गोवर्धन पर्वत परिक्रमा

गोवर्धन पर्वत परिक्रमा | Govardhan Parvat | Giriraj

गोवर्धन परिक्रमा भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उठाए गए गोवर्धन पर्वत के कारण किया जाता है। गोवर्धन परिक्रमा का हिन्दू धर्म में तथा हिंदु ग्रंथ में बड़ा ही महत्त्व बताया गया है। गोवर्धन हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है यह मथुरा से लगभग 25 कि.मी. पश्चिम की ओर डीग हाईवे पर स्थित है। माना जाता है कि गोवर्धन के कण-कण में भगवान श्रीकृष्ण का वास है। गोवर्धन में एक प्रसिद्ध पर्वत है, जिसे “गोवर्धन पर्वत” कहते है।

यह पर्वत छोटे-छोटे बालू के पत्थरों से बना हुआ है और इस पर्वत की लंबाई 8 K.M. है। हिन्दू धर्म के अनुसार इस पर्वत की परिक्रमा करने से मांगी गई सभी इचछाऐ एवं मुरादें पूरी हो जाती है। इसीलि‍ए श्रद्धालुगण गोवर्धन पर्वत के पास लेट-लेट कर अपनी परि‍क्रमा पूरी करते है। परिक्रमा पूरी करने सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालुओं अपनी मनोकामनाओं और इच्छाओ को लेकर गोवर्धन आते है। इस 21 किमी की परिक्रमा पूर्ण करने में लगभग 5 से 6 घंटे का समय लग जाता है।

गोवर्धन पूजा का महत्व | Govardhan Pooja ka Mahatav

मान्यता है कि गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाने से व्यक्ति को इच्छानुसार एवं मनोवांछित फल प्राप्त होता है। हिन्‍दू धर्म के अनुसार यह माना जाता है, कि अगर कोई व्यक्ति चारों धाम की यात्रा नहीं कर सकता है तो उसे गोवर्धन परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए। इस परिक्रमा का पुण्य चारो धाम की यात्रा के बराबर होता है। माना जाता है कि यदि  गोवर्धन पूजा के दिन ही गोवर्धन की परिक्रमा की जाए तो उससे मोक्ष प्राप्त होता है।

गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा के नियम

  • गोवर्धन परिक्रमा शुरू करने से पहले गोवर्धन पर्वत को प्रणाम करना चाहिए और ध्यान रखना चाहिए कि किस स्थान से गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा आरंभ की गयी है। ध्यान रहे गोवर्धन की परिक्रमा जिस स्थान से शुरू करते है, उसी स्थान पर जाकर समाप्त करते है। 
  • परिक्रमा आरंभ करने से पहले मानसी गंगा में स्नान अवश्य करना चाहिए। यदि गंगा नदी में स्नान करना संभव न हो पाये तो हाथ मुंह धोकर भी परिक्रमा शुरू की जा सकती है।
  • गोवर्धन की परिक्रमा को पूरा अवश्य करना चाहिए। परिक्रमा को बीच में कभी अधूरा नही छोड़ना चाहिए। लेकिन कोई कारण से परिक्रमा अधूरी छोड़नी पड़े तो गोवर्धन भगवान और भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा प्रार्थना करने के बाद ही परिक्रमा छोड़ना चाहिए।
  • परिक्रमा करते समय भगवान श्रीकृष्ण के नाम का स्मरण अवश्य करना चाहिए।
  • माना जाता है कि यदि शादी-शुदा जोड़े अपने जीवनसाथी के साथ परिक्रमा करने से  दोनों को गोवर्धन भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
  • गोवर्धन परिक्रमा करते समय पवित्रता एंव निश्छल मन का ध्यान अवश्य रखना चाहिये इसलिए किसी नशीली चीज या फिर धुम्रपान का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • पर्वत की परिक्रमा इस प्रकार से शुरू करनी चाहिए कि परिक्रमा करते समय गोवर्धन पर्वत आपके दाहिनी ओर रहे। शास्त्रों के अनुसार कहा गया है कि हम जिसकी भी परिक्रमा करते है, उसे हमारी दांयी ओर होनी चाहिए, अन्यथा परिक्रमा उल्टी मानी जाती है।

