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आनंदपुर साहिब का इतिहास

आनंदपुर साहिब का इतिहास | Anandpur Sahib ka Itihas

Posted on January 13, 2023
Table of contents
  1. आनंदपुर साहिब | Anandpur Sahib
  2. आनंदपुर साहिब का स्थापना दिवस | Anandpur Sahib Sthapna Diwas
  3. आनंदपुर साहिब का इतिहास | Anandpur Sahib ka Itihas
    1. आनंदपुर की प्रथम लड़ाई
    2. आनंदपुर की दूसरी लड़ाई
  4. आनंदपुर साहिब का पुराना नाम | Anandpur Sahib ka Purana Naam
  5. आनंदपुर साहिब का उत्सव | Anandpur Sahib ka Utsav
  6. आनंदपुर साहिब में घूमने की जगह | Anandpur Sahib me Ghumne ki Jagah
    1. गुरुद्वारा तख्त श्री केसगढ़ साहिब
    2. गुरुद्वारा सीसगंज
    3. विरासत–ए–खालसा
    4. गुरुद्वारा अकाल बुंगा साहिब
  7. आनंदपुर साहिब जाने का सही समय
  8. आनंदपुर साहिब कैसे पहुँचें?
  9. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

आनंदपुर साहिब | Anandpur Sahib

Anandpur Sahib एक ऐतिहासिक शहर है, जो कि पंजाब राज्य के रूपनगर जिले में स्थित है। यह सतलुज नदी के निकट, शिवालिक पर्वतमाला के निचले क्षेत्र में स्थित है। यह सिख धर्म के सबसे पवित्र  स्थानों में से एक है। इस स्थान पर सिखों के अंतिम दो गुरुओं ने निवास किया था।

आनंदपुर साहिब का स्थापना दिवस | Anandpur Sahib Sthapna Diwas

प्रत्येक वर्ष 19 जून के दिन को आनंदपुर साहिब के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन अतीत में गुरु तेग बहादुर द्वारा इसकी स्थापना की गई थी, लेकिन तब इसका नाम कुछ और था। इसका आनंदपुर नाम गुरु गोविंद सिंह के समयकाल में रखा गया था।

आनंदपुर साहिब का इतिहास | Anandpur Sahib ka Itihas

आनंदपुर साहिब के इतिहास की बात करें, तो इसका इतिहास सिखों के 9वें गुरु तेग बहादुर से जुड़ा हुआ है।  गुरु तेग बहादुर जी द्वारा वर्ष 1665 में आनन्दपुर साहिब की स्थापना की गई थी। गुरु तेग बहादुर पहले कीरतपुर में रहते थे, लेकिन कुछ साम्प्रदायिक विवादों के कारण वे कीरतपुर से माखोवाल गांव में स्थानांतरित हो गए। उन्होनें अपनी माँ के नाम पर इस जगह का नया नाम रखा, जिसे बाद में आनंदपुर साहिब के रूप में जाना गया।

1675 के समयकाल में सम्राट औरंगजेब के आदेशानुसार गुरु तेग बहादुर जी को इस्लाम धर्म कबूलने के लिए विवश किया गया, लेकिन गुरु तेग बहादुर ने इसको नहीं माना। इसके लिए उन्हें कई यातनाएं झेलनी पड़ी और अन्ततः उनका सिर कलम कर दिया गया।

उनकी मौत को उनके अनुयायियों व उनके बेटे द्वारा शहादत के रूप में देखा गया। बाद में उनका स्थान उनके पुत्र गुरु गोबिंद सिंह ने लिया, जिन्होनें गाँव का अभूतपूर्व विकास किया तथा उसे एक कस्बे का रूप दिया। इसी दौरान इस स्थान का नाम आनंदपुर रखा गया था।

आनंदपुर में सिखों की बढ़ती ताकत, आस-पास के क्षेत्रों के शासकों के लिए चिंता का विषय बन रही थी। इसी दौरान सम्राट औरंगजेब द्वारा सिखों के ऊपर कई बन्धन भी लगाये गये। वर्ष 1699 में गुरु गोविंद सिंह द्वारा खालसा पंथ की स्थापना की गई तथा एक सशक्त सेना तैयार की गई। ये बढ़ता संघर्ष जल्द ही युद्ध के रूप में सामने आया।

आनंदपुर की प्रथम लड़ाई

1700 में पेन्दा खान व दीना बेग के नेतृत्व में मुगल सेना का गुरु गोविंद सिंह की सेना से युद्ध हुआ। इस युद्ध में मुगल सेना को मैदान छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।

आनंदपुर की दूसरी लड़ाई

1704 में सैय्यद खान के नेतृत्व में दोबारा मुगल सेना का सामना गुरु गोविंद सिंह की सेना से हुआ। बाद में मुगल सेना का नेतृत्व रमजान खान द्वारा किया गया। ये संघर्ष 1705 तक चला तथा इस दौरान गुरु गोविंद जी कई साथियों ने उनका साथ छोड़ दिया, लेकिन परिवार वालों द्वारा शर्मिंदा किये जाने से वे सभी वापस गुरु गोविंद के साथ आ गए।

