बिहार स्थापना दिवस | Bihar Sthapna Diwas
बिहार स्थापना दिवस (22 मार्च) बिहार राज्य का महत्वपूर्ण दिन है, जिसे बिहार दिवस के रूप में जाना जाता है। इस दिन बिहार राज्य की स्थापना हुई थी।
हालाँकि बिहार राज्य की स्थापना बहुत पहले ही हो गयी थी, लेकिन बिहार दिवस मनाने की शुरुआत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा उनके सत्ता में आने पर की गयी थी।
बिहार दिवस कब मनाया जाता है | Bihar Diwas Kab Manaya Jata hai
Bihar Diwas प्रत्येक वर्ष मार्च महीने की 22 तारीख को मनाया जाता है। विशेष बात यह भी है, कि इस दिन को विश्व जल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। बिहार दिवस को बिहार स्थापना दिवस भी कहा जाता है।
बिहार दिवस क्यों मनाया जाता है | Bihar Diwas kyo Manaya jata hai
बिहार दिवस को मनाने के पीछे का कारण यह है, कि इसी दिन अतीत में बिहार राज्य की स्थापना हुई थी, जिसके परिणाम स्वरूप बिहार राज्य अस्तित्व में आया था।
Bihar Diwas अपने साथ विभिन्न उद्देश्यों को भी समेटे हुए है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित है:-
- वैश्विक स्तर पर बिहार की संस्कृति व इतिहास का परिचय देना।
- लोगों को प्रेरित करना, ताकि वे बिहार राज्य के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने का प्रयास करें।
- बिहार के स्वर्णिम भविष्य की कामना करना व राज्य को बेहतर बनाने के लिए योजनाओं को तय करना।
- नई पीढ़ी को राज्य के विकास में भगीदारी करने के लिए प्रेरित करना।
बिहार राज्य की स्थापना कब हुई थी | Bihar ki Sthapna
बिहार राज्य की स्थापना के लिए इसके इतिहास को जानना आवश्यक है। अतीत में बिहार कई महान राजाओं के शासन के अंतर्गत रहा है। यह मौर्य साम्राज्य का एक अहम भाग था, जो पहले वज्जि संघ के अंतर्गत आता था। वर्तमान बिहार की राजधानी पटना, उस समय पाटलिपुत्र के रूप में प्रमुख प्रशासनिक केन्द्रों में से एक थी।
ब्रिटिश शासन के समय बिहार बंगाल प्रेसीडेंसी में शामिल था। 22 मार्च 1912 एक ऐतिहासिक दिन था, जब बिहार को बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग किया गया और बिहार की स्थापना की गई।
हालाँकि अभी भी बिहार में झारखंड व उड़ीसा शामिल थे। 1936 में उड़ीसा तथा 2000 में झारखंड को बिहार से अलग किया गया, जिसके परिणाम स्वरूप वर्तमान बिहार हमारे सामने है।
बिहार दिवस कैसे मनाया जाता है | Bihar Diwas kese Manaya Jata hai
दिन विशेष हो तो विशेष गतिविधियाँ भी होना लाज़मी है। बिहार दिवस बिहार राज्य व राज्य के लोगों के लिए बहुत विशेष दिन होता है।
इस दिन राज्य के सभी सरकारी संस्थानों, जैसे:- सरकारी कार्यालय, बैंक, विद्यालय, महाविद्यालय आदि की छुट्टी होती है। बिहार दिवस पर बिहार में कई स्थानों पर विशेष कार्यक्रमों एवं प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से बिहार के वरिष्ठ नेता, लोगों को संबोधित करते है एवं बिहार दिवस की बधाइयां देते है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। बिहार दिवस के शुभ अवसर के दिन राज्य के युवाओं को संबोधन दिया जाता है, जिसमें उनको आगे बढ़ने के मार्ग दिखाए जाते है।
बिहार दिवस के दिन होने वाली प्रतियोगिताओं में बच्चे बढ़-चढ़कर भाग लेते है और जीतने वाले बच्चों को सम्मानित व पुरस्कृत किया जाता है। राज्य के प्रादेशिक टी.वी. चैनलों व रेडियों चैनलों पर बिहार दिवस व बिहार की संस्कृति से जुड़े कार्यक्रमों को प्रसारित किया जाता है।
