हिंगलाज शक्ति पीठ भक्तों के बीच उनकी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण तीर्थ है। हिंगलाज पुराण के साथ-साथ वामन और कई पुराणों में भी इसका जिक्र किया गया है। हिंगलाज माता को बहुत शक्तिशाली देवी कहा जाता है, जो अपने सभी भक्तों का भला करती है। पाकिस्तान में स्थित हिंगलाज उनका मुख्य मंदिर है। इसके अतिरिक्त उन्हें समर्पित मंदिर भारतीय राज्यों गुजरात और राजस्थान में मौजूद है। मंदिर को हिंदू शास्त्रों में हिंगुला, हिंगलाजा, हिंगलजा और हिंगुलता के रूप में जाना जाता है। हिंगलाज माता को हिंगुला देवी अर्थात लाल देवी या हिंगुला की देवी के रूप में भी पहचाना जाता है।
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि ने यहां तपस्या की थी। उनके नाम पर एक स्थान आज भी यहां मौजूद है। कहा जाता है कि इस प्रसिद्ध मंदिर में गुरु गोरखनाथ, गुरु नानक देव, दादा माखन जैसे महान आध्यात्मिक संत मां की पूजा करने आए हैं।
हिंगलाज माता मंदिर का इतिहास (Hinglaj Mata Mandir ka Itihas)
हिंगलाज माता से जुड़ी प्रमुख कथा उनके विभिन्न शक्ति पीठों के निर्माण से संबंध रखती है। सती, जो प्रजापति दक्ष की पुत्री थी, उनका विवाह भगवान शिव से हुआ, जो कि दक्ष की इच्छा के खिलाफ था। दक्ष ने एक महान यज्ञ का आयोजन किया लेकिन सती और शिव को आमंत्रित नहीं किया। बिन बुलाए, सती यज्ञ-स्थल पर पहुँच गईं, जहाँ दक्ष ने सती की उपेक्षा की और शिव को अपमानित किया। इस अपमान को झेलने में असमर्थ, सती ने अपने चक्रों (उनके क्रोध से उत्पन्न ऊर्जा) को सक्रिय करते हुए खुद को अग्नि को समर्पित कर दिया।
सती की मृत्यु हो गई, लेकिन उनकी लाश नहीं जली। शिव (वीरभद्र के रूप में) ने सती की मृत्यु के जिम्मेदार दक्ष को मार डाला और उन्हें पुनर्जीवित करते हुए क्षमा कर दिया। शोकग्रस्त शिव सती की लाश के साथ ब्रह्मांड में घूमते रहे। अंत में, भगवान विष्णु ने सती के शरीर को 108 भागों में विभाजित कर दिया, जिसमें से 52 पृथ्वी पर और शेष ब्रह्मांड के अन्य ग्रहों पर गिरे। पृथ्वी पर गिरे भाग अलग-अलग शक्ति पीठ बन गए। प्रत्येक शक्तिपीठ में शिव की पूजा भैरव के रूप में की जाती है, जो पीठासीन देवी के पुरुष संरक्षक होते है। माना जाता है कि सती का सिर हिंगलाज में गिरा था।
इस मंदिर से जुड़ी एक और मान्यता प्रचलित है। कहा जाता है कि हर रात इस स्थान पर सारी शक्तियां इकट्ठी होकर रास रचाती है और दिन के समय हिंगलाज माता में विलीन हो जाती है।
हिंगलाज माता के चमत्कार (Hinglaj Mata ke Chamatkar)
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में स्थित हिंगलाज माता को बहुत ही शक्तिशाली देवी कहा जाता है, जो अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए भी जानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से जो भी मांगा जाता है, वह मनोकामना अवश्य पूरी होती है। एक और खास बात यह है कि हिंदू श्रद्धालुओं के साथ-साथ मुस्लिम श्रद्धालु भी यहां अपनी फरियाद लेकर आते है। मुसलमान हिंगुला देवी को ‘नानी मंदिर’ कहते है और वहां जाने को ‘नानी का हज’ कहते हैं। पूरे बलूचिस्तान के मुसलमान भी हिंगलाज शक्ति पीठ की पूजा करते है।