आनंदपुर साहिब का पुराना नाम | Anandpur Sahib ka Purana Naam

Anandpur का पुराना नाम सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर द्वारा रखा गया था, जो कि चक्क नानकी था। गुरु तेग बहादुर ने ये नाम अपनी माँ के नाम पर रखा था।

आनंदपुर साहिब का उत्सव | Anandpur Sahib ka Utsav

आनंदपुर साहिब का सबसे प्रमुख उत्सव होला मोहल्ला है, जो कि होली के अवसर पर मनाया जाता है। होला मोहल्ला तीन दिन चलने वाला उत्सव है। इसकी शुरुआत सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह द्वारा की गयी थी। इस उत्सव के लिये तीन दिनों तक बड़ा मेला लगता है।

इस उत्सव को मनाने का एक उद्देश्य 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ के संगठन को भी याद करना है। सिखों के लिए यह एक प्रसिद्ध उत्सव है, जिसमें शामिल होने के लिए हर साल विभिन्न भागों से सिखों की बहुत बड़ी संख्या यहाँ एकत्र होती है।

इस उत्सव के लिये सभी गुरुद्वारों को अच्छी तरह से सजाया जाता है। इस उत्सव में कई सम्मेलन व धार्मिक समारोह किये जाते है। उत्सव के दौरान जूलूस भी निकाला जाता है।

आनंदपुर साहिब में घूमने की जगह | Anandpur Sahib me Ghumne ki Jagah

आनंदपुर साहिब में कई स्थान घूमने की दृष्टि से उपयुक्त है। कुछ विशेष स्थान निम्नलिखित है:-

गुरुद्वारा तख्त श्री केसगढ़ साहिब

यह आनंदपुर का सबसे प्रमुख गुरुद्वारा है। यह गुरुद्वारा खालसा व सिख के पांच तख्तों का प्रतीक है।  गुरुद्वारे के वर्तमान परिसर को 1934 व 1944 के दौरान बनाया गया था। सिखों के लिए यह स्थान बहुत पवित्र है। गुरुद्वारे में एक सरोवर भी मौजूद है, जिसमे लोग स्नान करते है।

गुरुद्वारा सीसगंज

यह गुरुद्वारा रणजीत सिंह द्वारा बनवाया गया था। इस गुरुद्वारे का निर्माण उस स्थान के प्रतीक के रूप में करवाया गया था, जहां गुरु तेग बहादुर के कटे सिर का अंतिम संस्कार किया गया था। इस गुरुद्वारे को नक्काशीदार संगमरमर से बनाया गया है। इसमें एक शिखर वाला गुंबद भी है।

विरासत–ए–खालसा

यह एक विशाल संग्रहालय है, जहां सिखों से जुड़ी विरासतों को संभाल कर रखा गया है। यहाँ सिखों से सम्बंधित कई ग्रंथ व उनकी कुछ ऐतिहासिक निशानियाँ मौजूद है। इस संग्रहालय का निर्माण सिख धर्म के सम्मान में किया गया था।

गुरुद्वारा अकाल बुंगा साहिब

इस गुरुद्वारे का निर्माण मान सिंह नामक एक पुजारी द्वारा करवाया गया था। यह गुरुद्वारा, गुरुद्वारा सीसगंज के सामने ही स्थित है। अपने पिता की हत्या के बाद इसी स्थान पर गुरु गोबिंद सिंह ने अपना उपदेश दिया था।

आनंदपुर साहिब जाने का सही समय

वैसे तो कभी भी आनंदपुर घूमने जाया जा सकता है, क्योंकि यह उत्तर के मैदानी इलाके में स्थित है, लेकिन यहाँ घूमने का सबसे अच्छा समय शरद ऋतु व सर्दी का मौसम है। गर्मी के मौसम में यहां गर्म हवाओं व लू का सामना करना पड़ सकता है।

आनंदपुर साहिब कैसे पहुँचें?

  • वायु मार्ग:- आनंदपुर साहिब का सबसे निकटतम हवाई अड्डा, चंडीगढ़ का हवाई अड्डा है, जो करीब 89 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ से टैक्सी या बस की सहायता से आनंदपुर साहिब पहुंचा जा सकता है।
  • रेलमार्ग:-  आनंदपुर साहिब का अपना रेलवे स्टेशन उपलब्ध है। उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से यहाँ आने के लिए नियमित रूप से रेल सुविधा उपलब्ध है।
  • सड़क मार्ग:- यह स्थान आस-पास के क्षेत्रों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। लुधियाना व चंडीगढ़ जैसे शहर इससे मात्र 100 किलोमीटर की दूरी पर है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

आनंदपुर साहिब क्यों प्रसिद्ध है?

यहाँ सिखों के अंतिम दो गुरुओं ने निवास किया था।

आनंदपुर साहिब किस राज्य में स्थित है?

पंजाब में।

Disclaimer : इस पोस्ट में दी गई समस्त जानकारी हमारी स्वयं की रिसर्च द्वारा एकत्रित की गए है, इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि हो, किसी की भावना को ठेस पहुंचे ऐसा कंटेंट मिला हो, कोई सुझाव हो, Copyright सम्बन्धी कोई कंटेंट या कोई अनैतिक शब्द प्राप्त होते है, तो आप हमें हमारी Gmail Id: (contact@kalpanaye.in) पर संपर्क कर सकते है।

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