नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है नौ दिव्य रातें। इसका अर्थ है उत्सव की नौ रातें और इस अवधि के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। चूंकि यह नवरात्रि चैत्र मास में आती है, इसलिए इसे चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
Chaitra Navratri को वसंत नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदू कैलेंडर के पहले दिन को चिह्नित करती है। यह नौ दिनों का एक भव्य उत्सव है, जो उत्तरी भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह नवरात्रि चैत्र मास (हिंदू कैलेंडर माह) के शुक्ल पक्ष के दौरान मनाई जाती है, जो मार्च और अप्रैल के बीच पड़ता है। महाराष्ट्रीयन इस नवरात्रि के पहले दिन को गुड़ी पड़वा के रूप में मनाते है और कश्मीर में इसे नवरेह कहा जाता है। यह नवरात्रि उत्तरी और पश्चिमी भारत में उत्साहपूर्वक मनाई जाती है और वसंत ऋतु को और अधिक आकर्षक और दिव्य बनाती है।
चैत्र नवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
चैत्र नवरात्रि पूरे भारत वर्ष में बड़े ही धूम-धाम से मनाई जाती है। चैत्र नवरात्रि मनाने के कई कारण है, जैसे हिंदू धर्म के अनुसार चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन देवी दुर्गा का जन्म हुआ था। कहा जाता हैं कि माँ दुर्गा के कहने पर ही भगवान ब्रम्हा ने ब्रह्माण्ड की रचना की थी। इसी वजह से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानि Chaitra Navratri के पहले दिन हिंदू नववर्ष भी मनाया जाता है। कुछ कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान श्रीराम का जन्म भी चैत्र नवरात्रि में ही हुआ था। माँ दुर्गा को आदि शक्ति के नाम से भी जाना जाता है। Chaitra Navratri का यह महत्वपूर्ण पर्व पूरे भारत भर में कई भव्य तरीके से मनाया जाता है।
इसे उगादी, गुड़ी पड़वा के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्रि हिंदूओं द्वारा साल में दो बार मनाई जाती है, पहली ग्रीष्म के आगमन पर और दूसरी शीत ऋतु के आगमन पर। इस नवरात्रि के रीति-रिवाज लगभग वैसे ही है, जैसे सर्दियों की शुरुआत में मनाए जाने वाली नवरात्रि के होते है।
चैत्र नवरात्रि का महत्व | Chaitra Navratri ka Mahatva
वेदों तथा पुराणों में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है। पुराणों में इसे आत्म शुद्धि एवं मुक्ति प्राप्त करने का आधार माना गया है। Chaitra Navratri में माँ दुर्गा का पूजन करने से नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती है और हमारे चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दौरान सूर्य का मेष राशि में प्रवेश होता है, सूर्य का यह राशि परिवर्तन हर राशि पर प्रभाव डालता है तथा इसी दिन से नववर्ष के पंचाग गणना की शुरुआत होती है। चैत्र नवरात्रि के यह नौ दिन अत्यंत शुभ माने जाते है। पूरे चैत्र नवरात्रि के दौरान कभी भी कोई भी नया कार्य आरंभ कर सकते है। इसके साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि जो व्यक्ति बिना किसी लालच के Chaitra Navratri में महादुर्गा की पूर्ण श्रद्धा से पूजा करता है, उसे जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती हैं एवं मोक्ष प्राप्त होता है।
चैत्र नवरात्रि व्रत | Chaitra Navratri Vrat
देश के कुछ हिस्सों में लोग नवरात्रि के दौरान व्रत रखते है। लोगों का मानना है कि उपवास करके वे अपने शरीर, हृदय, मन और आत्मा को शुद्ध कर सकते है। इन नौ दिनों के दौरान लोग एक विशिष्ट उपवास आहार का पालन करते है।
चैत्र नवरात्रि व्रत कथा | Chaitra Navratri Vrat Katha
चैत्र नवरात्रि का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन यानि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है। चैत्र नवरात्रि को लेकर कई सारी कथाएं भी प्रचलित है। इसी में से एक कथा के अनुसार रामायण काल में भगवान श्रीराम ने रावण का वध करने के लिए चैत्र महीने में देवी दुर्गा को प्रसन्न करने हेतु उनकी उपासना की थी, जिससे प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें विजयश्री का आशीर्वाद प्रदान किया था। कथाओं के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म भी चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन ही हुआ था, इसलिए इस दिन को रामनवमी के नाम से भी जाना जाता है।
अन्य लोकप्रिय हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने अपनी पत्नी को केवल नौ दिनों के लिए अपनी मां से मिलने की अनुमति दी थी। इस अवधि के दौरान माँ दुर्गा ने राक्षस महिषासुर को मार डाला। यही कारण है कि देवी दुर्गा को शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। भक्तों का मानना है कि मां दुर्गा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है। लोग देवी से प्रार्थना करते है कि वे उन्हें आशीर्वाद दें ताकि उनकी आंतरिक शक्ति कभी नष्ट न हो।
चैत्र नवरात्रि व्रत विधि | Chaitra Navratri Vrat Vidhi
चैत्र नवरात्रि के दिनों में माँ दुर्गा एवं अन्य देवियों के मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते है तथा शक्ति पीठों में तो यह संख्या और अधिक बढ़ जाती है। इस दौरान कई भक्तों द्वारा Chaitra Navratri के पहले तथा आखिरी दिन व्रत रखा जाता है, वहीं कई भक्त नौ दिनों के कठिन व्रत भी रखते है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग विधि से नवरात्रि पूजन होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ये है:
- शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चंद्रघंटा
- कुष्मांडा
- स्कंदमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिद्धिदात्री
Chaitra Navratri के पहले दिन भक्त अपने घर में कलश स्थापना करते है। हिंदू मान्यता के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव एवं मंगल कार्यों का प्रतीक माना गया है। तत्पश्चात जौ (ज्वार) बोया जाता है, इसके लिए कलश स्थापना के साथ ही उसके चारों ओर थोड़ी मिट्टी भी फैलाई जाती है और इस मिट्टी के अंदर जौ बोया जाता है। नवरात्रि के पर्व में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। माँ दुर्गा के भक्तों द्वारा अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं की विशेष पूजा की जाती है। जिसमें 9 कुंवारी कन्याओं को घर बुलाकर पूरे सम्मान के साथ भोजन कराया जाता है और भोजन के पश्चात आशीर्वाद लेकर उन्हें दक्षिणा और उपहार दिए जाते है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न(FAQ)
चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से प्रारम्भ होगी एवं दशमी अर्थात 31 मार्च 2023 को इसका पारण किया जाएगा।
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