हर साल अप्रैल में यहां एक धार्मिक उत्सव होता है, जिसमें दूर-दराज के इलाकों से लोग आते है, जिनमें खासकर हिंदू शामिल होते है। हिंगुला देवी की यात्रा के लिए पासपोर्ट और वीजा जरूरी है।
हिंगलाज माता मंदिर की वास्तुकला
Hinglaj Mata का मंदिर हिंगोल नदी के तट पर स्थित एक गुफा मंदिर है। मंदिर में कोई द्वार नहीं है। इस मंदिर की दिलचस्प बात यह है कि इस मंदिर में देवी की कोई मानव निर्मित प्रतिमा नहीं है। बल्कि एक छोटे आकार के पत्थर को हिंगलाज माता के रूप में पूजा जाता है, जिनकी मान्यता और चमत्कार अद्भुत है। इस शक्तिपीठ में शक्ति रूप ज्योति के दर्शन होते है। गुफा में हाथ-पैर के बल पर जाना पड़ता है।
हिंगलाज माता मंत्र (Hinglaj Mata mantra)
ॐ हिंगुले परम हिंगुले, अमृत-रूपिणि।
तनु शक्ति मनः शिवे, श्री हिंगुलाय नमः स्वाहा ॥
Hinglaj Mata mantra
यह मंत्र अत्यंत शक्तिशाली और चमत्कारी है। हिंगलाज माता के प्रत्येक उपासक को इसका नियमित पाठ करना चाहिए। इस मंत्र के जाप से यश, कीर्ति, फल प्राप्त होता है और भक्त की इच्छा पूर्ण होती है। इस मंत्र का जाप करने से परिवार के सभी कष्ट दूर हो जाते है और समृद्धि एवं उन्नति की राह खुल जाती है।
हिंगलाज शक्तिपीठ कैसे पहुंचे?
भारतीयों के लिए, सभी श्रद्धालुओं को पाकिस्तान दूतावास में वीजा के लिए आवेदन करना होगा। वीजा अप्रूवल के बाद आप ट्रेन या प्लेन से जा सकते है।
हवाईजहाज मार्ग
निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा कराची में है। यह हिंगलाज शक्तिपीठ से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर है।
रेल मार्ग
भारतीय समझौता एक्सप्रेस ट्रेन से पाकिस्तान पहुंचा जा सकता है। निकटतम रेलवे स्टेशन हिंगलाज शक्तिपीठ से 250 किलोमीटर दूर है। स्थानीय परिवहन के माध्यम से मंदिर तक पहुंचने की सलाह दी जाती है।
सड़क मार्ग
कई स्थानीय और निजी परिवहन बसें है, जो हिंगलाज से जुड़ती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Hinglaj Mata, देवी सती का अवतार मानी जाती है।
एक प्रचलित कथा के अनुसार ब्रह्मक्षत्रिय समाज का उद्भव हिंगलाज माता की कृपा से ही हुआ था, अतः समाज में एकमात्र हिंगलाज माता को ही कुलदेवी माना जाता है। चारण समाज में भी हिंगलाज माता और उनके अवतारों को कुलदेवी माना जाता है।
विभिन्न गाँवों के अनेक समाजों में हिंगलाज माता की कुलदेवी के रूप में पूजा की जाती है। भारत – विभाजन के बाद पाकिस्तान स्थित हिंगुलालय के दर्शन के लिए कई औपचारिकताओं का निर्वाह करना होता है। फिर भी श्रद्धालु वहाँ हिंगलाज माता के दर्शन के लिए जाते है। अधिकांश श्रद्धालु अपने आस-पास के हिंगलाज मन्दिर में ही जात-जडूला आदि मांगलिक कार्य सम्पन्न करते है।
हिंगलाज माता मन्दिर, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के हिंगलाज में हिंगोल नदी के तट पर स्थित एक हिन्दू मन्दिर है, जो कराची से 217 किलोमीटर दूर है। आजादी से पहले पाकिस्तान भारत का हिस्सा था इसलिए, हिंगलाज उन दो शक्तिपीठों में से एक है, जो भारत की सीमा के पार पाकिस्तान में स्थित है। अधिकांश यात्रा रेगिस्तान के माध्यम से करनी पड़ती है, जो अत्यंत कठिन है।
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