Dilwara Temples | दिलवाड़ा जैन मंदिर: माउंट आबू

Dilwara Temples या दिलवाड़ा मंदिर, पाँच मंदिरों के समूह से बना एक मंदिर है। इस मंदिर को राजस्थान राज्य का ताजमहल भी बोला जाता हैं। दिलवाया का जैन मंदिर राजस्थान राज्य के सिरोही जिले के माउंट आबू नगर में स्थित है।

दिलवाड़ा मंदिर का निर्माण | Dilwara Temples built by

दिलवाड़ा मंदिर का निर्माण 11वी से 14वीं शताब्दी के मध्य हुआ था।यह मंदिर परिसर में फैले पांच अन्य मंदिरो का समूह है। प्रत्येक मंदिर अलग अलग कारीगरो द्वारा बनाया गया है।

इन में से  ‘विमल वासाही मंदिर’ प्रथम र्तीथकर को समर्पित है जो सर्वाधिक प्राचीन है यह 1031 ई. में बना था।इस मंदिर का निर्माण कार्य सोलंकी राजा भीमदेव के महामंत्री विमलशाह के देखरेख में बनवाया गया था।

“लुन वसही मन्दिर” का निर्माण कार्य 1230ई. में दो पोरवाल भाइयों द्वास्तुपाल और तेजपाल द्वारा बनवाया गया था।

“पीतलहर मन्दिर” का निर्माण कार्य 1468-69 ई. में अहमदबाद के राज्यमंत्री भीमशाह ने करवाया था।

“पार्श्वनाथ मन्दिर” का निर्माण कार्य 1458-59ई. मे मांडलिक और उनके परिवार द्वारा करवाया गया था।

महावीर स्वामी मंदिर का निर्माण कार्य 1582ई. में करवाया गया था। यह मंदिर सबसे छोटा मन्दिर है लेकिन इसकी बनावट अद्भुत और देखने योग्य है।

दिलवाड़ा मंदिर और समर्पित जैन तीर्थंकर | Jain pilgrimage

दिलवाड़ा मंदिर में कुल 5 मन्दिर है। ये मंदिरे बहुत ही खूबसूरत है और जैन धर्म के तीर्थंकरों को समर्पित है।

  • विमल वसही मन्दिर : प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित है।
  • लुन वसही मन्दिर : 22वें जैन तीर्थंकर नेमीनाथ को समर्पित है।
  • पीतलहर मन्दिर : प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित है।
  • पार्श्वनाथ मन्दिर : 23वें जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ को समर्पित है।
  • महावीर स्वामी मंदिर : अन्तिम जैन तीर्थंकर महावीर को समर्पित है।

दिलवाड़ा मंदिर निर्माण की कथा

इतिहासकारो के अनुसार जब राजा भीमदेव ने चन्द्रावती रियासत में भड़के विद्रोह को शांत करने के लिए अपने महामंत्री विमलशाह को भेजा। लेकिन विद्रोह शांत करने में बहुत रक्तपात हुआ जिस से महामंत्री विमलशाह को बहुत ग्लानि का अनुभव हुआ। और उन्होंने एक जैन साधक से इस पाप से मुक्ति और पश्चाताप का उपाय पूछा तो जैन साधक ने कहा – पाप से पूर्ण रूप से मुक्ति आसान तो नहीं, किन्तु मंदिर बनवाने से तुम कुछ पुण्य अवश्य अर्जित कर सकते हो। इसी प्रेरणा से महामंत्री विमलशाह ने मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ किया।

दिलवाड़ा मंदिर की स्थापत्य एवं शिल्प कला | Dilwara Temples architecture

दिलवाड़ा मंदिर संगमरमर के पत्थरो से बना हुआ है। इस मन्दिर को बनाने में करीब 1500 शिल्पकार और लगभग 1200 श्रमिकों की कड़ी मेहनत लगी। इस मंदिर को पूरा बनने में 14 साल लगे और उस समय मे लगभग 18 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।यह मंदिर बाहर से तो सामान्य लगता है किंतु इस मन्दिर की भीतरी बनावट दर्शनीय और अद्भुत है। इस जैन मंदिर में महीन पच्चीकारी और उत्कृष्ट मूर्तिकला देखने को मिलती है। दिलवाड़ा मंदिर के दीवारों और छतो पर बारीक नक्काशी बेहद सफाई से बनाई गयी है जिससे मूर्तियों पर भाव एकदम सजीव लगते है। 

इस मंदिर में पॉलिशिंग इतनी चमकदार कि गयी हैं कि सैकड़ों वर्ष पुरानी होने के बाद भी नई लगती है। संगमरमर के पत्थरो पर बहुत ही महीन कारीगरी की गयी है इसलिए इस मंदिर को राजस्थान राज्य का ताजमहल बोला जाता है।

नोट: दिलवाड़ा जैन मंदिर में फोटो खींचना मना है।

दिलवाड़ा का जैन मंदिर कैसे पहुंचे (Dilwara Mandir kese Pahuche)

वायु मार्ग

दिलवाड़ा जैन मंदिर जाने के लिए निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर राजस्थान में है। इसके बाद यहाँ से माउंट आबू या दिलवाड़ा जैन मंदिर पहुँचने के लिए टैक्सी, निजी वाहन अथवा कैब ले सकते है।

सड़क मार्ग

राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या NH 27 के द्वारा माउंट आबू आसानी से देश के किसी भी कोने से पहुँचा जा सकता है।

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