अमरकंटक | Amarkantak
अमरकंटक भारत का एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल व तीर्थ स्थल है। यह मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित है। समुद्रतल से इस स्थान की ऊँचाई 1,065 मीटर है। यह खुबसूरत स्थान मैकाले की पहाड़ियों में स्थित है। इस स्थान पर ही विंध्य एवं सतपुड़ा की पहाड़ियों का मेल होता है। यह क्षेत्र महुआ और टीक के वृक्षों से घिरा हुआ है। अमरकंटक सोन नदी व नर्मदा नदी का उद्गम स्थान है। यह हरा-भरा खुबसूरत स्थान है।
2011 मतगणना के अनुसार अमरकंटक की जनसंख्या 8,416 है , तथा इसका क्षेत्रफल 47 वर्ग किलोमीटर है, इस प्रकार यहां का जनसंख्या घनत्व 181 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। यहां की साक्षरता दर लगभग 80 प्रतिशत है (2011 की मतगणना के अनुसार), जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर करीब 88 प्रतिशत तथा महिलाओं की साक्षरता दर 72 प्रतिशत के करीब है।
यह जगह सुन्दरता व प्राकृतिक पर्यावरण से समृद्ध है। यहाँ का सौंदर्य, झरने व प्राचीन मन्दिर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते है।
अमरकंटक का इतिहास | Amarkantak ka Itihas
Amarkantak ka Itihas (अमरकंटक का इतिहास) पवित्रता और आध्यात्म से परिपूर्ण है। अमरकंटक क्षेत्र पर 1800 के दशक के समय में नागपुर के शासक का का आधिपत्य था। बाद में इस क्षेत्र का शासन ब्रिटिशों के अंतर्गत आ गया था। इस पवित्र स्थान का संबंध धार्मिक रूप से महाभारत महाकाव्य से भी रहा है। मान्यताओं के अनुसार पांडवों ने अपने निर्वासन का एक लंबा समय यहां व्यतीत किया था।
अमरकंटक का रहस्य | Amarkantak ka Rahasya
Amarkantak के नर्मदा कुंड मन्दिर से नर्मदा नदी का उद्गम होता है। नर्मदा नदी(Narmada Nadi) भारत की पवित्र नदियों में से एक है। कहा जाता है कि नर्मदा नदी को शिव जी का विशेष आशीर्वाद मिला हुआ है। नर्मदा नदी एकमात्र ऐसी नदी है, जिसकी परिक्रमा की जाती है। माना जाता है कि इस नदी के जल में औषधीय गुण हैं, जिसमें स्नान करने से रोगों का निवारण हो जाता है।
अमरकंटक के प्रमुख मन्दिर | Amarkantak Temples
Amarkantak (अमरकंटक) मुख्य रूप से अपने मंदिरों के लिए विश्वभर में जाना जाता है। यहाँ के मन्दिर देखने वालों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। यहाँ के कुछ प्रमुख मंदिर निम्नलिखित है:-
- कलचुरी कालीन मंदिर – कलचुरी कालीन मन्दिर अमरकंटक का बहुत प्राचीन मन्दिर है। इस प्रसिध्द मन्दिर का निर्माण कलचुरी नरेश कर्णदेव द्वारा 1041 ईसवीं से 1073 ईसवीं के समयकाल के बीच करवाया गया था। यह कलचुरी काल के मंदिरों का एक समूह है, जो इस प्रकार है।
- कर्ण मन्दिर – यह मन्दिर मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित है। इसमें पांच मठ स्थित हैं। इस मंदिर में असम व बंगाल ले मन्दिरों की झलक मिलती है।
- पातालेश्वर मंदिर – पंचरथ नागर शैली में बना हुआ ये मन्दिर पिरामिड की संरचना में है। इसकी वास्तुकला आकर्षक है, जो पर्यटकों को भाती है।
- श्री ज्वालेश्वर मन्दिर – यह मन्दिर अमरकंटक के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह अमरकंटक की तीसरी नदी जोजिला का उद्गम स्थान भी है। ये मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है। कहा जाता है, कि यहाँ पर स्थापित शिवलिंग को स्वयं महादेव ने स्थापित किया था। पुराणों के अनुसार इस मन्दिर को महारुद्र मेरु बताया जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर भगवान शिव व माँ पार्वती ने साथ में निवास किया था। पर्यटकों के लिये मन्दिर घूमने के लिए एक अच्छी जगह है।
