Skip to content

Kalpanaye

Explore the India's Places with us

Menu
  • About us
  • Contact Us
  • Privacy Policy for Kalpanaye
  • Terms And Conditions
  • Web Stories
Menu
अजमेर का इतिहास

अजमेर का इतिहास, मेला, पर्यटन – सम्पूर्ण जानकारी | Ajmer Ka Itihas

Posted on December 24, 2022
Table of contents
  1. अजमेर | Ajmer
  2. अजमेर का इतिहास | Ajmer ka Itihas
    1. राजा अजयदेव ( अजयराज या अजयपाल )
    2. मामलुक राजवंश
    3. मुग़ल साम्राज्य
    4. मुग़ल साम्राज्य की समाप्ति
    5. स्वतंत्र भारत
  3. अजमेर की  शरीफ़ दरगाह | Ajmer ki Dargah
  4. अजमेर का किला: तारागढ़ का किला | Taragarh ka Kila
  5. अजमेर में घूमने लायक जगह | Ajmer me Ghumne Ki Jagah
  6. अजमेर का मेला | Ajmer Mela
  7. अजमेर का खान–पान
  8. अजमेर कैसे पहुँचे? | Ajmer kese phuche
  9. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

अजमेर | Ajmer

Ajmer भारत का प्रमुख एवं ऐतिहासिक शहर है। यह भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर जिले में स्थित है। यह शहर अजमेर जिले का मुख्यालय भी है। अरावली की पर्वत श्रेणियों में शामिल तारागढ़ की पहाड़ी पर यह शहर स्थित है। इसकी ऊँचाई 450 मीटर है।

अजमेर शहर का कुल क्षेत्रफल 55 वर्ग किलोमीटर है। 2011 की मतगणना के अनुसार इस शहर की जनसंख्या 5,42,321 है। इस प्रकार इस शहर का जनसंख्या घनत्व 9,900  व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।

2011 की मतगणना के अनुसार इस शहर की साक्षरता दर 86.52 प्रतिशत है तथा औसत लिंगानुपात 947 है। अजमेर शहर भारत का एक महत्वपूर्ण शहर है। अपनी ऐतिहासिक धरोहरों व किलों के लिए ये शहर हमेशा से जाना जाता रहा है। यहाँ साल-भर पर्यटक आते हैं, जो यहाँ के स्थानीय लोगों के लिए कुछ  रोजगार का भी सृजन करता है।

अजमेर का इतिहास | Ajmer ka Itihas

राजा अजयदेव ( अजयराज या अजयपाल )

प्रशस्ति अभिलेखों व अन्य साक्ष्यों से पता चलता है, कि अजमेर शहर की स्थापना 11वीं सदी में चाहमण राजा अजयदेव ने की थी। उस समय अजमेर  का नाम अजयमेरु बताया जाता है।

अन्य इतिहासकारों का मत है, कि 8वीं सदी में अजयराज प्रथम यहाँ के शासक थे।  अजयराज प्रथम ने अजयमेरु किले का निर्माण कराया, जिसे आज तारागढ़ किले के रूप में जाना जाता है। बाद में अजयराज द्वितीय ने इस क्षेत्र का विस्तार किया व महलों का निर्माण कराया।

मामलुक राजवंश

माना जाता है कि 1193 ईसवी में, अजमेर पर दिल्ली सल्तनत के मामलुक राजवंश ने अपना कब्जा कर लिया था।  बाद में एक विशेष  शर्त के अनुसार राजपूत शासकों को अजमेर वापस कर दिया गया था।

मुग़ल साम्राज्य

1556 में, मुगल सम्राट अकबर ने अजमेर पर विजय प्राप्त की, जिसके बाद अजमेर का क्षेत्र मुगल साम्राज्य के आधिपत्य में  आ गया। अकबर द्वारा अजमेर को अजमेर सूबे की राजधानी बना दिया गया।  शहर में मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह होने के कारण ये क्षेत्र प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया, जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र को विशिष्ट लाभ हुआ।  राजपूत शासकों के विरुद्ध अभियानों के लिए अजमेर को एक सैनिक- अड्डे के रूप में भी प्रयोग किया गया था।  मुगल बादशाहों व अन्य अमीर लोगों से अजमेर को विशेष दान प्राप्त हुआ। इस दान का प्रयोग कई ऐतिहासिक संरचनाओं के निर्माण में किया गया। इसका मुख्य केंद्र दरगाह के आस-पास का क्षेत्र रहा।

