हवामहल, जयपुर | Hawa Mahal Jaipur
हवामहल अपनी अद्भुत वास्तुकला तथा खास विशेषताओं वाली ईमारत का एक बेशकीमती नमूना है। यह Pink City कहे जाने वाले जयपुर शहर में स्थित है। पैलेस ऑफ़ विंड्स के नाम से भी जाना जाने वाला हवामहल भारत तथा राजस्थान का महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल है। देश–विदेश से कई पर्यटक यहाँ घूमने के लिए आते है।
जयपुर के हवामहल का इतिहास | Jaipur ke Hawa mahal ka Itihas
जयपुर के हवामहल के इतिहास की बात करें, तो इसका निर्माण रॉयल सिटी पैलेस के विस्तारण के रूप में किया गया था। सवाई प्रताप सिंह, जो कि महाराजा सवाई जय सिंह के पोते थे , के द्वारा वर्ष 1799 में जयपुर के हवामहल का निर्माण कराया गया था। हवामहल के निर्माण की प्रेरणा सवाई प्रताप सिंह को खेतड़ी महल से मिली थी, जो कि महाराज भूपाल सिंह द्वारा बनवाया गया था। भूपाल सिंह राजस्थान के झुंझनू शहर के महाराज थे।
इस महल में कई खिड़कियाँ बनवायी गयीं। इतनी सारी खिड़कियों का निर्माण करने के पीछे दो मुख्य उद्देश्य थे। पहला उद्देश्य राजघराने की महिलाओं से सम्बंधित था। उस समय महिलाओं को पर्दा प्रथा का पालन करना पड़ता था, इसलिए किसी विशेष कार्यक्रम या उत्सव को पूरे आनंद के साथ नहीं देख पाती थी। महल में कई खिड़कियाँ होने के कारण शाही महिलाएँ सड़क पर हो रहे किसी भी उत्सव आदि को देख सकती थी।
दूसरा उद्देश्य गर्मी से निजात पाना था। भौगोलिक कारणों की वजह से इस स्थान पर अधिक गर्मी पड़ती थी। महल में कई सारी खिड़कियाँ इसलिए बनवायी गयी, ताकि महल में आसानी से हवा आ-जा सके।
हवामहल का निर्माण | Hawa Mahal ka Nirman
जयपुर के हवामहल का निर्माण गुलाबी तथा लाल बलुआ पत्थरों से किया गया है। यह एक पांच मंजिला ईमारत है, जिसमें सीढिय़ां नहीं है, बल्कि रैम्प के माध्यम से ऊपर जाया जाता है। इस ईमारत की एक खास बात यह है, कि यह विश्व की सबसे ऊँची बिना नींव वाली ईमारत है।
हवामहल की वास्तुकला | Hawa Mahal ki Vastukala
वास्तुकला की दृष्टि से हवामहल एक अद्भुत व आकर्षक कृति है। इस ईमारत के निर्माण में मुगल व राजपूत स्थापत्य शैली का प्रयोग किया गया है। इस ईमारत का डिजाईन हिंदू राजपूत वास्तुकला व इस्लामिक मुगल वास्तुकला का अद्भुत मिश्रण है। लाल चंद उस्ताद इस महल के वास्तुकार थे। इस महल की संरचना श्री कृष्ण के मुकुट के समान है। दीवारों तथा झरोखों पर सुंदर नक्काशी की गयी है।
जयपुर हवामहल में कितनी खिड़कियाँ है? | jaipur hawamahal me kitni khidkiya hai
जयपुर के हवामहल की सबसे बड़ी विशेषताओं में से एक यहाँ की खिड़कियाँ है। महल में कई सारी खिड़कियाँ है, जिनकी संख्या 953 है। खिड़कियों की इतनी ज्यादा संख्या होने के कारण महल में हवा आती–जाती रहती है। महल की इसी विशेषता के कारण इसका नाम हवामहल है।
हवामहल से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
Hawa Mahal से जुड़े कुछ रोचक तथ्य निम्नलिखित है:-
- इस महल की संरचना कुछ इस प्रकार है, कि सामने से देखने पर इसका दृश्य किसी मधुमक्खी के छत्ते जैसा लगता है।
- हवामहल के अंदर जाने के लिए सामने से कोई प्रवेश द्वार नहीं है।
- इस महल की पांचवी मंजिल को हवा मंदिर कहा जाता है।
