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ईस्टर

ईस्टर क्या है, कब और क्यों मनाया जाता है | Easter in Hindi

Posted on December 4, 2022
Table of contents
  1. ईस्टर क्या है | Easter kya hai
  2. ईस्टर क्यों मनाया जाता है | Easter kyo manaya jata hai
  3. पुनरुत्थान से संबंधित शंकाएँ
  4. ईस्टर कैसे मनाया जाता है | Easter kese Manaya Jata hai
  5. ईस्टर पर अंडों का महत्व | Easter par Ando ka Mahatav
  6. निष्कर्ष

ईस्टर क्या है | Easter kya hai

ईस्टर, जिसे Easter Sunday के नाम से बुलाया जाता है, एक बहुत खास दिन है। कई लोगों को तो ये मालूम भी नहीं होता है कि ईस्टर क्या है। ईस्टर संडे मसीही समुदाय के लिए एक बेहद विशेष दिन है। ईस्टर संडे को “पुनरुत्थान का दिन” भी कहा जाता है। इस विशेष दिन को हर साल गुड फ्राइडे के तीसरे दिन यानि रविवार वाले दिन मनाया जाता है, और इसलिये ईस्टर को Easter Sunday भी कहते है।  गुड फ्राइडे सामान्यतः अप्रैल माह में आता है, इसलिये ईस्टर संडे भी आमतौर पर अप्रैल माह में ही मनाया जाता है।

जहाँ गुड फ्राइडे को मसीही समुदाय के आराध्य यीशु को सूली पर लटका दिया गया था और उनकी मृत्यु हो गई थी, वहीं ईस्टर संडे को “पुनरुत्थान का रविवार” कहा जाता है, जिसके अनुसार अपनी मृत्यु के तीसरे दिन ईसा मसीह (यीशु) जीवित हो गए थे, जिसे पुनरुत्थान कहा गया।

ईस्टर संडे एक आध्यात्मिक पर्व है। लोगों के जीवन में आध्यात्म के महत्व की कोई निश्चित सीमा नही है। आध्यात्म वो शक्ति है, जो मनुष्य को आदि से अनंत की ओर ले जाने का कार्य करती है। आध्यात्म के लिए ध्यान, विश्वास और आस्था आवश्यक है, और ईस्टर का पर्व मसीहियों की आस्था से जुड़ा पर्व ही है।

ईस्टर क्यों मनाया जाता है | Easter kyo manaya jata hai

ईसाई धर्म के अनुसार तकरीबन दो हजार साल पहले परमेश्वर इस धरती पर इंसान के रूप में अवतरित हुए, जिनका नाम यीशु था। यीशु अपने आस-पास के लोगों को ज्ञान देने व सत्य से जुड़े उपदेश दिया करते थे। उनके द्वारा किए जाने वाले चमत्कारी कार्यों से आस-पास के लोग काफ़ी ज्यादा प्रभावित थे। लोग उनकी बातों को प्राथमिकता देने लगे थे।

इससे वहाँ के शास्त्रीय पंडितों व पुरोहितों का धंधा बंद होने लगा था, जिसकी वजह से वे यीशु से नफ़रत करने लगे थे। उन्होनें रोमन साम्राज्य के शासक को यीशु के खिलाफ भड़काया। परिणाम स्वरूप इसकी वजह से ईसा मसीह (यीशु) को सूली पर लटकवा दिया गया। पहले तो सैनिकों ने यीशु को बहुत बुरी तरह से प्रताड़ित किया, उन्हें बहुत कष्ट पहुँचाया गया और फिर उन्हें क्रोस पर लटका दिया गया। यीशु की मृत्यु के बाद भी उनके अनुयायियों का विश्वास उनमें बना हुआ था। यीशु की मृत्यु के बाद उनके अनुयायियों ने उनके शरीर को सूली से उतार कर एक गुफा में उनकी कब्र को रख दिया, और गुफ़ा के द्वार पर एक बड़ा–सा पत्थर रख दिया। तीन दिन बाद एक महिला ने उस पत्थर को हटा कर गुफ़ा के अंदर देखा। उसने अंदर देवदूतों को देखा, और ये दृश्य देख कर वो डर गई। उसने यीशु की कब्र की ओर देखा, तो उसने पाया कि यीशु वहाँ थे ही नहीं। उसने पीछे मुड़कर देखा तो उसने जीवित यीशु को अपने समक्ष खड़ा पाया। इस घटना को “पुनरुत्थान” कहा गया। पुनरुत्थान का मतलब यानि मृत्यु के बाद पुनः जीवित हो जाना।