मुग़ल साम्राज्य की समाप्ति

औरंगजेब के शासन की समाप्ति के बाद शहर का मुगल संरक्षण खत्म हो गया। 1770 में ये शहर मराठाओं के आधिपत्य में आ गया। बाद में 1818 में अंग्रेजों ने इस शहर पर अपना शासन स्थापित कर लिया। औपनिवेशिक काल के दौरान ये रजिमेंट मुख्यालय रहा, जहाँ जनरल जेल भी मौजूद थी।

स्वतंत्र भारत

1956 में अजमेर के क्षेत्र को राजस्थान में शामिल करके अजमेर जिले का रूप दिया गया। वर्तमान में अजमेर भारत का प्रमुख ऐतिहासिक क्षेत्र है।

अजमेर की  शरीफ़ दरगाह | Ajmer ki Dargah

यह दरगाह जयपुर से 135 किलोमीटर दूर, अजमेर में स्थित है। इस दरगाह को अजमेर दरगाह, ख्वाजा गरीब नवाज़ की दरगाह आदि नामों से भी जाना जाता है। ये भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। ये दरगाह सूफ़ी संत मोइनुद्दीन चिश्ती की कब्र है। ये दरगाह मुख्यतः इस्लाम धर्म से सम्बंधित है, लेकिन हर धर्म के व्यक्ति की इस दरगाह पर आस्था है। विभिन्न धर्मों के लोग यहाँ माथा टेकने आते हैं। यह एक तीर्थ स्थल के साथ-साथ मुख्य पर्यटन स्थल भी है। देश-विदेश से लोग यहां घूमने के लिए आते है।

मोइनुद्दीन चिश्ती एक इस्लामिक विद्वान व दार्शनिक थे। 1192-1195 के बीच वे मदीना से भारत आए थे। विभिन्न स्थानों पर जाने के बाद वे अजमेर आए और यहीं रहने का फैसला लिया।

यहाँ उन्हें लोगों से विशेष स्नेह प्राप्त हुआ। ख्वाजा साहब की चमत्कारिक शक्तियों से लोग बहुत प्रभावित थे। ख्वाजा साहब ने हिंदू-मुस्लिम के बीच के भेदभाव को कम करने का प्रयास किया था। उनके उपदेशों से मुगल शासक भी प्रभावित थे।

114 साल की आयु में ख्वाजा ने अपने नश्वर शरीर का त्याग कर दिया।  जहाँ उनकी मृत्यु हुई थी, वहाँ उनके मकबरे का निर्माण किया गया। माना जाता है कि 1465 में सुल्तान ग़यासुद्दीन ने शरीफ़ दरगाह का निर्माण करवाया था।

अजमेर को प्रशासनिक केंद्र बनाने के बाद अकबर ने यहाँ आकर कई बार माथा टेका था।

अजमेर का किला: तारागढ़ का किला | Taragarh ka Kila

तारागढ़ का किला एक प्राचीन स्थल है। ये राजस्थान के प्रमुख किलों में शुमार है। ये एक मुख्य पर्यटक स्थल है। तारागढ़ का ये किला अरावली की पहाड़ी पर स्थित है। इस किले का निर्माण चौहान वंश के शासक द्वारा ग्यारहवीं शताब्दी में करवाया गया था। इस किले को अजमेर दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण विदेशी आक्रमण से बचाव के लिए किया गया था।

किले के अंदर देखने लायक कई चीजें मौजूद हैं। किले में कई छोटे–बड़े तालाब मौजूद है तथा कई महलों के खन्डर भी मौजूद है, जिन्हें देखने के लिए पर्यटक यहाँ आते है।

अजमेर में घूमने लायक जगह | Ajmer me Ghumne Ki Jagah

तारागढ़ का किला और शरीफ़ दरगाह के अलावा भी अजमेर में कई घूमने लायक जगहें हैं, इनमें से कुछ निम्नलिखित है:-

