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भोपाल का इतिहास

भोपाल का इतिहास | History of Bhopal in Hindi

Posted on December 3, 2022
Table of contents
  1. भोपाल का इतिहास
  2. राजा भोज से जुड़ी लोककथाएं
  3. कैसे भोपाल राज्य “आधुनिक भोपाल शहर” बना ?
  4. भोपाल के इतिहास की चार बहादुर बेगम
  5. भोपाल गैस त्रासदी

भोपाल का इतिहास

भोपाल मध्यप्रदेश राज्य की राजधानी है। यह शहर 463 किलोमीटर वर्ग के क्षेत्र में फैला हुआ है। अनेक प्रकार की झीलों की उपस्थिति के कारण इसे “झीलों का शहर” भी कहा जाता है।

यह हमारे देश का 16 वां सबसे बड़ा शहर है। लगातार तीन वर्षों यानी 2017, 2018, 2019 तक भोपाल को भारत का सबसे स्वच्छ राज्य राजधानी माना गया। भोपाल का  इतिहास आकर्षक और परिवर्तनशील रहा है।

राजा भोज से जुड़ी लोककथाएं

भोपाल का पहला नाम भोजपाल था। यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि भोपाल की झील का नाम भोजताल था और वहां के निवासी इस जगह को भोजपाल बोलने वाले।

इस झील का निर्माण राजा भोज ने 11वीं शताब्दी में अपने हित के लिए करवाया था। दरअसल राजा भोज कुष्ठ रोग से ग्रस्त थे और उनके चिकित्सक ने उन्हें सलाह दी थी कि अगर वह प्रतिदिन 365 नदियों के पानी से स्नान करेंगे तो उन्हें बहुत लाभ होगा।

इसी कारण इस भोजताल का निर्माण हुआ था। यह जलाशय भारत का सबसे बड़ा मानव-निर्मित जलाशय है भोपाल की पहचान है और वहां के निवासियों के लिए वरदान।

कैसे भोपाल राज्य “आधुनिक भोपाल शहर” बना ?

वर्तमान भोपाल शहर के संस्थापक दोस्त मोहम्मद खान है। उन्होंने औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात 17वीं शताब्दी में भोपाल को अपना राजकीय निवास स्थान बना लिया था।

वह वास्तव में तो मुगल सेना के एक सैनिक थे लेकिन परिस्थितियों का फायदा उठाकर भोपाल पर कब्जा कर बैठे। इस सब की शुरुआत खान ने मालवा क्षेत्र के राजनीतिक रूप से अस्थिर स्थानीय सरदारों को कई सामाजिक सेवाएं दे कर की।

वह मंगलगढ़ के राजपूतों को भी कई सेवाएं दिया करते थे और धीरे-धीरे अपने राजनीतिक संबंधों को और मजबूत करते रहते थे। उनकी प्रमुख जीत जगदीशपुर के राजपूतों की हार थी। उन्होंने फिर शहर का नाम बदलकर इस्लामनगर कर दिया। उन्होंने अपनी जीत की घोषणा करने के लिए फतेहगढ़ का निर्माण भी किया।

सैय्यद बंधुओं के साथ मजबूत संबंध होने के कारण उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाता था क्योंकि सैय्यद बंधु मुगल साम्राज्य में उच्च स्थान पर थे।

1720 के दशक में उन्होंने भोपाल राज्य और आसपास के ग्रामीण इलाकों को एक “आधुनिक भोपाल शहर” में परिवर्तित कर दिया और एक ‘मुगल नवाब’ का गौरव प्राप्त किया। खान की मृत्यु के एक सदी बाद (अर्थात् 1818 में) , ब्रिटिश भारत ने भोपाल को अपने अधीन कर लिया।