- श्रीयंत्र महामेरू मन्दिर – यह अमरकंटक का एक प्रमुख व आकर्षक मन्दिर है, जो सोनमुडा मार्ग पर नर्मदा कुंड से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सुकदेवानन्द जी महाराज द्वारा इस मन्दिर का निर्माण करवाया गया था। मन्दिर का आकर श्री-यन्त्र जैसा होने के कारण इसका नाम श्रीयंत्र महामेरू मन्दिर है।
- सोनाक्षी शक्तिपीठ मन्दिर – यह मन्दिर अमरकंटक के प्रमुख मन्दिरों में से एक है। ये मन्दिर मुख्य रूप से देवी सोनाक्षी को समर्पित है। यहाँ नियमित रूप से श्रद्धालु आते हैं, तथा नवरात्रि के सीज़न में यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है।
यह मन्दिर अमरकंटक का एक प्रमुख तीर्थ स्थल भी है, जहाँ हजारों की संख्या में पर्यटकों का आना-जाना रहता है। मन्दिर के आस-पास का वातावरण व परिदृश्य पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र रहता है।
अमरकंटक के प्रमुख दर्शनीय स्थल
Amarkantak में विभिन्न मंदिरों के अलावा भी कई ऐसी जगहें है, जो देखने लायक हैं। इन जगहों पर पर्यटकों का आकर्षण सदैव बना रहता है। इन दर्शनीय स्थलों में से कुछ निम्नलिखित है –
- कपिल धारा – कपिल धारा अमरकंटक में घूमने की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। नर्मदा कुंड से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर कपिल धारा है, जो कि एक आकर्षक झरना है। इसे नर्मदा नदी का प्रथम झरना भी माना जाता है। ये झरना करीब 100 फीट की ऊँचाई से गिरता है। आस–पास पेड़–पौधों से घिरा होने की वजह से ये झरना काफ़ी मनमोहक दृश्य देता है। माना जाता है कि इस स्थान पर कपिल मुनी ने ध्यान लगाया था, जिस कारण इस झरने का नाम कपिल धारा पड़ गया।
- दुग्ध धारा – दुग्ध धारा न सिर्फ़ अमरकंटक का, बल्कि भारत के खुबसूरत झरनों में से एक है। नर्मदा नदी का ये दूसरा झरना है। इसका नाम दुग्ध धारा होने का कारण इसका पानी है, जो दूधिया रंग का प्रतीत होता है। दुग्ध धारा अमरकंटक के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य किसी का भी मन मोहने के लिए काफ़ी है।
- कबीर चबूतरा – कबीर चबूतरा बिलासपुर के रास्ते पर, अमरकंटक से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर है। यह महत्वपूर्ण पर्यटक स्थलों में शामिल है। माना जाता है कि महान संत कबीर ने यहाँ आत्मज्ञान की प्राप्ति की थी। कई लोगों के लिए कबीर चबूतरा तीर्थ स्थल भी है। कबीर चबूतरे से कुछ दूरी पर ट्रैकिंग ट्रेल है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का बिंदु है।
अमरकंटक जाने का सही समय | Amarkantak Jane ka Sahi Samay
यूँ तो बारहमास अमरकंटक घूमने लायक है, लेकिन यदि सबसे अच्छे समय की बात करें, तो वो सर्दियों का मौसम है। अक्टूबर से फरवरी महीने के बीच का समय अमरकंटक जाने के लिए सबसे अच्छा है, क्योंकि मानसून का मौसम अमरकंटक की हरियाली को बढ़ा देता है।
इस समय के दौरान आप यहाँ मनाए जाने वाले त्यौहारों, जैसे:- नर्मदा जयंती, शिव चतुर्दशी तथा मकरसंक्रांति आदि का भी लुत्फ़ उठा सकते है।
अमरकंटक कैसे जाएँ? | Amarkantak kese Jaye
वायु मार्ग:- जबलपुर का एयरपोर्ट अमरकंटक का निकटतम हवाई अड्डा है। यहाँ से अमरकंटक की दूरी करीब 245 किलोमीटर है। यहां से बस या रेलमार्ग द्वारा अमरकंटक पहुँचा जा सकता है।
रेलमार्ग:- पेन्ड्रा रोड अमरकंटक का निकटतम रेलवे स्टेशन है, लेकिन सुविधा की दृष्टी से अनूपपुर रेलवे स्टेशन बेहतर है, जो की 72 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां से बस या टैक्सी की सहायता से अमरकंटक पहुँचा जा सकता है।
सड़क मार्ग:- अमरकंटक सड़क मार्ग द्वारा मध्यप्रदेश के निकटवर्ती शहरों से जुड़ा हुआ है। बिलासपुर, शहडोल व पेन्ड्रा रोड से अमरकंटक के लिए नियमित रूप से बस की सुविधा उपलब्ध है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
अनूपपुर जिले में।
महारुद्र मेरु।
118 किलोमीटर ( लगभग )।
224 किलोमीटर ( लगभग )।
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