जुलाई को झंडा दिवस के रूप में  जाना जाता है।

भारतीय झंडा “तिरंगा”

शायद ही कोई भारतीय हो जिसे तिरंगे के बारे में न पता हो। हर भारतीय तिरंगे को अपनी पहचान के रूप में देखता है। तिरंगे को हवा में फहराते हुए देखना हर भारतीय के दिल को सुकून पहुँचाता है।

वर्तमान भारतीय झंडे में तीन रंग, केसरिया , सफ़ेद और हरा रंग है और बीच में अशोक चक्र है। शौर्य और वीरता को केसरिया रंग प्रदर्शित करता है। सफ़ेद रंग सादगी, त्याग और शांति का सूचक है। हरा रंग कृषि, प्रकृति और खुशहाली को दिखाता है। बात करें अशोक चक्र की तो ये प्रगति, निरंतरता और सामूहिकता का प्रदर्शक है।

तिरंगे झंडे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। वर्तमान तिरंगे को पहली बार 15 अगस्त 1947 को फहराया गया था।

भारतीय तिरंगे झंडे से जुड़े हुए कुछ नियम

तिरंगे को फहराने और रखरखाव से संबंधित नियमों के लिए 2002 में ध्वज संहिता बनाई गई थी। इसमें कई नियम शामिल किए गए। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं

  • राष्ट्रीय ध्वज को प्रदर्शित करें तो वह स्थिति सम्मान की स्थिति होनी चाहिए।
  • किसी अन्य ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज के बराबर स्तर पर नहीं फहराया जाना चाहिए।
  • कोई अन्य झंडा राष्ट्रीय ध्वज से ऊपर या बराबरी पर नहीं होना चाहिए।
  • गंदा या फटाकटा ध्वज हो तो उसे फहराया न जाए।
  • सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि में बच्चों द्वारा कागज के झंडो का प्रयोग किया जाए। प्रयोग के बाद झंडे को बिगाड़ना या फेंकना नहीं चाहिए बल्कि एकांत में पूरे सम्मान के साथ उसे नष्ट करना चाहिए।
  • क्षैतिज रूप से जब भी झंडा फहराया जाए तो केसरिया रंग सबसे ऊपर होना चाहिए।
  • तिरंगे झंडे का इस्तेमाल किसी सामग्री को रखने के लिए न किया जाए।
  • राष्ट्रीय ध्वज को कचरे या नाली में न फेंका जाए। इससे उसका अपमान होता है।

निष्कर्ष

हमनें जाना कि झंडा दिवस क्या है और क्यों मनाया जाता है। राष्ट्रीय ध्वज देश के गौरव का प्रतीक होता है और विश्व में उस देश का प्रतिनिधित्व चिह्न होता है। कई विशेष अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज को फहराया जाता है। ये देश के नागरिकों में एकता की भावना और राष्ट्रवाद को प्रबल करने में सहायता करता है। न सिर्फ़ झंडा दिवस पर बल्कि हमें हमेशा ही अपने राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना चाहिए।

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