  • किशनगढ़ का किला:- यह किला अजमेर से करीब 27 किलोमीटर की दूरी पर है। संगमरमर के शहर के रूप में जाना जाने वाला ये किला राजस्थान का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। इस किले के भीतर कई ऐतिहासिक स्मारकें मौजूद है।
  • अकबर का महल:- ये एक संग्रहालय के रूप में स्थित है। इसका निर्माण 1500 ईसवी में किया गया था। इस संग्रहालय के अंदर मुगल के हथियार व युद्ध सामग्री संरक्षित है।
  • नारेली जैन मंदिर:- यह मन्दिर अजमेर से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर है। ये दिगंबर जैनों का पवित्र तीर्थ स्थल है। यह संगमरमर से बना हुआ है तथा इसकी वास्तुकला व नक्काशी लोगों को प्रभावित करती है।

अजमेर का मेला | Ajmer Mela

Ajmer में लगने वाले कुछ प्रमुख मेले इस प्रकार है:-

  • शरीफ़ दरगाह का उर्स मेला
  • पुष्कर का मेला
  • कल्पवृक्ष मेला
  • तेजाजी का मेला
  • बादशाह का मेला

अजमेर का खान–पान

अजमेर के प्रमुख व्यंजनों में से कुछ निम्नलिखित है:-

  • दाल बाटी चूरमा
  • घेवर
  • बाजरे की खिचड़ी
  • कबाब
  • तंदूरी नान

सोहन हलवा अजमेर की प्रसिद्ध मिठाई है। इसके अलावा जलेबी व घेवर भी खासा पसंद किया जाता है।

अजमेर कैसे पहुँचे? | Ajmer kese phuche

वायु मार्ग:- सांगानेर एयरपोर्ट अजमेर का निकटतम हवाई अड्डा है, जिसकी दूरी अजमेर से करीब 135 किलोमीटर है। एयरपोर्ट से बस या टैक्सी के द्वारा अजमेर पहुँचा जा सकता है।

रेलमार्ग:- अजमेर के लिये सीधा अजमेर रेलवे स्टेशन पहुँचा जा सकता है। दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों से अजमेर के लिए सीधी रेल मिल जाती है।

सड़क मार्ग:- अजमेर भारत का प्रमुख नगर है। देश के विभिन्न भागों से राष्ट्रीय राजमार्गों की सहायता से यहाँ पहुंचा जा सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

अजमेर की स्थापना किसने की थी?

राजा अजयदेव ने।

अजमेर में कितनी दरगाह है?

मुख्यतः 6 दरगाह हैं, जिसमें दरगाह शरीफ़ सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है।

अजमेर किस राज्य में है?

राजस्थान।

Other Famous Articles
राजस्थान में घूमने की जगह | Places to Visit in Rajasthan

पाली का इतिहास | History of Pali Rajasthan

Disclaimer : इस पोस्ट में दी गई समस्त जानकारी हमारी स्वयं की रिसर्च द्वारा एकत्रित की गए है, इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि हो, किसी की भावना को ठेस पहुंचे ऐसा कंटेंट मिला हो, कोई सुझाव हो, Copyright सम्बन्धी कोई कंटेंट या कोई अनैतिक शब्द प्राप्त होते है, तो आप हमें हमारी Gmail Id: (contact@kalpanaye.in) पर संपर्क कर सकते है।

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Categories

  • Festival (10)
  • History (28)
  • International Days (11)
  • National Days (31)
  • National Parks (12)
  • Others (12)
  • Personalities (3)
  • Places (69)
  • Rivers (5)
  • Spiritual (11)
  • Temples (54)
  • Upavas (17)

Recent Posts

  • क्षिप्रा नदी – सम्पूर्ण जानकारी | Shipra Nadi
  • सरोजनी नायडू जीवन परिचय (Sarojini Naidu Jivan Parichay)
  • प्रदोष व्रत – सम्पूर्ण जानकारी | Pradosh Vrat
  • हिंगलाज माता मंदिर – सम्पूर्ण जानकारी | Hinglaj Mata Mandir
  • महानदी – संपूर्ण जानकारी | Mahanadi in Hindi
  • बसंत पंचमी – सम्पूर्ण जानकारी | Basant Panchami in Hindi

dmca logo
Kalpanaye Logo
© Copyright © 2021-2023 Kalpanaye. All rights Reserved