भगवान शिव के बारह (12) ज्योतिर्लिंग | Bhagwan Shiv 12 Jyotirling

जहाँ-जहाँ भगवान शिव स्वंय प्रकट हुए है उसे ज्योर्तिलिंग कहते है। शिव पुराण के अनुसार एक दिन भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्म मे जंग छिड़ गयी कि दोनो मे श्रेष्ठ कौन है। इस विवाद को समाप्त कर ने के लिए भगवान शिव एक स्तंभ के रूप मे प्रकट होते है और बोलते है जो इस स्तंभ के अंतिम तक पहुँचेगा वही श्रेष्ठ होगा। लेकिन स्तंभ की थाह दोनो देवता नही ले पाते इसी को ज्योतिर्लिंग कहते है। भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग है। पुराण मे उल्लेख है कि जो व्यक्ति सुबह शाम इन बारह ज्योतिर्लिंग का नाम याद करेगा उसे अपने पिछले सात जन्म के पापो से मुक्ति मिलेगी।

नोट: भगवान शिव के शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग मे अंतर है। शिवलिंग मनुष्य के द्वारा बनाए जाते है लेकिन ज्योतिर्लिंग स्वयंभू होते है।

भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग | 12 Jyotirling ke Naam

सोमनाथ, गुजरात

यह ज्योतिर्लिंग भारत के गुजरात राज्य मे स्थित है। इसे प्रभास तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। शिव पुराण मे इस ज्योतिर्लिंग के बारे मे एक कथा है। कथा यह है कि राजा दक्ष अपने सत्ताइसो पुत्री का विवाह चंद्रदेव के साथ करता है लेकिन चंद्रदेव उन सभी मे से रोहिणी को सबसे ज्यादा प्यार करते है। तब राजा दक्ष गुस्से मे आकर चंद्रदेव को  श्राप देते है कि जा तुझे क्षयरोग हो जाए तब चंद्रदेव को अपने गलती का एहसास होता है और वह राजा दक्ष से माफी मांगते है और भगवान ब्रह्म से श्राप से मुक्ति के लिए उपाय पूछते है।

तब ब्रह्म जी बोलते है प्रभास क्षेत्र के ज्योतिर्लिंग की आराधना से तुम्हारा श्राप नष्ट हो जाएगा। चूँकि भगवान चंद्रदेव का एक नाम सोम भी है इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ पड़ा। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से पिछले जन्म के सारे पाप नष्ट हो जाते है।

श्री मल्लिकार्जुन, आंध्र प्रदेश

यह ज्योतिर्लिंग भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के कृष्णा नदी के तट पर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के बारे मे एक कथा प्रचलित है। जब भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय मे सबसे पहले विवाह कौन करेगा को लेकर झगड़ा होता है तो भगवान शिव बोलते है जो पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा वही पहले विवाह का हकदार होगा। भगवान कार्तिकेय तो अपने वाहन मयूर पर बैठकर निकल पड़ते है लेकिन भगवान गणेश का वाहन मूषक है जिस पर पृथ्वी की परिक्रमा करना संभव नही था।

तो भगवान गणेश ने भगवान शिव की परिक्रमा कर डाली क्योकि भगवान शिव मे ही सारा विश्व विधमान है।और जब तक भगवान कार्तिकेय पृथ्वी का परिक्रमण कर के आते है तब तक भगवान गणेश का विवाह हो गया रहता है इस से भगवान कार्तिकेय नाराज होकर करौंच पर्वत पर चले जाते है। तब भगवान शिव कार्तिकेय को मनाने के लिए स्वंय जाते है और ज्योतिर्लिंग के रूप मे दर्शन देते है। तब से इस ज्योतिर्लिंग का नाम श्री मल्लिकार्जुन है। इस ज्योतिर्लिंग की पूजा से मनोवांछित फल और मनोकामना पूर्ण होता है।

श्री महाकालेश्वर, उज्जैन

यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन मे स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग बहुत ही प्रसिद्ध है।इस ज्योतिर्लिंग के बारे मे यह कथा प्रचलित है कि एक दिन एक बालक ने राजा चंद्रसेन को भगवान शिव को पूजा करते हुए देखा और उसने भी देखा देखी  एक पत्थर की पूजा करना शुरु कर दिया लेकिन उसकी माँ ने वह पत्थर उठाकर फेंक दिया जिस से बालक बहुत रोया।