- नींव न होने के बावजूद यह ईमारत सीधी खड़ी है।
हवामहल कब जाना चाहिए | Hawa Mahal ka Jana Chiye
सर्दियों का मौसम जयपुर घूमने आने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। पर्यटकों का पीक सीजन, नवंबर महीने की शुरुआत से फरवरी महीने के मध्य तक का समय रहता है। हवामहल में घूमने का समय प्रातः साढ़े नौ बजे से शाम साढ़े चार बजे तक है। हवामहल घूमने के लिए सबसे अच्छा समय सुबह का रहता है, जब सूर्य की किरणें इस ईमारत पर पड़ती है। सूर्य की किरणों के पड़ने से हवामहल का दृश्य देखने लायक होता है।
जयपुर हवामहल की एन्ट्री फीस | Jaipur Hawa Mahal Entry Fees
सामान्य एन्ट्री फीस
हवामहल में घूमने के लिए पहले एन्ट्री फीस देनी पड़ती है। भारतीय लोगों के लिए ये शुल्क 50 रुपये तथा विदेशी पर्यटकों के लिए 200 रुपये निर्धारित एन्ट्री फीस है।
कम्पोजिट टिकट
सामान्य एन्ट्री फीस के अलावा पर्यटकों के पास कम्पोजिट टिकट खरीदने का भी विकल्प होता है। इस कम्पोजिट टिकट की वैधता दो दिन तक रहती है। इस कम्पोजिट टिकट की विशेषता यह है, कि इसकी मदद से दो दिन तक हवामहल तथा इसके आस-पास के पर्यटन स्थलों का भ्रमण किया जा सकता है। भारतीयों के लिए इस टिकट की कीमत 300 रुपये तथा विदेशी पर्यटकों के लिए इसकी कीमत 1000 रुपये निर्धारित की गयी है।
अतिरिक्त चार्ज
हवामहल के अंदर कैमरा ले जाने के लिए एन्ट्री फीस के अलावा भी अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है, जो कि भारतीय लोगों के लिए 10 रुपये तथा विदेशी पर्यटकों के लिए 30 रुपये निर्धारित है।
गाइड
Hawa Mahal घुमाने के लिए व उससे जुड़ी जानकारियाँ बताने के लिए स्थानीय गाइड उपलब्ध होतए है। इनसे घूमने से पहले ही चार्ज तय कर लेना चाहिए।
हवामहल कैसे पहुँचे? | Hawa Mahal kese Phuche
हवामहल जाने के लिए तीनों माध्यम मौजूद है:- रेलमार्ग, सड़क मार्ग तथा वायु मार्ग।
- वायु मार्ग:- वायु मार्ग के द्वारा आसानी से हवामहल पहुंचा जा सकता है। हवामहल का सबसे निकटतम हवाई अड्डा, जयपुर हवाई अड्डा है। यहाँ देश के प्रमुख शहरों दिल्ली, मुंबई , कोलकाता आदि से नियमित रूप से फ्लाइट आती है। हवाई अड्डे से हवामहल की दूरी ज्यादा नहीं है। एयरपोर्ट से टैक्सी या बस द्वारा हवामहल पहुंचा जा सकता है।
- रेलमार्ग:- जयपुर रेलवे स्टेशन हवामहल का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है। यहाँ के लिए आस-पास के प्रमुख शहरों से नियमित रेल सुविधा उपलब्ध है। रेलवे स्टेशन से टैक्सी या बस की सहायता से हवामहल जाया जा सकता है।
- सड़क मार्ग:- जयपुर भारत के प्रमुख शहरों में से एक है। यह आस-पास तथा दूर–दराज के इलाकों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। विभिन्न शहरों से राष्ट्रीय राजमार्गों द्वारा जयपुर पहुँचा जा सकता है। जयपुर में हवामहल जाने के लिए कई साधन उपलब्ध है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
जयपुर हवामहल सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था।
हवामहल अपनी संरचना, अपनी खिड़कियों के लिए तथा बिना नींव वाली ईमारत होने के लिये प्रसिद्ध है।
पैलेस ऑफ़ विंड्स।
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