चित्तौड़गढ़ | Chittorgarh
भारत एक ऐसा देश है, जहाँ की भूमि ऐतिहासिक धरोहरों को खुद में समेटे हुए है। ऐसी ही कुछ ऐतिहासिक धरोहरों को लिए हुए भारत का एक प्रमुख नगर है चित्तौड़गढ़। चित्तौड़गढ़ भारत के राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है। बेड़च नदी के किनारे बसा ये शहर चित्तौड़गढ़ जिले का मुख्यालय भी है।
यह नगर मेवाड़ की प्राचीन राजधानी भी रहा है। ये नगर देश के वीर सपूत महाराणा प्रताप के अधीन रह चुका है। इस नगर को जौहर का गढ़ व महाराणा प्रताप का गढ़ भी कहा जाता है। चित्तौड़गढ़ की भूमि वीरों की भूमि है। इस भूमि के कई वीर सपूतों व वीरांगनाओं ने अपने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है।
2011 की मतगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या 1,16,409 है तथा यहां का क्षेत्रफल 41 वर्ग किलोमीटर है। यहां की औसत साक्षरता दर 84.6 प्रतिशत है। इस क्षेत्र की समुद्रतल से ऊँचाई 408 मीटर के करीब है। मेवाड़ी, हिंदी तथा राजस्थानी यहां स्थानीय लोगों द्वारा मुख्य रूप से बोली जाने वाली भाषायें है।
Chittorgarh में ऐतिहासिक विरासत होने के कारण ये नगर भारत का एक प्रमुख पर्यटक स्थल भी है। यहां दूर-दूर से देशी- विदेशी पर्यटक विभिन्न चीजों को देखने के लिए आते है।
चित्तौड़गढ़ का इतिहास | Chittorgarh ka Itihas
चित्तौड़गढ़ का इतिहास बहुत पुराना है, इतना पुराना है कि अंदाजा लगाना भी कठिन है। जानकारियों के अनुसार चित्तौड़गढ़ का निर्माण मौर्य शासकों द्वारा 7वीं सदी में कराया गया था।
Chittorgarh का क्षेत्र 1568 तक मेवाड़ की राजधानी के रूप में रहा था, उसके बाद मेवाड़ की राजधानी उदयपुर को बनाया गया था।
अन्य मान्यताओं के अनुसार इसकी स्थापना 8वीं सदी में बप्पा रावल द्वारा की गई थी। 8वीं सदी से 16वीं सदी तक मेवाड़ राज्य के इस क्षेत्र पर बप्पा रावल के वंश का शासन रहा। चित्तौड़गढ़ का क्षेत्र 8वीं सदी में बप्पा रावल को दहेज के रूप में प्राप्त हुआ था। बप्पा रावल सिसोदिया वंश के शासक थे।
Chittorgarh ने अपने इतिहास में कई युद्धों की विभीषिका झेली है।
- सबसे पहले 13वीं शताब्दी में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया था। 1303 में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ के शासक राणा रतन सिंह को युद्ध में हरा दिया और परिणाम स्वरूप चित्तौड़गढ़ पर अलाउद्दीन खिलजी का नियन्त्रण स्थापित हो गया था।
- एक आक्रमण 1534 में हुआ था, जब गुजरात के शासक बहादुर शाह ने चित्तौड़गढ़ के शासक विक्रमजीत को युद्ध में परास्त किया था।
- सबसे ज्यादा ऐतिहासिक हमला 1567 में अकबर द्वारा किया गया था। उस समय चित्तौड़गढ़ का क्षेत्र महाराणा प्रताप सिंह के अधिकार क्षेत्र में था। अकबर द्वारा 3 बार आक्रमण किए जाने के बाद ये क्षेत्र अकबर के शासन के अंतर्गत आ गया था।
चित्तौड़गढ़ का मौसम | Chittorgarh ka Mousam
चित्तौड़गढ़ के मौसम की बात करें, गर्मी के मौसम में यहाँ अच्छी-खासी गर्मी होती है। मार्च के महीने से लेकर मई महीने तक चित्तौड़गढ़ में गर्मी का मौसम होता है। यह समय बहुत ज्यादा गर्म होता है, क्योंकि तापमान अधिकतम 44 डिग्री सेल्सियस से लेकर न्यूनतम 23 डिग्री सेल्सियस तक होता है। मौसम ज्यादा गर्म होने के कारण पर्यटक इस समय पर यहाँ आने से बचते हैं।