बिहार की संस्कृति, कला व भाषाएँ
प्राचीन काल से ही बिहार की संस्कृति समृद्ध व बहुआयामी रही है। समृद्ध इतिहास व पूर्व शासनों का प्रभाव यहाँ की संस्कृति में साफ़ झलकता है। बिहार की संस्कृति मैथिली, मगही, तिरहुत, अंग व भोजपुरी संस्कृतियों का मिश्रण है। बिहार की संस्कृति का नगरों व गाँवों में कोई ज्यादा फ़र्क देखने को नहीं मिलता है। दोनों ही क्षेत्रों में मान्यताओं व रीति-रिवाजों का नियम पूर्वक पालन किया जाता है। विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, कि बिहार की अधिकांश आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। यहां पुरुष प्रधान समाज है, माता-पिता के लिए उनके बच्चे श्रवण कुमार माने जाते हैं।
बिहार की कला तथा शिल्प बहुत प्रसिद्ध हैं। बिहार के मिथिला क्षेत्र की मिथिला पेंटिंग चित्रकला का अहम भाग है, जो मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा बनायी जाती है तथा पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है। मिथिला पेंटिंग मुख्य रूप से मिट्टी की दीवारों पर की जाती है। यह यहां की लोक-संस्कृति को दर्शाने का एक अच्छा माध्यम है। यह पेंटिंग मधुबनी कला के रूप में विश्व प्रसिद्ध है।
यहाँ का लोक-संगीत व लोकनृत्य बिहार की संस्कृति और कला का एक अभिन्न अंग है। भारतीय शास्त्रीय संगीत में बिहार का अमूल्य योगदान है। सोहर, रोपनीगीत, कटनीगीत, सुमंगली आदि कुछ लोकगीत हैं, जो विशेष अवसरों पर गाये जाते हैं।
मिथिला लोकनृत्य, आदिवासी नृत्य व रामलीला से जुड़े विभिन्न नृत्य यहाँ के प्रमुख लोकनृत्य हैं।
बिहार में क्षेत्रीय विविधता के कारण भाषायी विविधता भी देखने को मिलती है। हिंदी, भोजपुरी, मैथिली, मगही यहाँ बोली जाने वाली प्रमुख भाषायें हैं। इसके अलावा यहाँ कुछ स्थानीय भाषा भी बोली जाती हैं।
बिहार का राजकीय पक्षी, वृक्ष व अन्य प्रतीक
Bihar के राजकीय प्रतीक :-
- राजकीय पक्षी:- गोरैया ( वैज्ञानिक नाम – पेस्सेर डोमेस्टिकस ) । इसे 2013 में अपनाया गया था, उससे पहले नीलकंठ यहां का राजकीय पक्षी था।
- राजकीय वृक्ष:- पीपल।
- राजकीय पशु:- बैल ।
- राजकीय पुष्प:- गेंदा।
- राजकीय चिह्न:- बोधि वृक्ष।
- राजकीय भाषा:- हिंदी।
बिहार के प्रमुख व्यंजन
बिहार में मुख्य रूप से संस्कृति के आधार पर तीन प्रकार के व्यंजन मिलते है – भोजपुरी व्यंजन, मगही व्यंजन व मैथिली व्यंजन। बिहार सबसे ज्यादा जिसके लिए जाना जाता है, वह है लिट्टी-चोखा। यहाँ मसालेदार मांसीय व्यंजन भी बनाए जाते है। उत्तरी बिहार में मछलियों को खाने का भी प्रचलन है। दाल-भात , मौसमी फलों के शरबत यहां के आम खान-पान में शामिल है।
विभिन्न स्थान अपने प्रमुख व्यंजनों के लिए जाने जाते हैं, जैसे- बालूशाही के लिए सीतामढ़ी तथा मांस के लिए चम्पारण प्रसिद्ध है।
बिहार के प्रमुख त्यौहार | Bihar ke Tyohar
बिहार में लगभग सभी भारतीय त्यौहार मनाए जाते है। यहाँ मनाया जाने वाला सबसे प्रमुख त्यौहार छठ पर्व है। इस पर्व पर मुख्य रूप से सूर्य देव की आराधना की जाती है तथा परिवार की सुख-शांति के लिए कामना की जाती है।
कुछ अन्य प्रमुख त्यौहार निम्नलिखित है:-
- होली
- रामनवमी
- तिजिया
- जितिया
- बुद्ध पूर्णिमा
- महावीर जयंती
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
22 मार्च 1912 में।
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