गोवर्धन परिक्रमा मंत्र | Govardhan Parvat Mantra

आप गोवर्धन की परिक्रमा करते समय भगवान श्री कृष्ण का स्मरण करते रहना चाहिए। आप कृष्ण भगवान का स्मरण करने के लिए निम्न मन्त्रों का जाप कर सकते है-

ॐ नमोः भगवते वासु देवाय।

हरे कृष्णा हरे कृष्णा ,कृष्णा कृष्णा हरे हरे।
हरे रामा हरे रामा, रामा रामा हरे हरे।।

Krishna Mantra

गोवर्धन पूजा मंत्र | Govardhan Pooja Mantra

गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।

गोवर्धन पूजा मंत्र

गोवर्धन पर्वत श्राप

पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है की एक बार पुलस्त्य ऋषि भ्रमण करते हुए द्रोणाचल पहुंचे तो उनको गोवर्धन पर्वत का सुन्दर दृश्य भा गया। उनने गोवर्धन को अपने साथ काशीले जाने हेतु उनके पिता द्रोणाचल से अनुरोध किया। ऋषि के अनुरोध पर उनके पिता ने अनुमति तो दे दी परन्तु गोवर्धन पर्वत ने ऋषि के सामने एक शर्त रख दी कि यदि आपने मार्ग में मुझे कही रख दिया तो फिर मैं उस स्थान से नहीं हिलूंगा। ऋषि उनकी शर्त से सहमत हो गए और गोवर्धन को उठाकर काशी के लिए चल पड़े। रास्ते में जब ऋषि बृजमण्डल से निकल रहे थे तो लघुशंका के लिए गोवर्धन को वहीँ रख दिया। ऋषि ने पर्वत को उठाने का बहुत प्रयास किया, पर गोवर्धन नहीं हिले, अंत में ऋषि ने गोवर्धन पर्वत को श्राप दिया कि तुम हर दिन एक मुट्ठी काम होते रहोगे। मान्यता है कि 5000 वर्ष पहले गोवर्धन पर्वत कि ऊंचाई, 30000 मीटर थी, जो कि पुलस्त्य ऋषि के श्राप के कारण अब 30 मीटर रह गयी है।

गोवर्धन पर्वत कैसे पहुंचे | Govardhan Parvat kese Phuche

गोवर्धन पर्वत पर तीनों मार्गों से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

  • सड़क मार्ग – गोवर्धन पर्वत जाने के लिए आप मथुरा और वृन्दावन से बस या टैक्सी से जा सकते है, दोनों जगह से गोवर्धन पर्वत की दुरी 25 किलोमीटर है।
  • रेल मार्ग – गोवर्धन पर्वत परिक्रमा के लिए जाने के लिए सबसे पास का रेलवे जक्शन मथुरा रेलवे जंक्शन है , मथुरा रेलवे जंक्शन से गोवर्धन परिक्रमा स्थल पर जाने के लिए बस या टैक्सी से जा सकते है रेलवे जंक्शन से परिक्रमा स्थल की दुरी लगभग 30 किलोमीटर है।
  • हवाई मार्ग – गोवर्धन पर्वत परिक्रमा के लिए जाने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट इंदिरा गाँधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, दिल्ली है, यहाँ से बस द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग- 19 या राष्ट्रीय राजमार्ग- 44 द्वारा जाया जा सकता है जिसकी दुरी 150 किलोमीटर है। तथा यमुना एक्सप्रेस से भी जाया जा सकता जिसकी कुल दुरी 190 किलोमीटर है।

गोवर्धन परिक्रमा पूर्ण होने के पश्चात आप प्रेम मंदिर वृंदावन और राधा रानी मंदिर बरसाना भी जा सकते है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा कहाँ से शुरू करना चाहिए ?

गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा मानसी गंगा कुंड में स्नान करके शुरू करनी चाहिए।

गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा कितने किलोमीटर की होती है।

गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा 21 किलोमीटर यानि 7 कोस की होती है।

मथुरा से गोवर्धन की दूरी कितनी है ?

मथुरा से गोवर्धन की दुरी लगभग 25 किलोमीटर है।

गोवर्धन से बरसाना की दूरी कितनी है ?

गोवर्धन से बरसाना की दुरी लगभग 21 किलोमीटर है।

गोवर्धन पर्वत के पिता कौन है ?

गोवर्धन पर्वत के पिता द्रोणाचल पर्वत माने जाते है।

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