जून से सितंबर के समय में यहाँ मानसून के कारण गर्मी से कुछ राहत मिलती है। कभी-कभी होने वाली बारिश से यहां का मौसम खुशनुमा हो जाता है। दिसंबर से फरवरी का मौसम ठंड का रहता है। इस दौरान यहाँ का तापमान सामान्यतः 11 डिग्री सेल्सियस से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच का रहता है।
घूमने के लिए अक्टूबर से मार्च महीने का समय अच्छा रहता है। इस दौरान मौसम सुखद व आदर्श रहता है।
चित्तौड़गढ़ का किला/दुर्ग | Chittorgarh ka Kila
चित्तौड़गढ़ दुर्ग चित्तौड़गढ़ में स्थित भारत का सबसे विशाल दुर्ग है। यह दुर्ग भीलवाड़ा से दक्षिण की ओर कुछ किलोमीटर की दूरी पर है। ये दुर्ग विश्व की प्रमुख ऐतिहासिक धरोहर है, जो कई महान और खूनी लड़ाइयों का साक्षी भी रहा है। 21 जून 2013 को युनेस्को द्वारा इस दुर्ग को विश्व विरासत स्थल के रूप में घोषित किया गया था
इतिहासकारों की मानें, तो इस दुर्ग का निर्माण 7 वीं शताब्दी में मौर्यवंशीय शासक चित्रांगद मौर्य द्वारा करवाया गया था। उस समय इसका नाम चित्रकूट था, लेकिन बाद में इसका नाम चित्तौड़ पड़ गया।
यह किला लंबे समय तक सिसोदिया वंश के अधिकार में रहा तथा कई संघर्षों का गवाह बना। अकबर और महाराणा प्रताप के मध्य हुआ युद्ध सबसे प्रमुख व बड़ा संघर्ष था। यह दुर्ग वीरता, शौर्य एवं बलिदान का प्रतीक है।
यह दुर्ग पहाड़ी पर स्थित है तथा इसमें प्रवेश के लिए कई प्रवेश द्वार है। इन प्रवेश द्वारों के भी विशिष्ट नाम है, जो निम्नलिखित है:-
- पाडन पोल
- भैरव पोल
- हनुमान पोल
- गणेश पोल
- जौड़ला पोल
- लक्ष्मण पोल
- राम पोल
दुर्ग के अंदर कई मन्दिर एवं ऐतिहासिक संरचनाएँ स्थित है, जो इस किले की प्रमुख धरोहरें है। यह दुर्ग विश्व विरासत स्थल होने के कारण एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। काफ़ी ज्यादा सँख्या में हर साल यहां पर्यटक घूमने व अनुसंधान के लिए आते है।
चित्तौड़गढ़ में घूमने की जगहे | Chittorgarh me ghumne ki jagah
- कालिका माता मन्दिर:- यह मन्दिर देवी माँ दुर्गा को समर्पित है। चित्तौड़गढ़ का ये प्रमुख मन्दिर वर्तमान समय में एक खन्डर के रूप में है, लेकिन इस मन्दिर की वास्तुकला व नक्काशी पर्यटकों को आकर्षित करती है।
- सतीश देवरी मंदिर:- भगवान आदिनाथ को समर्पित यह मन्दिर जैन मंदिर परिसर में स्थित है। इसकी संदर नक्काशी अद्भुत व आकर्षक है।
- रतन सिंह पैलेस:- यह पैलेस चित्तौड़गढ़ के किले के भीतर स्थित है। पारम्परिक वास्तुकला में बना यह पैलेस बहुत आकर्षक है, जो पर्यटकों को काफ़ी पसंद आता है।
- विजय स्तंभ :- इसे विजय मीनार भी कहा जाता है। मोहम्मद खिलजी से जीत के उपलक्ष्य में महाराणा कुंभा ने ये स्तंभ बनवाया था। इसकी विशालता के कारण ये शहर के किसी भी कोने से दिख जाता है।
- धार्मिक स्थल मीरा मन्दिर:- यह मन्दिर मीराबाई को समर्पित है, जो श्री कृष्ण की परम भक्त थीं। ये मन्दिर चित्तौड़गढ़ किले के परिसर में है।
- राणा कुम्भा जी का महल:- ये महल महाराणा कुंभा की रानी पद्मिनी व मीराबाई जैसे व्यक्तियों का निवास स्थान था। आज इसकी बर्बादी की दशा देखकर इसकी भव्यता का अनुमान लगाया जा सकता है। कई रानियों ने यहां जौहर किया था।
अन्य कुछ जगहे इस प्रकार है:-
- साँवरिया मन्दिर
- कीर्ति स्तंभ
- फतेह प्रकाश पैलेस
- तीर्थ स्थल गोमुख कुंड
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