अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस कब मनाया जाता है ?
विभिन्न उद्देश्यों व मुद्दों को लेकर हर साल विश्व स्तर पर कई अहम दिन मनाए जाते है, इन्हीं विशेष दिवसों में से एक अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस भी है, जो कि वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस हर वर्ष फरवरी महीने की 21 तारीख को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस संयुक्त राष्ट्र का एक कार्यक्रम है, जिसे यूनेस्को द्वारा स्वीकृति प्राप्त है।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के इतिहास की बात करें, तो इसे मनाने की शुरुआत लगभग दो दशक पहले की गयी थी। वर्ष 1999 के नवंबर माह में यूनेस्को द्वारा प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को मनाने की घोषणा की गयी थी। यूनेस्को की उद्घोषणा के बाद वर्ष 2000 से प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की शुरुआत करने में सबसे प्रमुख बांग्लादेशी भाषा अन्दोलन था।
वर्ष 1952 में बांग्लादेश में एक बड़ा भाषायी अन्दोलन हुआ था। ढाका विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों तथा उनके साथ कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा अपनी मातृभाषा का बचाव करने व उसका अस्तित्व बनाए रखने के लिए एक बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया गया था।
इस विरोध प्रदर्शन का दमन करने के लिए वहाँ की पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोलियाँ चलायी गयी, जिसके परिणाम स्वरूप यह विरोध प्रदर्शन नरसंहार में बदल गया। इस नरसंहार में 16 लोगों ने अपनी जान गँवा दी। भाषा के लिए हुई यह घटना, अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के लिए प्रेरणा बनी।
अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की थीम
हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की एक थीम रखी जाती है। कुछ वर्षों की थीमें निम्नलिखित है:-
- वर्ष 2022 के लिए “बहुभाषी अधिगम के लिए तकनीकी का प्रयोग करना:- चुनौतियां व अवसर” विषय रखा गया था।
- वर्ष 2021 में इसकी थीम “ समाज व शिक्षा में समावेशन के लिए बहु–भाषावाद को बढ़ावा देना” रखी गयी थी।
- वर्ष 2020 में इसका विषय “ बिना सीमाओं के भाषाएँ” रखा गया था।
- वर्ष 2019 में “ स्वदेशी भाषा विकास, निर्माण, सुलह व शांति के लिए मायने रखती है”, इसकी थीम थी।
- वर्ष 2018 में इसकी थीम “सतत विकास हेतु भाषायी विविधता तथा बहुभाषिकता की गणना करना” रखी गयी थी।
- वर्ष 2017 में इसका विषय “बहुभाषी शिक्षा के जरिए सतत भविष्य की ओर” रखा गया था।
- वर्ष 2016 के लिए इसका विषय “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अनुदेशन व अधिगम प्रतिफल की भाषा” रखा गया था।
- वर्ष 2015 में इसकी थीम “शिक्षा के माध्यम से तथा शिक्षा में समावेशन:- भाषा मायने रखती है” रखी गयी थी।
- वर्ष 2012 में इसका विषय “मातृभाषा अनुदेशन तथा समावेशी शिक्षा” रखा गया था।
- वर्ष 2011 में इसकी थीम “भाषायी विविधता व भाषाओं के संवर्धन व सुरक्षा के लिए सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीक” रखी गयी थी।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस कैसे मनाया जाता है?
यह विशेष दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है, यहाँ तक कि बांग्लादेश में इस दिन का सार्वजनिक अवकाश रहता है।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेन्सियां यूनेस्को के साथ मिलकर विभिन्न भाषाओं तथा भाषायी संस्कृतियों को प्रोत्साहित करने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन करती है।
सभी लोगों को अपनी मातृभाषा पर गर्व करने के लिए प्रेरित किया जाता है तथा उन्हें अपनी मातृभाषा का संरक्षण करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है। इस दिवस पर कई सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय स्तर पर कार्यक्रम करवाए जाते है।
बांग्लादेश में 1952 के विरोध में जान गँवाने वाले प्रदर्शनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस क्यों मनाया जाता है?
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाए जाने के पीछे कई कारण है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित है:-
- वर्तमान समय में अंग्रेजी भाषा का प्रचलन बढ़ने से मातृभाषा काफी हद तक हतोत्साहित हुई है। ऐसे में मातृभाषा का बचाव करने के लिए इस दिन की अहम भूमिका रहती है।
- इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को उनकी मातृभाषा को बचाए रखने के लिए प्रेरित करना है।
- वैश्वीकरण के इस दौर में कई स्थानीय भाषाएँ विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गयी है, जिनके बचाव के लिए यह दिन एक अच्छी पहल है।
- यह दिन इसलिए भी मनाया जाता है, ताकि लोग अलग-अलग भाषाओं का सम्मान करें तथा उन्हें सीखने का प्रयास करें।
मातृभाषा क्या है?
मातृभाषा व्यक्ति की सबसे पहली भाषा होती है, जिसका वह प्रयोग करता है। जन्म लेने के बाद व्यक्ति द्वारा सबसे पहले जो भाषा अधिगृहित तथा सीखी जाती है, वह उसकी मातृभाषा कहलाती है। आमतौर पर मातृभाषा व्यक्ति के परिवार में बोले जाने वाली भाषा होती है। आमतौर पर व्यक्ति अपनी मातृभाषा अपने माता-पिता से अधिगृहित करता व सीखता है, इसी कारण इसे मातृभाषा कहा जाता है।
मातृभाषा का क्या महत्व है?
किसी भी व्यक्ति के लिए उसकी मातृभाषा बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि समाज के लोगों के साथ अंत: क्रिया के लिए सबसे पहले मातृभाषा का ही प्रयोग किया जाता है। मातृभाषा का महत्व निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा बताया गया है:-
- भाव तथा विचारों की अभिव्यक्ति का सरलतम माध्यम:- बच्चा सबसे पहले मातृभाषा का प्रयोग करना ही सीखता है।अपने आस-पास के लोगों के साथ संवाद स्थापित करने के लिए तथा उनके समक्ष अपनी बातों को रखने के लिए मातृभाषा सबसे आसान माध्यम की भूमिका निभाती है।
- चिंतन प्रक्रिया में महत्व:- विभिन्न लोगों द्वारा मातृभाषा के अलावा भी कई अन्य भाषाओं का प्रयोग किया जाता है। जब भी चिंतन प्रक्रिया की बात की जाती है, तो इसमें मातृभाषा की महत्ता रहती है। लोगों द्वारा चिंतन तथा मंथन करने के लिए आमतौर पर मातृभाषा का प्रयोग किया जाता है। हमारे जो विचार उत्पन्न होते हैं, वो मातृभाषा में ही होते है।
मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के प्रयास
मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे है, जिनमें से सबसे अच्छा उदाहरण नई शिक्षा नीति (राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020) है। नई शिक्षा नीति में मातृभाषा व स्थानीय भाषाओं पर विशेष बल दिया गया है तथा उसी के अनुसार पाठ्यक्रम की संरचना बनाने की बात की गयी है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
21 फरवरी 2000 को।
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