होला मोहल्ला क्या है?
होला मोहल्ला नाम सुनकर अक्सर लोग इसे किसी स्थान का नाम मान लेते है। दरअसल, होला मोहल्ला एक विशेष पर्व है। होला मोहल्ला पर्व सिख समुदाय का एक प्रमुख त्यौहार है। होला मोहल्ला तीन दिन तक चलने वाला त्यौहार है। Hola Mohalla त्यौहार के लिए मेला भी अयोजित किया जाता है।
जब तक होला मोहल्ला का त्यौहार चलता है, तब तक मेला लगा रहता है।
होला मोहल्ला का शाब्दिक अर्थ
होला मोहल्ला का होला शब्द होली से उठाया गया है। कई लोगों का मानना है, कि Hola शब्द ‘हल्ला’ शब्द के लिए प्रयुक्त किया गया है, जो कि सैनिकों के शंखनाद से सम्बंधित है। दूसरी तरफ Mohalla शब्द सेना या सैनिकों के समूह के लिए प्रयुक्त किया गया है।
सामान्य तौर पर देखें, तो होला मोहल्ला का अर्थ सिख सैनिकों के समूह द्वारा अपने पौरुष व शक्ति का प्रदर्शन करने से है।
होला मोहल्ला क्यों मनाया जाता है?
होला मोहल्ला सिख समुदाय द्वारा अपने शौर्य का प्रदर्शन करने के लिए मनाया जाता है। इसे मनाने के पीछे का मुख्य कारण उन गुरुओं को भी याद करना है, जिन्होंने मानवता व सिखों की रक्षा के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया।
Hola Mohalla त्यौहार गुरु गोबिंद सिंह द्वारा शुरू की गयी परम्परा को बनाए रखने के लिए मनाया जाता है। आपस मे मिलकर खुशियाँ मनाने व लोगों के बीच खुशियाँ बांटने के लिए होला मोहल्ला मनाया जाता है।
होला मोहल्ला की शुरुआत किसने की?
Hola Mohalla की शुरुआत का श्रेय सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह को दिया जाता है, क्योंकि इतिहास में उनके द्वारा ही Hola Mohalla मनाए जाने की शुरुआत की गयी थी।
होला मोहल्ला का इतिहास (Hola Mohalla ka Itihas)
होला मोहल्ला के इतिहास की बात करें, तो इसकी शुरुआत वर्ष 1701 में होली के त्यौहार के अगले दिन से की गयी थी। कहा जाता है, कि सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह द्वारा 1700 में खालसा पंथ की स्थापना की गई थी। इसी दौरान उन्होंने सिखों के पाँच प्रतीक (केश, कंघा, कृपाण, कच्छा, कड़ा) भी बताए थे।
खालसा पंथ की स्थापना के बाद Hola Mohalla की परंपरा की शुरुआत की गयी थी, जिसके लिए आनंदपुर साहिब में पहला जुलूस निकाला गया था। गुरु गोबिंद सिंह जी ने विरोधियों के खिलाफ़ संघर्ष में सिखों की मजबूत स्थिति बनाने के लिए एक सशक्त सेना का गठन किया था। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने सैनिकों को सत्य की रक्षा करने के लिए तथा रक्षा हेतु अकाल पुरख की फौज (अर्थात सर्वशक्तिमान की सेना) के तहत स्वयं के कर्तव्यों व जिम्मेदारियों के प्रति जागृत किया।
माना जाता है, कि गुरु गोबिंद सिंह ने सभी सिख सैनिकों को एकत्र किया तथा मार्शल आर्ट व अन्य साहसिक गतिविधियों को एकता के साथ करने के लिए प्रेरित किया। Hola Mohalla एक बनावटी हमले के रूप में शुरू किया गया था, जिसमें दो दल आपस में बनावटी लड़ाई करते हैं। इस बनावटी युद्ध का उद्देश्य युद्ध कौशलों को बेहतर बनाना तथा भविष्य के लिए सेना को तैयार करना था।
होला मोहल्ला की शुरुआत में गुरु गोबिंद सिंह ने दो दल बनाए, जिसमें एक दल के सदस्यों द्वारा सफ़ेद व दूसरे दल द्वारा केसरी वस्त्रों को धारण किया गया था। गुरु गोबिंद सिंह ने एक दल को होलगढ़ पर काबिज कर दिया तथा दूसरे दल से होलगढ़ को अपने नियन्त्रण में लेने के लिए कहा। दोनों गुटों में संघर्ष हुआ। इस संघर्ष में बंदूक या तीर जैसे हथियार वर्जित थे, क्योंकि यह अभ्यास के लिए एक बनावटी हमला था। अंत में दूसरा दल जीत गया। जिसके बाद गुरु गोबिंद सिंह द्वारा बड़े पैमाने पर हलवे का प्रसाद बंटवाया गया और खुशियाँ मनायी गईं।
होला मोहल्ला कहाँ मनाया जाता है?