भोपाल के इतिहास की चार बहादुर बेगम

1819 से 1926 तक चार बेगमों ने इस शहर पर राज किया।

  • 1819-1837  – कुदसिया बेगम
  • 1837-1868 – सिकंदर बेगम  ( कुदसिया बेगम की पुत्री )
  • 1868-1901 – शाहजहां बेगम ( सिकंदर बेगम की पुत्री )
  • 1901-1926 – कैखुसरू जहां बेगम -सुल्तान जहां बेगम  (शाहजहां बेगम की पुत्री )

हालांकि सभी बेगमों के शासनकाल में शहर का रेलवे, नगर पालिका, डाक सेवाएं, आदि क्षेत्रों में बहुत विकास देखा गया लेकिन बेगम सिकंदर का प्रभाव सबसे महत्वपूर्ण और प्रबल था।

वह रानी विक्टोरिया के अलावा पूरे ब्रिटिश साम्राज्य में अपने समय की एकमात्र महिला शूरवीर थी। उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य में नाइटहुड से सम्मानित किया गया था। इसी के साथ उन्हें 19 तोपों की सलामी भी दी गई थी। उन्हीं के शासनकाल में भोपाल राज्य का पहला सर्वेक्षण भी हुआ था। मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटक आकर्षण माने जाने वाले प्रसिद्ध मोती महल और मोती मस्जिद भी उनके शासनकाल के दौरान ही बनाए गए थे।

बेगम शाहजहाँ को वास्तुकला में अधिक रुचि थी। उनके नाम पर एक छोटा सा शहर है जो शाहजहांनाबाद है। बेगम सुल्तान जहां ने 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बनाकर भारत के विकास में अपना सबसे बड़ा योगदान दिया था। वह सरकार अम्मा के नाम से भी मशहूर थी। उन्होंने सदर मंजिल नाम से अपना महल भी बनवाया जो अब भोपाल नगर निगम का मुख्यालय है।

भोपाल गैस त्रासदी

भोपाल गैस त्रासदी का जिक्र किए बिना भोपाल के इतिहास की कहानी अधूरी है। इस घटना की वजह से भोपाल अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है। यह घटना न केवल भारत के इतिहास बल्कि विश्व के इतिहास में भी एक बड़ी घटना थी।

यह आपदा यूसीआईएल (यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड) कीटनाशक संयंत्र, भोपाल में 2 और 3 दिसंबर 1984 को हुई थी। इस तरह की घटना पूरी दुनिया के इतिहास में कभी नहीं देखी गई।

यह रासायनिक घटना भंडारण टैंक से मिथाइल आइसोसाइनेट के रिसाव के कारण हुई थी। यह फैक्ट्री में शामिल लोगों द्वारा लापरवाही और असावधानी का एक स्पष्ट मामला था।

लोगों ने मिथाइल आइसोसाइनाइड को सूंघ लिया और पल्मोनरी एडिमा, चोकिंग, सर्कुलेटरी कोलैप्स जैसे कई कारणों से सुबह तक मर गए। जिन लोगों की मृत्यु नहीं हुई, उन्हें कैंसर, स्थायी अंधापन आदि जैसी गंभीर बीमारियाँ हो गईं।

लगभग 4000 मौतों की सूचना मिली थी और 16000 से अधिक मौतों का दावा किया गया था l लगभग 5.6 लाख लोग गैर-घातक लेकिन गंभीर चोटों से पीड़ित हुए।

इस स्थान के पास का भूजल, मिट्टी और हवा सदियों से दूषित है और आज तक पूरी तरह से साफ नहीं हो पाई है। यह घटना हम सभी के लिए अज्ञानता का अभ्यास नहीं करने के लिए एक कठिन सबक की तरह है।

Disclaimer : इस पोस्ट में दी गई समस्त जानकारी हमारी स्वयं की रिसर्च द्वारा एकत्रित की गए है, इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि हो, किसी की भावना को ठेस पहुंचे ऐसा कंटेंट मिला हो, कोई सुझाव हो, Copyright सम्बन्धी कोई कंटेंट या कोई अनैतिक शब्द प्राप्त होते है, तो आप हमें हमारी Gmail Id: (contact@kalpanaye.in) पर संपर्क कर सकते है।

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