हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश भारत देश के 28 राज्यों में से एक राज्य है। इसकी दो राजधानियाँ शिमला ( गर्मी के मौसम में ) और धर्मशाला (सर्दी के मौसम में) है। इस राज्य का सबसे बड़ा शहर शिमला है। बात करें इस राज्य की भौगोलिक स्थिति की, तो विश्व-मानचित्र पर इसकी स्थिति 30°22’ उ. से 33°12’ उ. अक्षांश और 75°45’ पू. से 79°04’ पू. देशांतर है।
इस प्रदेश की कुल जनसंख्या 68,64,602 ( 2011 मतगणना के अनुसार ) है तथा कुल क्षेत्रफल 55,673 वर्ग किलोमीटर है, और इस तरह इसका जनसंख्या घनत्व 123 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। 2011 की मतगणना के अनुसार राज्य की साक्षरता दर 82.80 % है, जिसमें महिलाओं की साक्षरता दर 75.93% तथा पुरुषों की साक्षरता दर 89.53% है।
हिमाचल प्रदेश के जिले
राज्य में कुल 12 जिले है:- बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा, किन्नौर, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर, सोलन, ऊना, लाहौल-स्पीति।
हिमाचल प्रदेश का इतिहास
हिमाचल प्रदेश का इतिहास बहुत प्राचीन है। इसकी जड़ें सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ी हुई है। इस बात की पुष्टि इस बात से होती है, कि हिमाचल प्रदेश के कई भागों में की गई खुदाई से कई ऐसी सामग्रियाँ प्राप्त हुई है, जो सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित हैं। प्राचीन समय में इस प्रदेश आदिवासियों को निषाद व दास कहा जाता था।
उन्नीसवीं शताब्दी के समय में रणजीत सिंह ने इस प्रदेश के कई क्षेत्रों को अपने राज्य में सम्मिलित कर लिया था।
स्वतंत्रता के बाद हिमाचल प्रदेश 1948, 15 अप्रैल को अस्तित्व में आया। हिमाचल प्रदेश भारतीय संविधान के कार्यान्वयन के परिणाम स्वरूप 26 जनवरी 1950 को भारत का एक “भाग स” राज्य बन गया। 1 नवंबर 1956 को हिमाचल प्रदेश केंद्र शासित प्रदेश बना। 1970 में 18 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम संसद द्वारा पास किया गया, और परिणामस्वरूप 25 जनवरी 1971 को नया राज्य हिमाचल प्रदेश अस्तित्व में आया। हिमाचल प्रदेश भारतीय संघ का अट्ठारहवां राज्य बना था।
हिमाचल प्रदेश की जलवायु व तापमान
हिमाचल प्रदेश में आमतौर पर शीतोष्ण व उपोष्ण दोनों तरह की जलवायु पाई जाती है। गर्मियों के दिनों में यहाँ का मौसम बहुत सुहावना रहता है। यहाँ 160 से.मी. की औसतन वर्षा होती है। सबसे अधिक वर्षा जहाँ धर्मशाला में पड़ती है, तो वहीं सबसे कम वर्षा स्पीति क्षेत्र में पड़ती है।
हिमाचल प्रदेश में मुख्यतः तीन ऋतुएं होती है– वर्षा ऋतु , शरद ऋतु और ग्रीष्म ऋतु। हिमाचल प्रदेश की समुद्रतल से ऊँचाई में विविधता की वजह से जलवायु में भी भिन्नता देखने को मिलती है। कहीं पूरे साल बर्फ गिरती देखने को मिलती है, तो कहीं-कहीं गर्मी भी होती हे। हिमाचल प्रदेश में गर्म पानी के छोटे झरने भी हैं, और हिमनद भी है। ऐसी विविधता समुद्रतल से ऊँचाई में भिन्नता के कारण है।
हिमाचल प्रदेश की भाषा व जातियाँ
हिमाचल में मौसमी विविधता की तरह ही भाषायी विविधता भी है। राज्य के तकरीबन 88% लोग पहाड़ी हिंदी तथा 6% लोग पंजाबी बोलते है। चंबा जिले में मुख्यतः चंबायली बोली जाती है, तथा इसकी कुछ स्थानीय भाषा भटियाली, चुराही व भरमौरी है। सोलन जिले में महासुवी उपभाषा व भगाटी, क्योंथली बोलियाँ बोली जाती है। लाहौल-स्पीति की बात करें, तो लाहौली लाहौल में मुख्य रूप से बोली जाती है तथा यहाँ की प्रमुख बोलियाँ गेहरी, गारा व मनचाटी है, स्पीती में तिब्बती भाषा की प्रधानता है।