Hola Mohalla त्यौहार विशेष रूप से आनंदपुर साहिब में मनाया जाता है, जो कि पंजाब में स्थित है। होला मोहल्ला का त्यौहार इतना विशेष होता है, कि इसमें भाग लेने के लिए विभिन्न स्थानों से लोग आनंदपुर साहिब पहुँचते है।
होला मोहल्ला कैसे मनाया जाता है?
Hola Mohalla एक विशिष्ट अवसर होता है, जिसे विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। Hola Mohalla त्यौहार से जुड़ी कुछ प्रमुख क्रियाएं निम्नलिखित है:-
- Hola Mohalla की शुरुआत प्रातःकालीन प्रार्थना के साथ की जाती है। विभिन्न विधियों को पूर्ण करने के बाद सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है।
- गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ किया जाता है, अर्थात निरंतर रूप से लोग बारी-बारी इसका पाठ करते हैं।
- विभिन्न स्थानों पर कई समारोह किये जाते हैं। विभिन्न गुरुद्वारों में कीर्तन किया जाता है।
- सिख समुदाय द्वारा लंगर का आयोजन किया जाता है। इसमें सभी श्रद्धालुओं व आगंतुकों को स्वादिष्ट भोजन परोसा जाता है, ताकि सभी आने जाने वाले भरपेट खाना खा सकें। इसी दौरान करहा प्रसाद भी दिया जाता है।
- लंगर के लिए आस-पास के लोगों द्वारा धन, आटा, गेहूँ, चावल आदि दान किया जाता है।
- लोगों द्वारा स्वेच्छा से, बिना किसी स्वार्थ के एक स्वयंसेवक के रूप में ये सेवाएँ दी जाती है। इस सेवा भाव के लिए सभी धर्मों के लोगों के लिए गुरुद्वारे के द्वार खुले रहते है।
- Hola Mohalla के अवसर पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है, जुलूस निकाला जाता है तथा निहंगों की सेना द्वारा पौरुष बल, मार्शल आर्ट व शक्ति का प्रदर्शन किया जाता है। कई युगल आपस में बनावटी लड़ाई लड़ते है। सभी मिलकर खुशियाँ मनाते है और खुशियाँ बांटने का प्रयास करते है।
होला मोहल्ला आनंदपुर साहिब (Hola Mohalla Anandpur Sahib)
आनंदपुर साहिब पंजाब के रूप नगर जिले का एक प्रमुख शहर है। यह वही स्थान है, जहाँ पहली बार Hola Mohalla मनाया गया था तथा इसे मनाने की परंपरा अभी भी चालू है।
इस स्थान की स्थापना सिखों के नौवें गुरू तेग बहादुर जी द्वारा अपनी माँ के नाम पर की गयी थी, लेकिन बाद में इसका नाम आनंदपुर साहिब रखा गया था। गुरू तेग बहादुर के बाद गुरू गोबिंद सिंह जी के नियंत्रण में यह स्थान रहा। इसी स्थान पर रहते हुए गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी सेना तैयार की थी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न(FAQ)
गुरु गोबिंद सिंह ने।
पंजाब के रूप नगर जिले में।
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