भैंसवा माता (बिजासन माता / Bheswa Mata Mandir) मंदिर राजगढ़ जिले के सारंगपुर तहसील के एक गांव भैंसवा में स्थित है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर है, जहाँ पहले बहुत घना जंगल हुआ करता था।
भैंसवा माता का इतिहास | History of Bheswa Mata Mandir
Bheswa mata (बिजासन माता) का यह मंदिर 2600 वर्ष पुराना है। यह मंदिर 1200 एकड़ में फैली एक पहाड़ी पर स्थित है। इस पहाड़ी पर राजस्थान से लाखा बंजारा नाम का चरवाहा अपने पशुओं को चराने के लिए आया करता था, जिसका अस्थायी डेरा सुल्तानिया गांव होता था जो की वर्त्तमान में भैंसवा से महज 9 -10 किलोमीटर की दुरी पर है।
भैंसवा माता से जुड़ी मान्यताएं
- बिजासन माता के मंदिर में सदियों से अखंड ज्योत जल रही है ,जो भगवान् दत्तात्रेय द्वारा जलाई गए थी।
- यहाँ पर जो भी मनोकामना मांगी जाती है वो पूरी होती है। जैसे -जो भी महिलाये जिनके संतान नहीं होती है वो माता के गर्भ गृह के पीछे अर्थात माता की पीठ वाली दीवार पर गोबर से उल्टा स्वस्तिक बनाती है और माता से संतान की प्राप्ति हेतु प्रार्थना करती है तो उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। और जब उसको संतान की प्राप्ति हो जाती है तो पुनः आकर सीधा स्वस्तिक बनाकर जाती है।
- बिजासन माता के मंदिर से जिस भी व्यक्ति ने चोरी करने का प्रयास किया उसकी आँखों की रौशनी चली गयी।
- बिजासन माता के मंदिर के समीप दूध तलाई नामक स्थान है, जहाँ के पानी से असाध्य रोग भी ठीक हो जाता है।
- भैंसवा माता के यहाँ की मान्यता है कि यदि किसी की शादी का मुहूर्त नहीं निकल रहा हो तो लड़की पक्ष के लोग माता के दरबार में पाती लेने आते है , जिसे पाती के लगन कहा जाता है।
- कहा जाता है की जो भी व्यक्ति माता के दरबार में आकर जो भी मन्नत मांगता है वो पूरी हो जाती है। कई लोग माता के मंदिर के बाहर पहाड़ी पर पत्थर का घर बनाकर जाते है , जिससे उनकी वास्तविक घर की इच्छा पूरी हो जाती है।
भैंसवा माता से सम्बंधित कहानी | Story of Bheswa Mata Mandir
भैंसवा माता (Bheswa Mata Mandir) के बारे में एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि बहुत समय पहले राजस्थान का लाखा बंजारा नाम का एक व्यक्ति अपने पशुओं को चराने भैंसवा की 1200 एकड़ में फैली पहाड़ी पर आता था। एक दिन उस बंजारे को एक रोती हुए कन्या दिखी, जो की बिजासन माँ का ही बाल स्वरुप था। लाखा बंजारे ने कन्या से पूछताछ की तो पता चला कि उसका कोई नहीं है। तब लाखा उस कन्या को अपने साथ ले गया और बेटी कि तरह उसको रखने लगा, क्योंकि उसकी कोई संतान नहीं थी।
अब यह कन्या पशुओं को चराने भैंसवा कि पहाड़ी पर जाने लगी। कन्या अन्य ग्वाल साथियों के साथ अपने पशुओं को चराया करती थी। सारे ग्वाले अपने पशुओं को पानी पिलाने दूर किसी तालाब में जाते थे, लेकिन यह कन्या अपने पशुओं को पानी पिलाने उनके साथ नहीं जाती थी। तब ग्वालों ने इसकी शिकायत उसके पिता से की।
लाखा बंजारे ने इन ग्वालों कि बात का विश्वास तो नहीं किया कि यदि पशुओं को पानी नहीं पिलाती तो ये इतने हष्ट पुष्ट नहीं होते फिर भी लाखा बंजारा उसको देखने के लिए जंगल गया।
जब सारे ग्वाले अपने पशुओं को पानी पिलाने गए और वह कन्या नहीं गए और निर्वस्त्र होकर ॐ का उच्चारण करती है जिससे पानी का तालाब भर जाता है और कन्या उसमे स्नान करती है और सभी पशु पक्षी और जंगल के अन्य जानवर जैसे शेर , हाथी भी पानी पीते है।सारा दृश्य बंजारा एक झाडी के पीछे से देखता है तब कन्या की नजर और उसके पिता (बंजारे) कि नजर आपस में मिलती है तो माता लज्जा कि वजह से ॐ का उच्चारण करती है और धरती में समा जाती है।
लाखा बंजारा जब वहां आता है और अन्य ग्वाले भी आते है तब बंजारा उनको सारी बात बताता है और विलाप करता है।
वर्तमान समय में जहां माता समायी थी उसी जगह दूध तलायी नमक स्थान विख्यात है जहां आज भी कई भक्त श्रद्धालु आते है और यहां की मिट्टी और जल मात्र से रोगियों के रोग दूर हो जाते है।
कुछ समय पश्चात जब बंजारों का डेरा वहां से चला जाता है तब माता ने अपना दाहिना हाथ उसी पहाड़ी पर निकाला था ,जो वर्तमान समय में बड़ी गादी के नाम से प्रसिद्ध है। कुछ समय पश्चात् माता ने सम्पूर्ण शरीर बाहर निकाल लिया जो वर्तमान में मुख्य मंदिर में विराजमान है।
भैसवा माता मेले का आयोजन
भैसवा माता जी के यहां वर्ष में 2 बार मेले का आयोजन होता है। यहां पहले एक महीने पशुओ का मेला लगता है। माघ पूर्णिमा एवं वैशाख पूर्णिमा को यहां माता जी की पालकी निकाली जाती है।
जिसमे कई लोग दर्शनार्थ आते है। पालकी (माता की डोली) पहाड़ी पर स्थित मंदिर से शुरू होकर पुरे नगर में भ्रमण करते हुए डीजे, ढोल, कीर्तन एवं नृत्य के साथ मंदिर तक जाती है। यहां पर किन्नरों के द्वारा नृत्य किया जाता है।
भैसवा माता (बिजासन माता मंदिर) कैसे पहुंचे
रोड मार्ग
भैंसवा माता मंदिर सारंगपुर से 20 किलोमीटर है।
रेल मार्ग
बिजासन माता मंदिर के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन सारंगपुर रेलवे स्टेशन है ,जो यहाँ से 20 किलोमीटर दुरी पर है।
हवाई मार्ग
भैंसवा माता मंदिर के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट भोपाल का राजा भोज एयरपोर्ट है, जो कि 180 किलोमीटर है।
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