उस महिला ने ये बात अन्य लोगों को बताई, और अन्य लोगों ने भी यही पाया। धीरे-धीरे ईसा मसीह (यीशु) सभी को दिखाई दिए। कहा जाता है कि ईसा मसीह पुनरुत्थान के बाद 40 दिन अपने अनुयायियों के बीच रहे। इन दिनों में उन्होनें उन्हें उपदेश देने व सत्य का मार्ग दिखाने का काम किया। 40 दिन बाद स्वर्गीय प्रकाश में ईसा मसीह आकाश में विलीन हो गए।

इसके बाद “क्रिस्चियन” यानि “मसीही” समुदाय का निर्माण हुआ, जिसमें ईसा मसीह के अनुयायी शामिल थे।

जिस दिन ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था , वो दिन शुक्रवार का था, जिसे आज गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाता है। अपनी मृत्यु से तीसरे दिन यानि रविवार वाले दिन यीशु पुनः जीवित हुए थे, जिसे वर्तमान समय में ईस्टर संडे के रूप में मनाया जाता है।

पुनरुत्थान से संबंधित शंकाएँ

कई लोग ऐसे भी है, जो ईसा मसीह के पुनरुत्थान पर कई प्रश्न चिह्न लगाते है। उनके प्रश्न हैं कि यदि यीशु परमेश्वर थे तो वे सूली पर क्यों चढ़े? उन्होनें अपना बचाव क्यों नहीं किया ?

इन प्रश्नों का उत्तर ईसा मसीह के अनुयायियों द्वारा दिया गया कि यीशु पर्मेश्वर थे और उन्होनें लोगों के पाप को कम करने के लिए खुद को सूली पर चढ़वाया था। शास्त्रीय पुरोहित नहीं जानते थे कि वो अनजाने में बाईबल की भविष्यवाणी को सच कर रहे थे। बाईबल में इसे लेकर कई भविष्यवाणियाँ की गई, जो कि सच साबित हुईं। इसी कारण बाईबल को ईसाई धर्म की पवित्र पुस्तक माना जाता है।

कहा जाता है कि ईसा मसीह ने दूसरों के पापों को कम करने के लिए अपनी कुर्बानी दी थी, और उन्होनें कोई पाप नहीं किया था इसलिये उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई। उन्होनें पुनरुत्थान के बाद लोगों यही संदेश दिये। लोगों का मानना है कि जो ईसा मसीह में विश्वास करेगा, उसके सारे पाप मिट जाएंगे, तथा मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होगी।

ईस्टर कैसे मनाया जाता है | Easter kese Manaya Jata hai

Easter Sunday, ईसाईयों का एक महत्वपूर्ण पर्व है। पुनरुत्थान के बाद 40 दिन ईसा मसीह अपने अनुयायियों के साथ रहे थे, इसलिये ईस्टर पर्व का महत्व 40 दिनों तक रहता है।

  • ईस्टर का प्रथम सप्ताह, ईस्टर सप्ताह कहलाता है।
  • इस अवसर पर चर्चों को बहुत अच्छी तरह से सजाया जाता है।
  • इस अवसर पर चर्चों को कई सारी मोमबत्तियों से रोशन किया जाता है।
  • लोग अपने घरों को ईस्टर के दौरान मोमबत्तियों से रोशन करते है, व घरों को अच्छी तरह से सजाते हैं।
  • ईस्टर पर्व के दौरान घरों में विशेष रूप से बाईबल का पाठ किया जाता है।

ईस्टर पर अंडों का महत्व | Easter par Ando ka Mahatav

ईस्टर के पर्व पर ईसाई धर्म के लोग एक-दूसरे को अंडे सजाकर बांटते है। इस दिन इन अंडों का विशेष महत्व माना जाता है। इन अंडों को नई शुरुआत के प्रदर्शक के रूप देखा जाता है।  जिस प्रकार अंडे में से नई संतति का जन्म होता है, ठीक उसी प्रकार अंडे को नई शुरुआत का संकेत माना जाता है।

निष्कर्ष

प्रत्येक धर्म में कई पवित्र अवसर आते है, ईस्टर उन्हीं अवसरों में से एक है। हर पवित्र अवसर में सकारात्माक ऊर्जा का संचार होता है। ईस्टर पर्व भी एक अवसर है, जिस पर हम अपने अंदर नई ऊर्जा का संचार कर सकते है, अपने जीवन का पुनरुत्थान कर सकते है।

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