हिमाचल प्रदेश विभिन्न जातियों का मिश्रण है। कोल, किरात, नाग,खश आदि वे जातियां है, जो हिमाचल में आर्यों के आने से पूर्व निवास करती थीं। आर्यों के आने के बाद यहां पर गुज्जर, शक, हूण, ब्राह्मण, राजपूत, भोट, क्षत्रिय, घिरथ, कोली, सूद तथा वैश्य आदि जातियां अस्तित्व में आईं। आर्यों के बाद वाली जातियां ही आज हिमाचल में वर्तमान में स्थित है।
हिमाचल प्रदेश की संस्कृति
हिमाचल प्रदेश की अपनी विशेष सांस्कृतिक कला और हस्तशिल्प शैली है, जिसकी काफ़ी सराहना भी की जाती है। पहाड़ी लोगों के लिए त्यौहार और मेले उल्लासपूर्ण नृत्य और गीतों के अवसर होते है। किन्नौर में बनी उत्कृष्ट शैली की शॉलें, कुल्लू में बनी खास ऊनी टोपियाँ और क़सीदाकारी किये हुए चंबा के रूमाल, त्यौहारों के समय रंगीन परिधानों को और भी खास बनाते है। अपनी कांगड़ा घाटी की चित्रकला शैली के लिए भी हिमाचल प्रदेश जाना जाता है
हिमाचल प्रदेश का रहन-सहन
हिमाचल प्रदेश का रहन-सहन काफ़ी अनुशासित व सादा है। यहां मुख्यतः लकड़ी से बने मकानों में लोग निवास करते हैं, क्योंकि अक्सर प्राकृतिक दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। यहाँ के लोगों की अपनी विशिष्ट पोशाकें है, जिन्हें वे आमतौर पर या खास अवसर पर पहनते है। पहाड़ी क्षेत्र होंने के कारण यहाँ की जीवनशैली थोड़ी कठिन है। यहाँ कई सुविधाओं का अभाव भी होता है, लेकिन यहाँ के लोग पर्याप्त संसाधनों में जीवनयापन करना जानते है।
हिमाचल प्रदेश में रोजगार के साधन
हिमाचल प्रदेश में रोजगार के साधनों की बात करें, तो यहाँ रोजगार का प्रमुख साधन पर्यटन है। हर साल कई सैलानी हिमाचल में घूमने के लिए आते है, जो हिमाचल के लोगों के लिए आय का साधन बनते है। पर्यटन के अलावा यहाँ कई उद्योग भी अवस्थित है। कई क्षेत्रों में कृषि भी की जाती है। अक्सर कई घरों में आप हथकरघा भी देख सकते है।
हिमाचल प्रदेश में घूमने की जगहें
हिमाचल प्रदेश में कई ऐसी जगहें है, जो घूमने के लिए बहुत अच्छी हैं। कुछ घूमने लायक जगहें इस प्रकार है:- चांशल दर्रा, रक्षम गांव, बिजली महादेव, नारकंडा, डलहौजी, शिमला, बिलिंग घाटी, धर्मशाला, कसौली, मनाली आदि। हिमाचल के खज्जियार गाँव को मिनी स्विट्ज़रलैण्ड कहा जाता है।
हिमाचल प्रदेश की प्रमुख नदियाँ व झीलें
हिमाचल प्रदेश में नदियों व झीलों की भी सौंदर्यपूर्ण सम्पदा है। हिमाचल प्रदेश की प्रमुख नदियाँ इस प्रकार हैं:- चेनाब, सतलुज, व्यास, यमुना व रावी। हिमाचल प्रदेश की प्रमुख झीलें :- डल झील, पोंग झील, नाको झील, लामा झील, सुकेती झील, कराली झील, चंद्रताल, सुखसागर झील आदि।
हिमाचल प्रदेश का प्राकृतिक पर्यावरण
हिमाचल प्रदेश का प्राकृतिक पर्यावरण काफ़ी समृद्ध है। हिमाचल के विभिन्न वन्य जीव अभ्यारणों में विभिन्न जीव पाए जाते है, जिनमें प्रमुख हैं:- चीतल, कस्तूरी मृग, शेर, हिमालयी भालू, लँगूर, तेंदुए आदि। हिमाचल प्रदेश में वनस्पति की भी काफ़ी विविधता पाई जाती है। हिमाचल प्रदेश में खैर, बबूल,शीशम, कांगू व फलाही कुछ प्रमुख वन्य वृक्ष है।
निष्कर्ष
हिमाचल प्रदेश सौंदर्य से परिपूर्ण राज्य है। इसे इसके इतिहास और संस्कृति के कारण देवभूमि भी कहा है। घूमने के नजरिए से भी ये राज्य बहुत समृद्ध है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आचार्य दिवाकर दत्त।
1971 में।
धर्मशाला।
12
Other Famous Articles
शिमला में घूमने की जगह | शिमला के प्रमुख दर्शनीय स्थल | Places in Shimla
Disclaimer : इस पोस्ट में दी गई समस्त जानकारी हमारी स्वयं की रिसर्च द्वारा एकत्रित की गए है, इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि हो, किसी की भावना को ठेस पहुंचे ऐसा कंटेंट मिला हो, कोई सुझाव हो, Copyright सम्बन्धी कोई कंटेंट या कोई अनैतिक शब्द प्राप्त होते है, तो आप हमें हमारी Gmail Id: (contact@kalpanaye.in) पर संपर्क कर सकते है।