मकरध्वज हनुमान मंदिर (Hanuman Dandi):
अगर आप हिंदू धर्म से ताल्लुक रखते हैं या उसके जानकार हैं तो आप भगवान हनुमान (Hanuman) के बारे में तो जानते हीं होंगे। संकटमोचन के नाम से विख्यात हनुमान के बारे में अधिकांश ज़िक्र मिलता है तुलसीदास रचित कथा रामायण में। जहां प्रभु श्री राम, माता सीता और रावण की सुंदर कथा रची गयी है। कहते हैं कि भगवान हनुमान जो प्रभु श्री राम के बहुत बड़े भक्त थे, वह बालब्रह्मचारी भी थे। उनकी अपने प्रभु श्री राम के लिए भक्ति अद्भुत थी। यूं तो हनुमान के विवाह का कहीं ज़िक्र नहीं मिलता रामायण में। मगर क्या आप यह जानते हैं कि हिंदू धर्म के अनुसार हनुमान के एक पुत्र का वर्णन जरुर मिलता है हिंदू पौराणिक कथाओं में। जी हाँ! हनुमान के एक पुत्र का वर्णन भी है जिनका नाम मकरध्वज माना जाता है।
ना केवल हिन्दू धर्म और शास्त्र में बल्कि भारत में गिने चुने मंदिरों में भी इनकी प्रतिमा पायी जाती है। जहां भगवान हनुमान और उनके पुत्र मकरध्वज दोनों की हीं पुजा कि जाती है। ऐसा हीं एक मंदिर है गुजरात का मकरध्वज हनुमान मंदिर (Hanuman Dandi) जो बेट द्वारका में स्थित है। यूं तो आपने बहुत से हनुमान के विख्यात मंदिर के दर्शन किए होंगे। मगर हनुमान और उनके पुत्र मकरध्वज का यह अनोखा मंदिर आपने निश्चित हीं पहले नहीं देखा होगा। यह विख्यात मंदिर, हनुमान और उनके पुत्र के संगम का प्रतीक माना जाता है । यह भारत का ऐसा पहला मंदिर है जहाँ आपको हनुमान और उनके पुत्र मकरध्वज दोनो एक साथ विराजते नज़र आएंगे ।
अपने आप में यह मंदिर अनोखा होने के कारण यह भक्तों को बड़ा लुभाता है। यह मंदिर अपने साथ एक अद्भुत रिश्ते को समेटे हुए है जो पौराणिक कथाओं में भी कहीं कहीं हीं जानने को मिलता है। यदि आपने भी इस मंदिर के बारे में पहले नही सुना तो इसके पीछे की रोचक कहानी आपको जरूर जाननी चाहिए ।
Hanuman Dandi | मकरध्वज हनुमान मंदिर, बेट द्वारका
वैसे तो हनुमान खुद हीं बहुत बलशाली माने जाते हैं। मगर शास्त्र हनुमान के पुत्र मकरध्वज को भी हनुमान जैसा हीं प्रभावशाली बताते हैं। यदि किसी भक्त को हनुमान और उनके पुत्र मकरध्वज के दर्शन करने हों तो मकरध्वज हनुमान मंदिर, बेट द्वारका से अच्छी जगह कोई और नही हो सकती। यह अद्भुत मंदिर गुजरात के द्वारका से चार मील की दुरी पर बेट द्वारका में स्थित है। इस मंदिर को हनुमान दंडी (Hanuman Dandi) के नाम से भी जाना जाता है।
इस मंदिर के भीतर प्रवेश करते हीं आपको हनुमान पुत्र मकरध्वज के दर्शन हो जाएंगे। जिसके साथ हनुमान की मुर्ति भी आपका ध्यान खींच लेगी। यह मंदिर पिता-पुत्र हनुमान और मकरध्वज के आलौकिक दर्शन देने के लिए जाना जाता है ।
मकरध्वज हनुमान मंदिर के बारे में रोचक तथ्य
इस मंदिर के बारे में बहुत सी मान्यताएं हैं जिन्हें जानकर आप भी अचंभित होंगे। कहा जाता है कि इस मंदिर में मौजूद मकरध्वज की मूर्ति पहले छोटी हुआ करती थी। जिसका कद अब बढ़ गया है। यह भी कहा जाता है कि यही वह पहली जगह है जहां हनुमान की मुलाकात पहली बार अपने पुत्र मकरध्वज से हुयी थी ।
