भुवनेश्वर को मंदिरो का शहर भी कहा जाता है।भुवनेश्वर दो शब्दो भुवन और ईश्वर से मिलकर बना है। भुवन का अर्थ घर से है।और ईश्वर का अर्थ भगवान से। अर्थात भगवान का घर भुवनेश्वर कहलाता है। भुवनेश्वर भारत के ओडिशा राज्य की राजधानी है। यहाँ प्राचीन काल से मंदिर बनाए गए है। भुवनेश्वर भारत मे एक धार्मिक-सांस्कृतिक पर्यटनीय स्थल है। भुवनेश्वर मे कई प्राचीन मंदिर होने के कारण भी इसे मंदिरो का शहर कहा जाता है।
भुवनेश्वर के प्रसिद्ध मंदिर | Bhubaneswar ke Mandir
भगवान जगन्नाथ मंदिर (पुरी)
भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और अपनी पत्नी सुभद्रा के साथ पुरी मे निवास करते है। यह मंदिर चार धाम की यात्रा मे से एक धाम माना जाता है। इस मंदिर की मूर्तियाँ अपूर्ण है। इस के बारे मे एक कथा प्रचलित है। राजा इंद्रधुमन को भगवान विष्णु का स्वप्न आया और भगवान विष्णु ने राजा को कहा पुरी के समुद्र तट पर उसे लकड़ी का टुकड़ा मिलेगा उस से वह मूर्ति का निर्माण कराये। कहते है स्वंय भगवान विश्वकर्मा भेष बदल कर कारीगर का रूप धारण कर मूर्ति बनाने के लिए आये लेकिन राजा के सामने शर्त रखी जब तक मूर्ति पूर्ण न हो जाये उस कमरे मे कोई जाएगा नही लेकिन अंत मे राजा से रहा नही गया और वह कमरे मे चला गया मूर्ति के हाथ नही बने थे। तब से जगन्नाथ मंदिर मे अपूर्ण मूर्ति की पूजा होती है।
लिंगराज मंदिर
यह भगवान शिव का मंदिर है। यह मंदिर बहुत ही पुराना है। इस मंदिर का उल्लेख छठी शताब्दी के लेख मे मिलता है। इस मंदिर की कथा है कि जब देवी पार्वती वसा और लिट्टी नामक दो दैत्यो का वध करती है तब उन को प्यास लग जाती है। तब भगवान शिव देवी पार्वती को पानी पिलाने के लिए आते है। इस मंदिर की संरचना नीचे से समकोण होते हुए ऊपर की ओर वक्र होती चली जाती है। इस मंदिर की स्थापत्य कला और मूर्तिकला देखते ही बनती है।
मुक्तेश्वर मंदिर
मुक्तेश्वर मंदिर भगवान शिव का मंदिर है। खास बात यह है कि इस मंदिर मे पहुंचने के लिए 100 सीढियाँ चढ़ने पड़ती है। इस मंदिर मे नागर शैली और कलिंग शैली का सर्वोत्कृष्ट कार्य देखने को मिलता है।
राजरानी मंदिर
इस मंदिर को प्रेम मंदिर भी कहा जाता है क्योकि इसकी नक्काशी मे महिलाओ और कामुक जोड़ो को देखा जा सकता है। इस मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर मे कोई देवी देवता की प्रतिमा नही है।
कोणार्क मंदिर
यह एक सूर्य मंदिर है। यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल मे शामिल है। इस मंदिर मे सूर्य भगवान की तीन प्रतिमाऐ है।
ब्रह्ममेशवर मंदिर
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर की स्थापत्य कला और वास्तुकला कलिंग शैली की है। इस मंदिर मे भगवान शिव हाथ मे वीणा और एक पांव बैल के ऊपर रखा हुआ है। यह मंदिर एक रथ के आकार मे बना हुआ है। जिस के बारह पहिए एवं सात घोड़े है। पूरे मंदिर पर बेल बूटो और नर्तकियो की सुंदर नक्काशी की गई है।
इसके अलावा भुवनेश्वर मे और भी कई मंदिर है। भुवनेश्वर मे मंदिर स्थापत्य कला और मूर्तिकला का अति सुंदर नमूना है।कहते है प्राचीन समय मे भुवनेश्वर मे करीब 3,000 मंदिरे थी जो अब सिर्फ 500 के करीब रह गई है।
भुवनेश्वर का राष्ट्रीय राजमार्ग देश के सभी मार्गो से मिलता है। भुवनेश्वर मे एक हवाई अड्डा भी है जो देश के अन्य हवाई मार्ग से जुड़ती है। भुवनेश्वर का रेल मार्ग भी भुवनेश्वर को देश के अन्य प्रांत से जोड़ता है।
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