तब भगवान शिव ने अपने भक्त की मनोकामना पूर्ण कर ने के लिए स्वंय ज्योतिर्लिंग के रूप मे प्रकट हुए। कहते है इस ज्योतिर्लिंग की पूजा कर ने सारी मनोकामना पूर्ण होती है।

श्री ओंकारेश्वर

यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के इंदौर मे नर्मदा नदी के तट पर है। इस ज्योतिर्लिंग के अंदर सदैव प्रकाश रहता है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से लौकिक और परलौकिक दोनो तरह की मनोकामना पूर्ण होती है।

श्री केदारनाथ, उत्तराखंड

यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के केदार पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर के बारे मे एक कथा यह है कि केदार पर्वत पर नारायण ने भगवान शिव के लिए तपस्या की थी और वरदान मे उनका पृथ्वी पर विराजमान होना जिस से भक्त उनके दर्शन कर सके।इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से अचल शिव भक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

श्री भीमेशवर, महाराष्ट्र

यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे मे स्थित है। शिव पुराण मे इस ज्योतिर्लिंग के बारे मे बोला गया है कि जब कुंभकरण का पुत्र राक्षस भीम शिव भक्त राजा सदिक्षण का वध कर ने के लिए जाता है तो भगवान शिव स्वंय प्रकट होकर राक्षस भीम का वध करते है। तब से इस ज्योतिर्लिंग को भीमेशवर ज्योतिर्लिंग कहते है।

श्री काशी विश्वनाथ, उत्तर प्रदेश

यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी मे गंगा नदी के तट पर स्थित है। इस नगरी को वरदान है कि यह नगरी प्रलय काल मे भी नष्ट नही होगी। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से मनुष्य को मोक्ष प्राप्त हो जाता है।

श्री त्रंयबकेशवर, नासिक

यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक मे स्थित है। जब महर्षि गौतम से गौ हत्या हो जाती है तब वह भगवान शिव की आराधना करते है और भगवान शिव स्वंय प्रकट होकर उन को गौ हत्या के पाप से मुक्त करते है।इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सारे पाप नष्ट हो जाते है।

श्री वैधनाथ, झारखंड

यह ज्योतिर्लिंग झारखंड राज्य के दुमका क्षेत्र मे पड़ता है। इस ज्योतिर्लिंग के बारे मे कई कथा प्रचलित है। एक बार शिव भक्त रावण अपने साथ भगवान शिव को लंका ले जाना चाहता था इसलिए वह भगवान शिव की घोर तपस्या करता है। भगवान शिव मान जाते है पर एक शर्त बोलते है बोलते है अगर इस ज्योतिर्लिंग को तुम कही बीच रास्ते मे रखते हो तो मै वही स्थापित हो जाउगा।

रावण शर्त मान कर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को लेकर चलता है किंतु उस बीच रास्ते मे लघुशंका आ जाती है और वह ज्योतिर्लिंग को वही रखकर चला जाता है और ज्योतिर्लिंग वही स्थापित हो जाती है।  इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से भौतिक कष्टो से मुक्ति मिल जाती है।

श्री नागेश्वर, गुजरात

यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारिका मे स्थित है। जब भक्त सुप्रिय पर राक्षस दारूक अत्याचार करता है तब भगवान शिव आते है और राक्षस दारूक का वध करते है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से सारी बाधाऐ दूर हो जाती है।

श्री रामेश्वरम, तमिलनाडु

यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य मे स्थित है। कहते है भगवान श्रीराम ने रावण का वध करने के लिए भगवान शिव का आव्हान करते है तब भगवान शिव स्वंय प्रकट होकर उनको विजयीभव का आर्शीवाद देते है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से मनुष्य जीवन मे विजयी होता है।

श्री घृषणेशवर, महाराष्ट्र

यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य मे है। इस ज्योतिर्लिंग के बारे मे यह कथा है कि जब ब्राह्मण सुधर्मा और सुदेहा को कोई संतान नही होती तो सुदेहा सुधर्मा का विवाह अपनी बहन घुशमा से करवा देती है। जो परम शिव भक्त है। घुशमा एक पुत्र जन्म देती है लेकिन सुदेहा जलनवश पुत्र को तालाब मे फेंक देती है। लेकिन भगवान शिव की कृपा से वह सकुशल बच जाता है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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