इसके अलावा जब आप मंदिर मे मौजूद हनुमान और मकरध्वज की प्रतीमाओं पर नजर डालेंगे तो आपको नज़र आएगा कि दोनों ही मूर्तियों के हाथ में कोई शस्त्र नहीं है। दोनों मू्र्तियां बड़े हीं आनंद मे नज़र आती हैं। सबसे बड़ी बात यह है जानने वाली कि यह मंदिर 500 वर्ष पुराना माना जाता है। यही कारण है कि यह मंदिर लोगों का इतना ध्यान खींचता है अपनी ओर ।
हिन्दू शास्त्र के अनुसार मकरध्वज का इतिहास
यूं तो आप सब हनुमान को एक बालब्रह्मचारी के रुप में हीं जानते हैं। जिनके बाल लिलाओं का भी उल्लेख मिल हीं जाता है पौराणिक कथाओं में। ऐसे में जो नहीं मिलता वह है उनके विवाह का और उनकी पत्नी का वर्णन। असल मे हनुमान का विवाह हुआ ही नही था। मगर पौराणिक कथाओं के अनुसार, मकरध्वज, जो कि हनुमान के पुत्र के रुप मे जाने जाते हैं, उनका उल्लेख रामायण में जरुर मिलता है ।
रामायण में जब हनुमान जी प्रभु श्री राम के आज्ञा से माता सीता को खोजने लंका की ओर प्रस्थान करते हैं। तब मेघनाद हनुमान को पकड़ कर रावण के समक्ष प्रस्तुत करता है। जहां रावण के कहने पर हनुमान की पूंछ में आग लगा दी जाती है ।
जिसके बाद अपने जलती पूंछ से हीं हनुमान पुरी लंका जला डालते हैं। किंतु जलती पूंछ के कारण हनुमान को वेदना भी होने लगती है। जिसके पश्चात वह समुद्र में जा कर अपनी पूंछ की आग को समुद्र में डूबा कर शांत करते हैं। ऐसे में हनुमान के पसीने की एक बूंद समुद्र मे गिर जाती है । जिसे पी कर एक मछली गर्भवती हो जाती है । जिसके उपरांत उसे एक पुत्र होता है मकरध्वज। जो हनुमान के पुत्र के रुप में जाना जाने लगता है ।
हनुमान और मकरध्वज का मिलन
मकरध्वज हनुमान के पुत्र होने के कारण हनुमान जैसे हीं बलशाली और पराक्रमी होते हैं। पौराणिक कथाओं में इसका वर्णन मिलता है कि मकरध्वज अहिरावण के द्वारपाल हुआ करते थे पाताल लोक में। एक बार छल से अहिरावण श्री राम और लक्ष्मण को देवी के समक्ष बलि चढ़ाने के लिए ले जाता है। जहां हनुमान श्री राम और लक्ष्मण को छुड़ाने पहुंच जाते हैं। वहीं उनकी मुलाकात मकरध्वज से होती है ।
हनुमान और मकरध्वज में वहां भीषण युद्ध भी हुआ था। वहीं अहिरावण के साथ युद्ध में अहिरावण मारा जाता है और मकरध्वज को हनुमान हराकर उसके पूंछ से बांध देते है। जिसके बाद मकरध्वज हनुमान को अपनी कथा सुनाते है। श्री राम मकरध्वज को पाताल लोक का अधिपति बनाते हैं। वहीं मकरध्वज को वह धर्म के राह पर चलने का मार्ग भी दिखाते हैं ।
यही से मकरध्वज का उल्लेख मिलता है जिससे यह पता चलता है कि हनुमान के एक पुत्र भी थे। बेट द्वारका का यह मकरध्वज हनुमान मंदिर (Hanuman Dandi) भी इसी पौराणिक इतिहास का एक हिस्सा माना जाता है। 500 वर्ष पुराना यह मंदिर श्रद्धालुओं के बीच बहुत प्रचलित हैं जो अपने साथ बहुत सी मान्यताएं समेटे है। देश-विदेश से श्रद्धालु यहां हनुमान और मकरध्वज के दर्शन करने आते हैं जो नज़ारा किसी और मंदिर में उन्हे देखने को नही मिलता।
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