चौसठ योगिनी मंदिर, भेड़ाघाट | 64 Yogini Mandir, Bhedaghat
चौसठ योगिनी मंदिर मध्य प्रदेश राज्य के जबलपुर प्रांत के भेड़ाघाट मे स्थित है। यह मंदिर भारत के सभी चौसठ योगिनी मंदिर मे से प्रमुख है, विशेष है क्योंकि भारत के अन्य चौसठ योगिनी मंदिर मे केवल चौसठ छोटे छोटे मंदिर सम्मिलित है। लेकिन Bhedaghat स्थित चौसठ योगिनी मंदिर मे 81 मंदिर शामिल है।
यह मंदिर भेड़ाघाट के एक पहाड़ के ऊपर स्थित है। इस मंदिर को प्राचीन समय मे गोलकी मठ के नाम से भी जाना जाता था। इस मठ मे पंचांग एवं काल गणना के साथ-साथ ज्योतिष की पढ़ाई होती थी।
चौसठ योगिनी मंदिर की कथा | 64 Yogini Mandir ki Katha
चौसठ योगिनी के बारे मे कई कथाऐ प्रचलित है। एक कथा के अनुसार पुराणो मे वर्णित है कि ये सभी योगिनी माँ आदिशक्ति काली का अवतार है। पुराणों में वर्णित है, कि घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते हुए माता ने ये सभी चौसठ अवतार धारण किए थे। यह भी माना जाता है कि ये सभी माता पर्वती की सहेलियां है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार ये चौसठ योगिनी भगवान श्री कृष्ण की नासिका के छेद से ये प्रकट हुई है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार स्त्री के बिना पुरूष अधूरा है, वही पुरुष के बिना स्त्री अधूरी है। दोनो ही एक दूसरे के पूरक होते है। एक संपूर्ण पुरुष 32 कलाओ से युक्त होता है तो वही एक संपूर्ण स्त्री भी 32 कलाओ से युक्त होती है और दोनों के संयोग से बनते है 32 + 32 = 64, तो ये माना जा सकता है 64 योगिनी शिव और शक्ति जो सम्पूर्ण कलाओ से युक्त है, उन के मिलन से प्रकट हुई है।
चौसठ योगिनी के नाम | 64 Yogini List
इन चौंसठ योगिनियों के नाम इस प्रकार है।
- बहुरूप
- तारा
- नर्मदा
- यमुना
- शांति
- वारुणी
- क्षेमंकरी
- ऐन्द्री
- वाराही
- रणवीरा
- वानर-मुखी
- वैष्णवी
- कालरात्रि
- वैद्यरूपा
- चर्चिका
- बेतली
- छिन्नमस्तिका
- वृषवाहन
- ज्वाला कामिनी
- घटवार
- कराकाली
- सरस्वती
- बिरूपा
- कौवेरी
- भलुका
- नारसिंही
- बिरजा
- विकतांना
- महालक्ष्मी
- कौमारी
- महामाया
- रति
- करकरी
- सर्पश्या
- यक्षिणी
- विनायकी
- विंध्यवासिनी
- वीर कुमारी
- माहेश्वरी
- अम्बिका
- कामिनी
- घटाबरी
- स्तुती
- काली
- उमा
- नारायणी
- समुद्र
- ब्रह्मिनी
- ज्वाला मुखी
- आग्नेयी
- अदिति
- चन्द्रकान्ति
- वायुवेगा
- चामुण्डा
- मूरति
- गंगा
- धूमावती
- गांधार
- सर्व मंगला
- अजिता
- सूर्यपुत्री
- वायु वीणा
- अघोर
- भद्रकाली
चौसठ योगिनी मंदिर का स्थापत्य एवं शिल्प कला
इतिहासकारो के अनुसार भेड़ाघाट स्थित चौसठ योगिनी मंदिर का निर्माण 10 वीं सदी में हुआ था। इस मंदिर को त्रिपुरी के कल्चुरि शासक युवराजदेव प्रथम ने अपने राज्य विस्तार के लिए योगिनियों से आशीर्वाद लेने हेतु बनवाया था। इस मंदिर का आकार त्रिभुजी कोण संरचना पर आधारित है। इस मंदिर में योगिनियों की खंडित एवं अपूर्ण मूर्तियां है। यह मंदिर त्रिभुजाकार 81 कोणों पर आधारित है तथा इस के प्रत्येक कोण पर योगिनी की स्थापना की गई है। इसी स्थान पर गुप्त काल में सप्त या अष्ट मातृकाएं भी स्थापित की गयी थी।
चौसठ योगिनी मंदिर का यह मंदिर पूरे देश भर मे एक मात्र ऐसा मंदिर है। जिस के केन्द्र में भगवान शंकर और माता पार्वती के विवाह की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर के चारों ओर 84 स्तंभों पर वृत्ताकार दालान बनी हुई है। जिसमें से दो प्रवेश द्वार है।
चौसठ योगिनी मंदिर कैसे पहुंचे | 64 Yogini Mandir Kese Phuchi
सड़क मार्ग
NH 45 राष्ट्रीय राजमार्ग के द्वारा आसानी से जबलपुर से भेड़ाघाट स्थित चौसठ योगिनी मंदिर पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग
भेड़ाघाट से सबसे निकटतम रेलवे-स्टेशन जबलपुर स्टेशन है। यह भेड़ाघाट से लगभग 20.7 K.M. की दूरी पर है।
चौसठ योगिनी मंदिर मध्य प्रदेश राज्य के जबलपुर प्रांत के भेड़ाघाट मे स्थित है। यह मंदिर भारत के सभी चौसठ योगिनी मंदिर मे से प्रमुख है, विशेष है क्योंकि भारत के अन्य चौसठ योगिनी मंदिर मे केवल चौसठ छोटे छोटे मंदिर सम्मिलित है। लेकिन भेड़ाघाट स्थित चौसठ योगिनी मंदिर मे 81 मंदिर शामिल है। यह मंदिर भेड़ाघाट के एक पहाड़ के ऊपर स्थित है। इस मंदिर को प्राचीन समय मे गोलकी मठ के नाम से भी जाना जाता था।इस मठ मे पंचांग एवं काल गणना के साथ-साथ ज्योतिष की पढ़ाई होती थी।
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